नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के बारे में

उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में सेंसेक्स 170 अंक टूटा
शेयर बाजार सोमवार को मजबूत रुख के साथ खुला. लेकिन बाद में इसमें उतार-चढ़ाव देखने को मिला. बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 92.98 अंक चढ़कर 61,888.02 अंक पर पहुंच गया था.
मुंबई: उतार-चढ़ाव भरे कारोबार के बीच सोमवार को बीएसई सेंसेक्स में 170 अंक से अधिक की गिरावट आई. सूचकांक में मजबूत हिस्सेदारी रखने वाले आईसीआईसीआई बैंक, आईटीसी और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे शेयरों में नुकसान से बाजार नीचे आया. तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 170.89 अंक यानी 0.28 प्रतिशत की गिरावट के साथ 61,624.15 अंक पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान, यह नीचे में 61,572.03 तक आया और ऊंचे में 61,916.24 अंक तक गया.
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 20.55 अंक यानी 0.11 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 18,329.15 अंक पर बंद हुआ. सेंसेक्स के शेयरों में डॉ. रेड्डीज, आईटीसी, हिंदुस्तान यूनीलिवर, भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, नेस्ले, टाइटन, महिंद्रा एंड महिंद्रा, लार्सन एंड टुब्रो और रिलायंस इंडस्ट्रीज प्रमुख रूप से नुकसान में रहे. दूसरी तरफ, लाभ में रहने वाले शेयरों में कोटक महिंद्रा बैंक, टाटा स्टील, पावरग्रिड, इंडसइंड बैंक, इन्फोसिस और मारुति शामिल हैं.
एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की और चीन का शंघाई कंपोजिट नुकसान में जबकि हांगकांग का हैंगसेंग लाभ में रहा. यूरोप के प्रमुख बाजारों में शुरुआती कारोबार में तेजी का रुख रहा. अमेरिकी बाजार वॉल स्ट्रीट में शुक्रवार को तेजी थी. इस बीच, आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, ईंधन और विनिर्मित वस्तुओं के दाम में कमी से थोक मुद्रास्फीति घटकर 19 महीने के निचले स्तर 8.39 प्रतिशत पर आ गयी है.
अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.16 प्रतिशत की गिरावट के साथ 95.84 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया. शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक शुक्रवार को शुद्ध लिवाल रहे. उन्होंने 3,958.23 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे. (पीटीआई-भाषा)
Stock exchange kya hota hai | What is Stock exchange in Hindi
पिछली पोस्ट में आपने स्टॉक मार्किट के बारे में जाना था, आज का यह पोस्ट स्टॉक एक्सचेंज के बारे में है, Stock exchange kya hota hai, और यह कैसे काम करता है। अक्सर स्टॉक मार्किट और स्टॉक एक्सचेंज दोनों शब्दों को एक दूसरे के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है, लेकिन कई लोग इन दोनों के बीच के फर्क को नहीं समझ पाते हैं।
तो इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको स्टॉक मार्किट और स्टॉक एक्सचेंज दोनों के बीच क्या फर्क होता है, इसकी जानकारी हो जाएगी।
Stock exchange kya hota hai | What is Stock exchange in Hindi
यह तो आप जानते ही होंगे की शेयर बाजार में शेयर ख़रीदे और बेचे जाते हैं, जहाँ सैकड़ों कंपनियां शेयर बाजार में लिस्ट होती है, और अपने शेयर उतारती हैं। निवेशक उन शेयर्स को खरीदकर एक प्रकार से उस कंपनी में निवेश करते हैं, और शेयर का दाम बढ़ने पर उन्हें बेच कर वे मुनाफा कमाते हैं।
