बाइनरी ऑप्शंस

मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई

मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई

43 दिन में छोड़ना पड़ा पद: भारतीय मूल की होम मिनिस्टर सुएला ने दिया इस्तीफा, भारतीयों के खिलाफ दिया था विवादित बयान, ब्रिटेन की लिज ट्रस सरकार भी संकट में

Indian-origin Home Minister Suella resigns, Britain

करीब डेढ़ महीने पहले ब्रिटेन की लिज ट्रस सरकार में भारतीय मूल की सुएला ब्रेवरमैन गृहमत्री बनी थीं। सुएला को ब्रिटेन में होम मिनिस्टर का पद मिलने पर देशवासियों ने खुशी जताई थी। लेकिन सुएला को 43 दिन के अंदर ही गृह मंत्री के पद से ‘इस्तीफा’ देना पड़ा है। सुएला ब्रेवरमैन के इस्तीफा देने का बड़ा कारण उनका भारत विरोधी बयान बना। ‌उनके बयान के बाद भारत सरकार ने भी कड़ी नाराजगी जताई थी। ‌

बता दें कि भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार संधि पर अपने बयान से विवादों में आईं गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इससे पहले लिज ट्रस ने वित्त मंत्री क्वासी क्वार्टेंग को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था। एक साथ दो मंत्रियों के हटने के बाद खुद प्रधानमंत्री लिज ट्रस की कुर्सी भी खतरे में हैं और कंजरवेटिव पार्टी में उन्हें हटाए जाने की मुहिम चल रही है। एक बार फिर भारतीय मूल के ऋषि सुनक प्रधानमंत्री पद की दौड़ में आगे हो गए मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई हैं। ‌‌कंजरवेटिव पार्टी के नेता ग्रांट शैप्स ब्रिटेन के नए गृह मंत्री होंगे। शैप्स ने पार्टी में हुए प्रधानमंत्री पद के चुनाव में ऋषि सुनक का खुलकर समर्थन किया था। उन्हें प्रधानमंत्री लिज ट्रस का आलोचक माना जाता है।

बता दें कि सुएला गोवा में जन्मे पिता और तमिल मूल की मां की संतान हैं। 42 वर्षीय सुएला ब्रेवरमैन ने अपना इस्तीफा ट्वीट भी किया है। उन्होंने ब्रिटेन की गृह मंत्री के रूप में केवल 43 दिन कार्य किया। इस दौरान भारतीय वीजा को लेकर उनका बयान खासा विवाद में आया। ब्रेवरमैन ने कहा जैसे ही मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ तो मैंने कैबिनेट सचिव को इसकी जानकारी दी। गृह मंत्री पद से जुड़ी जिम्मेदारियों को देखते हुए मेरा इस्तीफा देना ही सही कदम है।

सरकार का काम अपनी गलतियों के लिए जिम्मेदारी स्वीकार करने वालों पर निर्भर करता है। ऐसा दिखावा करना कि हमने गलतियां नहीं की, इस तरह आगे बढ़ना जैसे किसी ने इसे नहीं देखा कि हमने गलतियां की। यह उम्मीद करना की चीजें जादुई रूप से ठीक हो जाएंगी, मैंने गलती की, मैं इसकी जिम्मेदारी लेती हूं और इस्तीफा देती हूं। ब्रेवरमैन ने कहा कि प्रधानमंत्री ट्रस देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं।‌‌ इसीलिए उन्होंने टैक्स कटौती का फैसला वापस लिया था।