तो शेयर बाजार यानि स्टॉक मार्किट का यह पूरा काम काज Stock exchange के द्वारा ही संभव हो पाता है। स्टॉक एक्सचेंज ही स्टॉक मार्किट को वह इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान करता है, जिसके द्वारा कोई कंपनी स्टॉक मार्किट में अपने शेयर्स ला पाती है, और निवेशक उन शेयर्स की ट्रेडिंग कर पाते हैं, यानि शेयर्स को खरीद और बेच पाते हैं।
स्टॉक एक्सचेंज वह केंद्रीकृत (Centralized) स्थान होता है, जहाँ सार्वजानिक रूप से व्यापार करने वाली कंपनियाँ अपने शेयर्स उतारती हैं, और निवेशक उन शेयर्स को खरीदते और बेचते हैं, यानि स्टॉक एक्सचेंज कंपनियों और निवेशकों को एक साथ लाता है, और उन्हें वह मंच (Platform) प्रदान करता है, जहाँ उनके बीच शेयर्स, बांड्स तथा दूसरी प्रतिभूतियों (Securities) की ट्रेडिंग हो सके।
स्टॉक एक्सचेंज खुद के पास शेयर्स नहीं रखता है, बल्कि यह एक मार्किट के रूप में कार्य करता है, जहाँ शेयर्स के खरीदार और शेयर्स विक्रेता दोनों एक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के बारे में दूसरे से जुड़ते हैं। स्टॉक्स या शेयर्स को तभी ख़रीदा या बेचा जा सकता है, जब वह किसी स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हो।
stock exchange के कुछ तैय नियम और कानून होते हैं, जिन्हे सेबी (SEBI) द्वारा निर्धारित नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के बारे में किया जाता है। सेबी द्वारा तैय नियमों और दिशानिर्देशों का पालन कंपनी और निवेशक दोनों पक्षों को करना होता है, और उन्ही नियमों के अंतर्गत एक्सचेंज का पूरा काम काज होता है।
यदि स्टॉक मार्किट और स्टॉक एक्सचेंज के बीच फर्क की बात की जाए तो स्टॉक मार्किट सभी प्रकार की स्टॉक ट्रेडिंग के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक सामान्य शब्द है, जबकि स्टॉक एक्सचेंज वह मंच है, जहाँ इस ट्रेडिंग के लिए सुविधा और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान किया जाता है। Stock exchange kya hota hai यह जानने के बाद चलिए अब जानते हैं, स्टॉक एक्सचेंज काम कैसे करता है।
Stock exchange kaise kaam karta hai | How does stock exchange work
आसान भाषा में कहें तो जिस प्रकार एक सामान्य बाजार में चीजों को ख़रीदा और बेचा जाता है, यानि जहाँ सामान के buyers और sellers होते हैं, उसी प्रकार स्टॉक एक्सचेंज भी एक marketplace है, लेकिन यहाँ पर सामान के स्थान पर कंपनी के शेयर्स, बांड्स तथा दूसरी प्रतिभूतियां खरीदी और बेचीं जाती हैं।
जब किसी कंपनी को बिज़नेस बढ़ाने या अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए फंड की आवश्यकता पड़ती है, तो ऐसे में कंपनी के पास दो विकल्प होते हैं, या तो वह बैंक से लोन ले, या फिर कंपनी खुद को स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट कर आम पब्लिक के लिए अपने शेयर्स जारी करे।
यदि कंपनी बैंक से लोन लेती है, तो ऐसे में कंपनी को लोन पर लगने वाला भारी ब्याज भी चुकाना पड़ता है, तो इस से बचने के लिए कंपनी स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होकर आम पब्लिक के बीच अपने शेयर्स जारी करती है। पब्लिक उन शेयर्स को खरीदती है, और बदले में कंपनी को आवश्यक फंड प्राप्त हो जाता है।
कोई कंपनी जब पहली बार पब्लिक के बीच अपने शेयर्स उतारती है, तो उसे प्राइमरी मार्किट से होकर गुजरना होता है, यानि कंपनी पब्लिक के बीच सबसे पहले अपना (IPO) लेकर आती है। जब IPO के जरिये कंपनी के सभी शेयर्स पब्लिक को जारी हो जाते हैं, यानि शेयर्स बिक जाते हैं, तो फिर ख़रीदे गए उन शेयर्स की ट्रेडिंग का काम सेकेंडरी मार्किट यानि Stock exchange पर होता है।
निवेशकों द्वारा की जाने वाली शेयर्स की buying और selling को स्टॉक एक्सचेंज ही मॉनिटर करता है, ताकि शेयर्स की डिमांड और सप्लाई का पता लगाया जा सके। डिमांड और सप्लाई के अनुरूप ही किसी शेयर की कीमत बढ़ती या घटती है, यदि किसी शेयर को ज्यादा से ज्यादा लोग खरीदना चाहते हैं, तो उसकी डिमांड और कीमत बढ़ती है, वहीँ शेयर के विक्रेता अधिक हैं, तो उसके दाम कम हो जाते हैं।
भारतीय स्टॉक एक्सचेंज की बात की जाए तो यह स्वतंत्र और पारदर्शी है, क्योंकि इसमें कोई बाजार निर्माता या विशेषज्ञ मौजूद नहीं है। भारत के स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेडिंग (Order-driven) आर्डर-संचालित होती है, जो की इलेक्ट्रॉनिक लिमिट आर्डर बुक पर आयोजित की जाती है, यानि यहाँ पर हर एक क्रेता और विक्रेता की जानकारी देखि जा सकती है, की वह किस कीमत पर कितने शेयर बेचना या खरीदना चाहता है, और बुक आर्डर एक प्रकार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के बारे में का डेटाबेस होता है, जिसे स्टॉक एक्सचेंज द्वारा मैंटेन किया जाता है।
विभिन्न स्टॉक एक्सचेंज के नेटवर्क द्वारा ही स्टॉक मार्किट कार्य करता है, स्टॉक एक्सचेंज कंपनियों को फंड जुटाने, निवेशकों को ट्रेडिंग के लिए एक सुलभ और पारदर्शी मंच प्रदान करने, ऑर्डर्स को पास करने और उनका सेटलमेंट करने जैसे ढेरों कार्य करता है।
भारत में इस वक्त 9 एक्टिव स्टॉक एक्सचेंज हैं, जिनमे से 2 मुख्य हैं, (BSE) बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और (NSE) नेशनल स्टॉक एक्सचेंज। इन एक्सचेंज का नियंत्रण (SEBI) Securities and exchange board of India, यानि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड द्वारा किया जाता है, तो चलिए अब BSE और NSE के बारे में विस्तार से जानते हैं।
bhartiya stock exchange ka itihas | History of Indian Stock exchange in hindi
भारत में दो मुख्य स्टॉक एक्सचेंज हैं, BSE (Bombay stock exchange) और NSE (National stock exchange)
BSE (Bombay stock exchange)
यदि भारतीय स्टॉक एक्सचेंज के इतिहास की बात की जाए तो BSE भारत का और एशिया का पेहला और सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है। यह दलाल स्ट्रीट मुंबई में स्थित है, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की शुरुवात 1875 में नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन के नाम से हुई थी।
वैसे तो 1840 में ही भारत में शेयर बाजार की शुरुवात हो गई थी, जब मुंबई टाउन हॉल के पास बरगद के पेड़ के नीचे बैठ कर कुछ लोगों ने शेयरों का सौदा करना शुरू किया, जिसके बाद देखते ही देखते समय के साथ लोगों का शेयर बाजार की तरफ रुझान बढ़ा और निवेशक इसमें जुड़ते चले गए।
इसके बाद जो भी लोग इसमें जुड़े थे, उन सब ने मिलकर नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन बनाया और मुंबई दलाल स्ट्रीट में अपना एक ऑफिस खोला जहाँ आज BSE स्थित है।
147 साल पुराने इस स्टॉक एक्सचेंज ने भारतीय पूंजी बाजार और कॉर्पोरेट जगत को विकसित करने में अपनी अहम् भूमिका निभाई है। आज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की मार्किट कैपिटलाइजेशन 3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से भी अधिक है, और इसमें लगभग 5500 से भी अधिक कंपनियां लिस्टेड हैं।
शुरुवाती दौर में BSE का सारा काम-काज जैसे शेयरों का लेन-देंन, आवंटन इत्यादि सब कुछ कागजी तोर पर किया जाता था, जिसमें प्रक्रिया पूरी होने में 5 से 6 महीनों तक का समय लग जाता था, लेकिन फिर 1995 में BSE का काम-काज कंप्यूटरीकृत कर दिया गया, जिसके बाद काम में तेजी आई और पारदर्शिता भी बढ़ी।
BSE का सूचकांक यानि बेंचमार्क इंडेक्स SENSEX है, इसे BSE30 भी कहा जाता है, BSE के बारे में और अधिक जानकारी के लिए आप इसकी वेबसाइट https://www.bseindia.com/ पर जा सकते हैं।
(NSE) National stock exchange