भारत के साथ मुक्त व्यापार संधि के बयान को लेकर सुएला ब्रेवरमैन चर्चा में आईं थीं

इसी महीने की शुरुआत में ब्रिटेन की गृहमंत्री सुएला ब्रेवरमैन भारत के साथ होने वाले मुक्त व्यापार संधि को लेकर तीखा बयान देकर चर्चा में आई थीं। गृह मंत्री सुएला ने एफटीए के तहत भारत के लिए ‘खुली सीमाओं’ की पेशकश पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था भारत के साथ एक व्यापार समझौते से यूनाइटेड किंगडम में प्रवासियों की संख्या में वृद्धि होगी। उनकी टिप्पणी उस समय आई थी, जबकि भारत और ब्रिटेन एक मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे थे। सुएला ने कहा था कि कई भारतीय वीजा अवधि खत्म होने के बाद भी ब्रिटेन नहीं छोड़ते जिससे दबाव बढ़ रहा है।

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने एफटीए के लिए इस साल दिवाली तक की समय सीमा तय की थी। हालांकि, अब इस समय तक समझौता होने की संभावना कम होती जा रही है। सुएला ब्रेवरमैन द्वारा वीजा ओवरस्टेयर्स पर कार्रवाई को लेकर की गई टिप्पणियों से भारत सरकार के नाराज होने के बाद भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) कथित तौर पर टूटने की कगार पर है। ब्रिटेन की एक मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया था।

हालांकि इस समझौते को लेकर अभी भी दोनों देशों के बीच बातचीत मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई जारी है। इसके साथ सुएला ने अपनी ही सरकार पर निशाना साधा था। ‌‌ब्रेवरमैन ने कहा कि उन्हें सरकार के निर्देश पर संदेह था। उन्होंने कहा कि हमने न केवल अपने वोटर्स से किए गए प्रमुख वादों को तोड़ा है बल्कि घोषणापत्र के वादों को पूरा करने के लिए इस सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में मुझे गंभीर चिंता है, जिनमें प्रवासियों की संख्या कम करना और अवैध प्रवास को रोकना।

मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का बहुप्रतीक्षित चीन दौरा 2 से 5 नवंबर के बीच संपन्न हुआ। यह दौरा ऐसे वक्त हुआ है जब पाकिस्तान कई मोर्चों पर चुनौतियों से जूझ रहा है। एक तो भुगतान संतुलन की बढ़ती समस्या को देखते हुए उसे तत्काल वित्तीय राहत पैकेज की सख्त दरकार है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के तहत बन रही ऊंची लागत वाली परियोजनाओं की निरंतरता और व्हावहार्यता को लेकर भी वहां संदेह के बादल गहरा रहे हैं। वहीं पाकिस्तानी सरकार उन कट्टरपंथियों के आगे भी नतमस्तक हो गई जो ईशनिंदा के आरोप में आसिया बीबी की रिहाई से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे।

बहरहाल चीन दौरे के दौरान पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को औपचारिक प्रोटोकॉल मिला और इस दौरान 15 सामान्य सहमति पत्रों (एमओयू) पर हस्ताक्षर भी हुए। शब्दाडंबरों से भरा एक संयुक्त बयान भी जारी किया गया, लेकिन उसमें भी कोई ऐसी बात नहीं थी जो सुर्खियां बटोर सके।

कोई राहत पैकेज नहीं

पाकिस्तान को उम्मीद थी कि उसे चीन से भारी-भरकम राहत पैकेज मिल जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। चीनी प्रधानमंत्री ने इमरान खान से कहा, “हम पाकिस्तान को अपनी क्षमता के अनुरूप सहायता उपलब्ध करा रहे हैं।” इसके बावजूद उन्होंने ठोस वादा नहीं किया। इस मुद्दे मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई पर खामोशी अपनी कहानी साफ कह रही थी। चीन ने हालांकि अपने सदाबहार दोस्त पाकिस्तान को मदद का वादा जरूर किया है, लेकिन यह भी कहा है कि इसके स्वरूप पर बाद में चर्चा की जाएगी।

संयुक्त बयान में भी बेलआउट यानी राहत पैकेज को छोड़कर बाकी सभी मुद्दों की चर्चा है। व्यापार, निवेश और वित्तीय सहयोग के तहत श्रम-आधारित उद्योगों और संयुक्त उपक्रमों के पुनर्गठन से पाकिस्तान की औद्योगिक क्षमताओं को बढ़ाने की बात कही गई है। व्यापार असंतुलन को संतुलित करने के लिए भी दोनों पक्षों ने कुछ ठोस कदम उठाने पर सहमति जताई है। चीन-पाकिस्तान मुक्त व्यापार समझौते का दूसरा चरण भी जल्द ही पूरा होगा। वे ‘सेवा’ समझौते पर भी बातचीत शुरू करेंगे। ये सभी दीर्घावधिक लाभ वाले कदम हैं जिनका पाकिस्तान को तात्कालिक तौर पर कोई खास फायदा नहीं मिलने वाला।

चीन ने संकेत दिए हैं कि पाकिस्तान को मदद को दूसरे विकल्पों पर गौर करना चाहिए। चीन ने पाकिस्तान को इशारा किया कि उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ से मदद लेनी चाहिए। वहीं सऊदी अरब से मिला 6 अरब डॉलर का राहत पैकेज हद से हद पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को सीमित और अस्थायी राहत दिला सकता है। अधिकांश अर्थशास्त्रियों को लगता है कि पाकिस्तान को राहत पैकेज के लिए जल्द से जल्द आईएमएएफ से गुहार लगानी चाहिए। पाकिस्तानी सरकार अभी तक इसी उम्मीद से ऐसा नहीं कर रही थी कि उसका सदाबहार दोस्त चीन उसे भारी-भरकम राहत पैकेज उपलब्ध कराएगा। चूंकि अब चीन से ऐसी मदद मिलने की उम्मीद कम ही है तो पाकिस्तानी सरकार अब आईएमएफ से मदद मांगेगी और बदले में वह सीपीईसी परियोजनाओं की कड़ी निगरानी करेगा।

चीन ने यह भी संकेत दिए हैं कि वह सीपीईसी के दायरे में किसी भी तरह की कटौती नहीं करना चाहेगा जो इस क्षेत्र में उसके भू-राजनीतिक खेल के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इसके उलट चीन ने इमरान खान से कहा कि सीपीईसी के दायरे का विस्तार किया जाए। सीपीईसी को लेकर सभी तरह की नकारात्मक बातों को चीन ने सिरे से खारिज किया। चीनी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ के अनुसार चीनी प्रधानमंत्री मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई ने इमरान खान को बताया, “सीपीईसी परियोजनाओं की काफी गहनता से पड़ताल की गई है और वे आर्थिक सिद्धांतों के अनुरूप और आर्थिक रूप से पूरी तरह व्यावहारिक हैं।”

चीन इमरान खान की इस सार्वजनिक टिप्पणी से बिल्कुल नाखुश था कि उनकी सरकार सीपीईसी परियोजनाओं की समीक्षा कर उनके दायरे को घटाने पर विचार करेगी।

चीन म्यांमार और मलेशिया में पहले ही साख के संकट से जूझ रहा है जहां कुछ चीनी परियोजनाएं बंद कर दी गई हैं। वह पाकिस्तान में एक और झटका बर्दाश्त नहीं कर सकता। अपनी अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत को देखते हुए इस मामले में चीन के साथ मोलभाव में भी पाकिस्तान के लिए बहुत गुंजाइश नहीं है। पाकिस्तान के चालू खाते के घाटे की स्थिति बहुत खराब है। वहीं सीपीईसी को लेकर पाकिस्तान में असंतोष और आक्रोश पनप रहा है। चीनी कर्ज की शर्तें बहुत सख्त हैं। चीन ने पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर मशीनें लगाई हैं। चीनी कुशल कर्मचारी पाकिस्तानी लोगों की नौकरियां हड़प रहे हैं।