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पूंजीकरण के मामले में देश का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। NSE का मार्किट कैप 3.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से भी अधिक है, और इसमें 2000 से अधिक कंपनियां लिस्टेड हैं। यह देश का पेहला स्टॉक एक्सचेंज था जिसने शेयर मार्किट में पेपर आधारित सिस्टम को समाप्त कर ऑटोमेटेड ट्रेडिंग की शुरुवात की थी, जिसके बाद स्टॉक मार्किट में पारदर्शिता आई और निवेशकों की संख्या में भी इजाफा हुवा, NSE का सूचकांक यानि बेंचमार्क इंडेक्स Nifty50 है।
NSE की स्थापना करने का मकसद ही भारतीय शेयर बाजार को पारदर्शी बनाना था, ताकि शेयर मार्किट के प्रति लोगों में भरोसा जगे और निवेशक बिना नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के बारे में भय के निवेश कर सकें, और अधिक जानकारी के लिए आप NSE की वेबसाइट https://www.nseindia.com पर जा सकते हैं।
अंतिम शब्द
आपने जाना Stock exchange kya hota hai और कैसे काम करता है, हमें उम्मीद है, दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। यदि इस पोस्ट से जुड़े आपके कोई सवाल हैं, तो नीचे कमेंट करके आप हमें बता सकते हैं।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया बना विश्व का सबसे बड़ा डेरिवेटिव एक्सचेंज
नई दिल्ली : नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएसई), वायदा कारोबार से जुड़ी एक संस्था फ्यूचर इंडस्ट्री एसोसिएशन (एफआईए) द्वारा आंकड़ों के मुताबिक अनुबंधों की संख्या के लिहाज से सीएमई समूह को 2019 में पीछे छोड़कर विश्व की सबसे बड़ा डेरिवेटिव (वायदा) एक्सचेंज बन गई। वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ एक्सचेंज (डब्ल्यूईएफ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक नकदी इक्विटी खंड में कारोबार की संख्या के लिहाजसे भी एनएसई वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर रही।
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इस मौके पर एनएसई के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी विक्रम लिमये ने कहा कि यह हम सबके लिए और हमारे देश के लिए सचमुच फ़ख़्र का क्षण है कि एनएसई वैश्विक स्तर पर अग्रणी एक्सचेंज बनकर उभरी है और इसने सबसे बड़े वायदा एक्सचेंज और नकदी इक्विटी कारोबार के लिहाज़ से तीसरे सबसे बड़े एक्सचेंज होने का गौरव हासिल किया है। हम सरकार, नियामकों और अपने सम्बद्ध पक्षों से मिल रहे सहयोग के आभारी हैं। हमारी उपलब्धियां सरकार और नियामक की सहयोगी नीतियों, आधुनिकतम प्रौद्योगिकी बुनियादी ढांचा, मज़बूत जोखिम प्रबंधन ढांचा, व्यापक विश्वसनीयता और वैश्विक एवं घरेलू निवेशकों की भागीदारी की बदौलत संभव हुईं।
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उन्होंने कहा कि भारत की वृद्धि और 2024 -25 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य हासिल करने के लिए बाजार का विकास महत्वपूर्ण है। मज़बूत पूँजी बाज़ार न सिर्फ वृद्धि की संभावना के लिए बल्कि हमारे युवाओं के लिए रोज़गार पैदा करने के लिए भी महत्वपूर्ण है। एनएसई सभी परिसंपत्ति वर्ग के लिए मज़बूत बाज़ार बनाने पर केंद्रित है। पिछले पांच साल में नकदी इक्विटी खंड में 90 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई है। साल 2015 में जो रोज़ाना औसत कारोबार क़रीब 17,572 करोड़ रूपये था वह साल 2019 में बढ़कर करीब 34,264 करोड़ रूपये हो गया। इसी अवधि में इक्विटी डेरिवेटिव औसत कारोबार साल 70 प्रतिशत बढ़ा और साल 2019 में यह 88,772 करोड़ रूपये हो गया जो 2015 में करीब 52,371 करोड़ रूपये था।