संयुक्त बयान में सीपीईसी का एक पूरा खंड दिया गया है। यह स्पष्ट है कि चीन के दबाव में इमरान खान को सीपीईसी को लेकर अपने तेवर नरम करने पड़े। संयुक्त बयान के अनुसार, “दोनों पक्षों ने सीपीईसी के भविष्य की रूपरेखा को लेकर अपनी पूर्ण सहमति को दोहराया।” इमरान खान को सिर्फ इतनी राहत-रियायत मिली कि सीपीईसी में अब सामाजिक विकास, रोजगार सृजन और आजीविका जैसे मुद्दों पर भी गौर किया जाएगा। इसके लिए ‘सहयोग की नई संभावनाएं’ तलाशने के लिए सीपीईसी संयुक्त सहयोग समिति की बैठक भी होगी। पाकिस्तान में आजीविका परियोजनाओं के सहायतार्थ सामाजिक-आर्थिक विकास पर एक कार्यबल भी गठित किया गया है। यह स्थिति इमरान खान के पुराने रुख से काफी अलग है जिसमें उन्होंने सीपीईसी परियोजनाओं की व्यावहार्यता पर सवाल उठाते हुए कहा था कि उनकी सरकार इन परियोजनाओं की समीक्षा करेगी। सीपीईसी परियोजनाओं के मामले में भी चीन की वरीयताएं मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई एकदम स्पष्ट हैं। संयुक्त बयान के अनुसार, “ग्वादर सीपीईसी का आधार स्तंभ है और दोनों पक्ष इस बंदरगाह और उससे संबद्ध परियोजनाओं के तेजी से विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। ”

चीन का पक्ष

पाकिस्तान में कार्यरत अपने नागरिकों पर हमलों के मामलों के देखते हुए उनकी सुरक्षा को लेकर चीन की चिंता संयुक्त बयान में भी झलकी। इस पर संयुक्त बयान में कहा गया है, “दोनों पक्षों ने सीपीईसी को लेकर किए जा रहे दुष्प्रचार को खारिज किया है और इसकी सभी परियोजनाओं की सभी खतरों से सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्धता भी जताई। पाकिस्तान में चीनी कर्मियों की सुरक्षा को लेकर की गई सुरक्षा व्यवस्था की चीन ने सराहना की। ”

बहरहाल जब इमरान खान चीन में थे तब घरेलू मोर्चे पर उनकी सरकार ने उन कट्टरपंथियों से विरोध-प्रदर्शन खत्म करने के लिए समझौता किया जो आसिया बीबी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ लामबंद हो रहे थे। पाकिस्तानी सरकार का यह समझौता धार्मिक कट्टरपंथियों के समक्ष दयनीय आत्मसमर्पण ही का जा सकता है। चीन में भी इस पर गौर किया गया। इससे पाकिस्तान में काम कर रहे अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर उसकी चिंता बढ़ना स्वाभाविक ही है। हालांकि भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से सीपीईसी चीन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और उसने पाकिस्तान पर दबाव डालकर उसे यही समझाया है कि वह उसे निराश न करे। पाकिस्तान के पास चीन की बात मानने के अलावा और कोई विकल्प भी नहीं है। चीन अपने सदाबहार दोस्त के लिए जरूरी मुद्दों पर कितना संवेदनशील है इस पर चीन की खामोशी ही काफी कुछ कहे देती है।

मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई

भारत, ब्रिटेन के मंत्री व्यापार समझौते पर बातचीत शूरू करने को लेकर अगला कदम उठाने पर सहमत

भारत, ब्रिटेन के मंत्री व्यापार समझौते पर बातचीत शूरू करने को लेकर अगला कदम उठाने पर सहमत

लंदन। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ब्रिटेन की अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री लिज ट्रस के साथ सोमवार को वचुअर्ल बैठक की। इस बैठक में ब्रिटेन-भारत व्यापार समझौते को लेकर बातचीत शुरू करने के लिये अगला कदम उठाये जाने पर सहमति जताई गई। ब्रिटेन की सरकार ने यह कहा। ब्रिटेन के अंतरराष्ट्रीय व्यापार विभाग (डीआईटी) ने कहा कि दोनों मंत्रियों के बीच बातचीत भारत- ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिये ‘‘गुंजाइश और आकांक्षा'' पर केन्द्रित रही। इस बातचीत से पहले 31 अगस्त को ब्रिटेन ने औपचारिक विचार विमर्श की प्रक्रिया को पूरा कर लिया। डीआईटी द्वारा सोमवार की इस बैठक पर जारी नोट में कहा गया है, ‘‘उन्होंने विचार विमर्श से सामने आई जानकारियों पर चर्चा की और इस साल के अंत तक बातचीत शुरू करने की तैयारियों के लिये उठाये जाने वाले कदमों पर सहमति जताई। इसमें सितंबर से व्यापार कार्यसमूहों की श्रृंखला की शुरुआत भी शामिल है।'' डीआईटी ने कहा, ‘‘उन्होंने नई स्थापित की गई विस्तारित व्यापार भागीदारी पर भी चर्चा की और बाजार पहुंच पैकेज के समय पर क्रियान्वयन को लेकर अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।'' ब्रिटेन की सरकार ने कहा कि इस तरह की नियमित मंत्री स्तरीय बातचीत से दोनों पक्षों को विभिन्न क्षेत्रों में एक दूसरे की स्थिति को समझने में मदद मिलती है। किसी भी व्यापार समझौते में शुल्क, मानकों, बौद्धिक संपदा और डेटा नियमन सहित अलग अलग क्षेत्र होते हैं। डीआईटी ने कहा कि ब्रिटेन की अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री ने एक ऐसे व्यापार समझौते को लेकर अपनी आंकांक्षा को फिर से व्यक्त किया जिससे ब्रिटेन के लोगों और डिजिटल एवं डेटा, प्रौद्योगिकी और खाद्य एवं पेय क्षेत्र सहित विभिन्न व्यवसायियों के लिये बेहतर परिणाम हों। दोनों मंत्रियों के बीच इस बात को लेकर भी सहमति थी कि आगे होने वाली बातचीत के दौरान व्यवसायिक समुदाय के साथ जुड़े रहना महत्वपूर्ण होगा।

43 दिन में छोड़ना पड़ा पद: भारतीय मूल की होम मिनिस्टर सुएला ने दिया इस्तीफा, भारतीयों के खिलाफ दिया था विवादित बयान, ब्रिटेन की लिज ट्रस सरकार भी संकट में

Indian-origin Home Minister Suella resigns, Britain

करीब डेढ़ महीने पहले ब्रिटेन की लिज ट्रस सरकार में भारतीय मूल की सुएला ब्रेवरमैन गृहमत्री बनी थीं। सुएला को ब्रिटेन में होम मिनिस्टर का पद मिलने पर देशवासियों ने खुशी जताई थी। लेकिन सुएला को 43 दिन के अंदर ही गृह मंत्री के पद से ‘इस्तीफा’ देना पड़ा है। सुएला ब्रेवरमैन के इस्तीफा देने का बड़ा कारण उनका भारत विरोधी बयान बना। ‌उनके बयान के बाद भारत सरकार ने भी कड़ी नाराजगी जताई थी। ‌

बता दें कि भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार संधि पर अपने बयान से विवादों में आईं गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इससे पहले लिज ट्रस ने वित्त मंत्री क्वासी क्वार्टेंग को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था। एक साथ दो मंत्रियों के हटने के बाद खुद प्रधानमंत्री लिज ट्रस की कुर्सी भी खतरे में हैं और कंजरवेटिव पार्टी में उन्हें हटाए जाने की मुहिम चल रही है। एक बार फिर भारतीय मूल के ऋषि सुनक प्रधानमंत्री पद की दौड़ में आगे हो गए हैं। ‌‌कंजरवेटिव पार्टी के नेता ग्रांट शैप्स ब्रिटेन के नए गृह मंत्री होंगे। शैप्स ने पार्टी में हुए प्रधानमंत्री पद के चुनाव में ऋषि सुनक का खुलकर समर्थन किया था। उन्हें प्रधानमंत्री लिज ट्रस का आलोचक माना जाता है।