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वायदा और नकदी बाज़ार कारोबार का अनुपात निरंतर करीब तीन गुना बना रहा। इसके अलावा इस अवधि में एनएसई में नकदी बाज़ार में हुए कारोबार का आपूर्ति प्रतिशत करीब 60 प्रतिशत रहा। वैश्विक स्तर और भारत में हुए अनुसन्धान से साबित होता है कि वायदा बाज़ार का नकदी बाजार के कारोबार पर लाभकारी असर होता है। नकदी इक्विटी और वायदा के आकार में वृद्धि भारत नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के बारे में में इक्विटी बाज़ार के विस्तार के मद्देनज़र हो रही है। एनएसई में पिछले पांच साल के दौरान नकदी इक्विटी खंड में 1.2 करोड़ नए निवेशकों का पंजीकरण हुआ है जिसमें से करीब 87 लाख पंजीकरण पिछले तीन साल में हुए हैं। यह भी स्पष्ट हुआ कि एक तिहाई निवेशक नए निवेशक छोटे शहरों और कस्बों से आये हैं जो मोबाइल और इंटरनेट ट्रेडिंग के ज़रिये जुड़े।
स्टॉक एक्सचेंज क्या है Stock Exchange कैसे काम करता है
Stock Exchange Kya Hai- आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से शेयर मार्केट से सम्बंधित स्टॉक एक्सचेंज के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे, अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करने के बारे में सोच रहे हों तो आपको Stock Exchange के बारे में ये जानकारी जरूर होनी चाहिए की आखिर स्टॉक एक्सचेंज क्या है, स्टॉक एक्सचेंज के कार्य क्या है, तथा Stock Exchange कैसे काम करता है, हमें पूरा विश्वास है, की अगर आप इस पोस्ट को पूरा अच्छे से पढ़ते हों तो आपको स्टॉक एक्सचेंज की पूरी जानकारी यहाँ मिल जाएगी, तो चलिए शुरू करते है.
स्टॉक एक्सचेंज क्या है, Stock Exchange Kya Hai
स्टॉक एक्सचेंज एक संगठित बाजार ( Organized Market ) होता है, जहाँ शेयरों, बॉन्ड, फड़ आदि वृतीय साधनों का व्यापार किया जाता है, यहाँ व्यापार करने के लिए हर समय क्रेता ओर विक्रेता मौजूद रहते है, Stock Exchange में केवल वो ही कंपनीया व्यापार कर सकती है, जो इनमें रजिस्टर्ड यानी लिस्टेड हों.
Share market की जानकारी |
स्टॉक एक्सचेंज में बहुत सारी कम्पनियाँ लिस्ट होती है, जो अपने कंपनी के शेयर को मार्केट में उतारती है, इन शेयरों में निवेशक, निवेश करते है, ओर मुनाफा कमाते है,
स्टॉक एक्सचेंज को अच्छे से समझें तो ये दो शब्दों से मिलकर बना है, पहला स्टॉक जिसे हम शेयर या बांड कहते है, दूसरा एक्सचेंज जिसका मतलब होता है, खरीदना या बेचना यानी की स्टॉक एक्सचेंज को आसानी से समझें तो ऐसा बाजार जहाँ शेयर, बांड, प्रतिभूतियों को निवेशकों द्वारा खरीदा या बेचा जाता है.
शेयर मार्केट में निवेशक केवल उन्ही कम्पनियों के शेयर खरीद या बेच सकते है, जो कम्पनियाँ स्टॉक एक्सचेंज लिस्टेड हों स्टॉक एक्सचेंज SEBI ( Securities and Exchange Board of India ) के नियमों के आधार पर कार्य करता है.
जब कंपनी लगातार ग्रोथ करती है, तो कंपनी का ओर अधिक विस्तार कराने के लिए अधिक पूजी की आवश्यकता पड़ती है, तब अधिक पूजी जुटाने के लिए कंपनी को अपने शेयर मार्केट मे बेचने पड़ते है, शेयर बेचने के लिए कम्पनी अपनी IPO ( initial public offering ) लेकर आती है, IPO के बाद कम्पनी के शेयर स्टॉक मार्केट में सुचिबद हों जाते है, जिसके बाद Invester इन शेयर को शेयर मार्केट से खरीद लेते है.
स्टॉक एक्सचेंज में न सिर्फ शेयर बल्कि बांड, फण्ड, सरकारी प्रतिभूतियों में भी ट्रेडिंग की जाती है,
एक निवेशक स्टॉक एक्सचेंज से सीधे शेयर नहीं खरीद सकता अगर निवेशक को शेयर खरीदने है या फिर ट्रेडिंग करनी है, तो उसको सबसे पहले DP( Depository Participants ) जैसे ब्रोकर , बैंक आदि द्वारा Demat Account तथा Trading Account खुलवाना होता है, सभी DP स्टॉक एक्सचेंज के सदस्य होते है.
भारत में स्टॉक एक्सचेंज का इतिहास ( History of Stock Exchange in India )
भारत के सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज BSE ( Bombay Stock Exchange ) की स्थापना 1875 में बॉम्बे में हुवी जिसे वर्तमान में मुम्बई कहते है, BSE न सिर्फ भारत का बल्कि पुरे एशिया का पहला स्टॉक एक्सचेंज है,
पहले के समय में स्टॉक एक्सचेंज कागजो से होता था जिसमें निवेशक को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, जब निवेशक किसी कंपनी के शेयर खरीदता था तो कंपनी उसको सर्टिफिकेट भेजती थी जों प्रमाण होता था की निवेशक ने इस कंपनी के शेयर खरीद रखे है, ओर निवेशक को शेयर बेचने में भी बहुत समय लगता था पहले निवेशक कंपनी को शेयर के कागजात भेजते थे जिसके बाद कंपनी कागजात की जांच करती थी तब जाकर निवेशक को शेयर के पैसे मिलते थे जिसमें बहुत समय लगता था.
1992 में एक ओर स्टॉक एक्सचेंज NSE ( National Stock Exchange ) की स्थापना हुवी, जिसके बाद इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज सिस्टम की शुरुवात हुवी
जिसके बाद 1992 में ही भारत सरकार ने शेयर बाजार में पारदर्शिता लाने के लिए एक संस्था SEBI ( Securities And Exchange Board Of India ) की स्थापना की SEBI का मुख्य उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना तथा शेयर बाजार में नये - नये नियमों को लागू कर शेयर बाजार को विकसित करना था.
1995 में BSE को NSE की तरह ही अपनी कंपनियों को SEBI से लिस्ट करवाना पड़ा तब से लेकर आज तक BSE ओर NSE दोनों स्टॉक एक्सचेंज SEBI के नियमों के अंतर्गत कार्य करते है.
भारत के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज
भारत में मुख्य तौर पर दो प्रकार के स्टॉक एक्सचेंज मौजूद है,
- BSE ( Bombay Stock Exchange )
- NSE ( National Stock Exchange )
1- BSE ( Bombay Stock Exchange )
BSE ( बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ) की स्थापना 1875 में हुवी थी BSE भारत का ही नहीं बल्कि पुरे एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है,यह पुरे दुनिया में सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज में 10 वे नंबर पर आता है, BSE का सूचकांक Sansex है, सेंसेक्स की 1986 में हुवी थी, सेंसेक्स में 30 कम्पनियाँ शामिल होती है.
2- NSE ( National Stock Exchange )
NSE ( National Stock Exchange ) की स्थापना 1992 में हुवी थी यह पुरे दुनिया में सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज में 11 वे नंबर पर आता है, NSE का सूचकांक Nifty है, निफ्टी की शुरुवात 1996 में हुवी निफ्टी में देश की सबसे बड़ी कम्पनियाँ शामिल होती है.
स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है
वैसे देखा जाये तो स्टॉक एक्सचेंज में कोई बाजार निर्माता या विशेषज्ञ नहीं होते है, जिसके कारण यह स्वतंत्र रूप से कार्य करता है, स्टॉक एक्सचेंज में ऑडर की पूरी प्रकिया ऑडर यानी खरीदने / बेचने पर संचलित होती है, ओर इन ऑडरों को इलेक्ट्रॉनिक लिमिट ऑडर द्वारा संचलित किया जाता है, बस यहाँ निवेशक को केवल ऑडर करना होता है, ऑडर ऑटोमेटिकली ट्रेडिंग कम्प्यूटरस की मदद से मेल हों जाते है, स्टॉक एक्सचेंज के इलेक्ट्रॉनिक रूप का सबसे बड़ा फायदा यह है, की यह मार्केट ऑडर को सार्वजनिक रूप से पारदर्शिता के साथ प्रदर्शित करता है.
किसी भी कंपनी या फर्म के शेयर उनके फाउंडर या पार्टनर्स के पास होते है ओर जब कंपनी लगातार ग्रोथ करती है, तो कंपनी को अधिक पूजी की आवश्यकता पड़ती है, तब अधिक पूजी जुटाने के लिए कंपनी के पास दो ऑप्शन होते है एक तो ऋण दूसरा पब्लिक जिसमें कंपनी दूसरे ऑप्शन को चुनती है, इसमें कम्पनी अपने शेयर जनता के सामने सार्वजनिक करती है, शेयर बेचने के लिए कम्पनी अपनी IPO ( initial public offer ) लेकर आती है, IPO के बाद कम्पनी स्टॉक एक्सचेंज में सुचिबद हों जाती है, जिसके बाद Invester, ब्रोकर यानी DP द्वारा कंपनी के शेयर को शेयर मार्केट से खरीदते है, उनमे ट्रेडिंग करते है,तथा जिससे कम्पनी को पूजी की प्राप्ति हों जाती है.
शेयर मार्केट में हर समय निवेशक शेयर को खरीदते बेचने के लिए ऑडर करते रहते है, शेयर को खरीदने / बेचने के लिए वो ऑडर लगा देते है, जिसके बाद स्टॉक एक्सचेंज का ट्रेडिंग सिस्टम ऑटोमेटीक ऑडरो को मैच कर ऑडर कंपनी कर देता है |
स्टॉक एक्सचेंज में निवेश के तरीके
- प्राइमरी मार्केट
- सेकेंडरी मार्केट
1- प्राइमरी मार्केट
जब कंपनी लगातार ग्रोथ कर रही होती है तब उसको अधिक पूजी की आवश्यकता होती है, तब अधिक पूजी जुटाने के लिए बहुत सारी कंपनीयाँ स्टॉक एक्सचेंज के जरीये कंपनी की कुछ हिस्सेदारी बेच देती है, इसके लिए कंपनीयाँ IPO जारी करती नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के बारे में है, इसे प्राइमरी मार्केट कहते है, इसके लिए कम्पनियों को स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्ट्रेशन कराना होता है, जिसके बाद कंपनी के शेयर आम जनता के खरीदने के लिए उपलब्ध हों जाते है, स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होकर कम्पनियाँ प्राइमरी मार्केट के जरीये निवाशकों तक पहुँच बनाती है.
2- सेकेंडरी मार्केट
जहाँ निवेशक सीधे तौर पर कंपनी से share न खरीद कर ओर निवेशकों द्वारा बेचे गये कंपनी के share को खरीदते है, सेकेंडरी मार्केट उसे ही नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के बारे में कहाँ जाता है, वास्तव में हम सेकेंडरी मार्केट से ही शेयर खरीदते है, ओर इसे ही हम शेयर बाजार कहते है,
उदाहरण - इसमें ये होता है, की किसी निवेशक ने किसी कंपनी का एक शेयर 100 में ख़रीदा है, अब वो 101 में उसे Sell के लिए ऑडर कर देता है, अब जिस निवेशक को भी 101 में उस कंपनी का शेयर खरीदना है, वो उसको Buy कर लेगा ओर उस कंपनी का हिस्सेदार बन जायेगा,
Share Market Today, 10 Nov 2022: स्टॉक मार्केट में तूफान! ग्लोबल मार्केट के लुढ़कने से भारतीय बाजार भी हुए धड़ाम
Share Market News Today (आज का शेयर बाजार), 10 November 2022: बुधवार को तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 151.60 अंक यानी 0.25 फीसदी नीचे गिरकर 61,033.55 पर बंद हुआ था। निफ्टी 45.80 अंकों की गिरावट के साथ 18,157 पर बंद हुआ था।
Updated Nov 10, 2022 | 01:नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के बारे में 38 PM IST
Share Market Today, 10 Nov 2022: स्टॉक मार्केट में तूफान! ग्लोबल मार्केट के लुढ़कने से भारतीय बाजार भी हुए धड़ाम
Share Market Today: स्टॉक मार्केट में तूफान!
Share Market News Today, 10 Nov 2022: वैश्विक बाजारों नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के बारे में में कमजोर रुख और ऑटो, बैंकिंग के शेयरों में जबर्दस्त गिरावट से आज यानी गुरुवार को प्रमुख शेयर सूचकांकों में जोरदार गिरावट देखी जा रही है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स टूटकर 61,000 अंक से भी नीचे आ गया है। अमेरिकी डॉलर की तुलना में भारतीय रुपये के कमजोर होने से भी घरेलू शेयर बाजार प्रभावित हुआ है।
दोपहर 1:38 बजे 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 536.93 अंक यानी 0.88 फीसदी गिरकर 60,496.62 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। इसी तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 164.85 अंक यानी 0.91 फीसदी फिसलकर 18,000 से भी नीचे यानी 17992.15 अंक पर पहुंच गया।