बता दें कि सुएला गोवा में जन्मे पिता और तमिल मूल की मां की संतान हैं। 42 वर्षीय सुएला ब्रेवरमैन ने अपना इस्तीफा ट्वीट भी किया है। उन्होंने ब्रिटेन की गृह मंत्री के रूप में केवल 43 दिन कार्य किया। इस दौरान भारतीय वीजा को लेकर उनका बयान खासा विवाद में आया। ब्रेवरमैन ने कहा जैसे ही मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ तो मैंने कैबिनेट सचिव को इसकी जानकारी दी। गृह मंत्री पद से जुड़ी जिम्मेदारियों को देखते हुए मेरा इस्तीफा देना ही सही कदम है।

सरकार का काम अपनी गलतियों के लिए जिम्मेदारी स्वीकार करने वालों पर निर्भर करता है। ऐसा दिखावा करना कि हमने गलतियां नहीं की, इस तरह आगे बढ़ना जैसे किसी मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई ने इसे नहीं देखा कि हमने गलतियां की। यह उम्मीद करना की चीजें जादुई रूप से ठीक हो जाएंगी, मैंने गलती की, मैं इसकी जिम्मेदारी लेती हूं और इस्तीफा देती हूं। ब्रेवरमैन ने कहा कि प्रधानमंत्री ट्रस देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं।‌‌ इसीलिए उन्होंने टैक्स कटौती का फैसला वापस लिया था।

भारत के साथ मुक्त व्यापार संधि के बयान को लेकर सुएला ब्रेवरमैन चर्चा में आईं थीं

इसी महीने की शुरुआत में ब्रिटेन की गृहमंत्री सुएला ब्रेवरमैन भारत के साथ होने वाले मुक्त व्यापार संधि को लेकर तीखा बयान देकर चर्चा में आई थीं। गृह मंत्री सुएला ने एफटीए के तहत भारत के लिए ‘खुली सीमाओं’ की पेशकश पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था भारत के साथ एक व्यापार समझौते से यूनाइटेड किंगडम में प्रवासियों की संख्या में वृद्धि होगी। उनकी टिप्पणी उस समय आई थी, जबकि भारत और ब्रिटेन एक मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे थे। सुएला ने कहा था कि कई भारतीय वीजा अवधि खत्म होने के बाद भी ब्रिटेन नहीं छोड़ते जिससे दबाव बढ़ रहा है।

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने एफटीए के लिए इस साल दिवाली तक की समय सीमा तय की थी। हालांकि, अब इस समय तक समझौता होने की संभावना कम होती जा रही है। सुएला ब्रेवरमैन द्वारा वीजा ओवरस्टेयर्स पर कार्रवाई को लेकर की गई टिप्पणियों से मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई भारत सरकार के नाराज होने के बाद भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) कथित तौर पर टूटने की कगार पर है। ब्रिटेन की एक मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया था।

हालांकि इस समझौते को लेकर अभी भी दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है। इसके साथ सुएला ने अपनी ही सरकार पर निशाना साधा था। ‌‌ब्रेवरमैन ने कहा कि उन्हें सरकार के निर्देश पर संदेह था। उन्होंने कहा कि हमने न केवल अपने वोटर्स से किए गए प्रमुख वादों को तोड़ा है बल्कि घोषणापत्र के वादों को पूरा करने के लिए इस सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में मुझे गंभीर चिंता है, जिनमें प्रवासियों की संख्या कम करना और अवैध प्रवास को रोकना।

रेटिंग: 4.31
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 548
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *