दिन के कारोबार के लिए एक परिचय

कौन भारतीय बिटकॉइन वॉलेट

कौन भारतीय बिटकॉइन वॉलेट
मौजूदा समय में वैश्विक स्तर पर क्रिप्टो की मार्केट कैपिटलाइजेशन 52.8 लाख करोड़ रुपये है, जबकि पिछले 24 घंटों में कुल क्रिप्टो वॉल्यूम 4.06 लाख करोड़ रुपये है।

भारत में बिटकॉइन दर(bitcoin rate in India)

भारत में बिटकॉइन दर(कौन भारतीय बिटकॉइन वॉलेट bitcoin rate in India),bitcoin का रेट हर समय बदलता रहता है जब में ये आर्टिकल लिख रहा हु उस समय बिटकॉइन का रेट 5,098,052.57 है ,इसकी करंट रेट देकने के लिए आप इस वेबसाइट का भी देख है https://www.buyucoin.com/ .

हम आज आप को बिटकॉइन की पूरी जानकारी देंगे जिससे आप को बिटकॉइन के बारे में पूरी जानकारी मिल सके ,

बिटकॉइन एक डिजिटल करेंसी है जो पूरी तरह से फ्री में काम करती है, यानी यह किसी बैंक या सरकार के नियंत्रण में नहीं है। एक मुद्रा जो पूरी तरह से आभासी है। आप इसे नकदी के ऑनलाइन संस्करण के रूप में भी सोच सकते हैं।

चूंकि बिटकॉइन विकेंद्रीकृत डिजिटल कैश है, इसलिए इसके सभी लेनदेन एक पीयर-टू-पीयर कंप्यूटर नेटवर्क का उपयोग करके किए जाते हैं, कौन भारतीय बिटकॉइन वॉलेट कौन भारतीय बिटकॉइन वॉलेट अर्थात यहां सभी खरीद की पुष्टि उपयोगकर्ताओं द्वारा की जाती है। वहीं, यहां किसी भी बैंक या सरकार का दखल बिल्कुल नहीं है।

बिटकॉइन क्या है?

बिटकॉइन को 2009 में सतोशी नाकामोटो नाम के एक व्यक्ति या समूह द्वारा पेश किया गया था। बिटकॉइन का मतलब नकदी का एक डिजिटल संस्करण बनाने का एक तरीका था, जहां एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को बिना किसी वित्तीय संस्थान या किसी अन्य बिचौलिए के माध्यम से भुगतान किया जा सकता है, जो इस प्रकार के भुगतान के लिए शुल्क ले सकता है और धीमा कर सकता है। प्रोसेसिंग समय।

बिटकॉइन का उपयोग कोई भी कर सकता है जैसे हम सभी इंटरनेट का उपयोग कौन भारतीय बिटकॉइन वॉलेट करते हैं और इसका कोई मालिक नहीं है, उसी तरह बिटकॉइन भी है।

बिटकॉइन का उपयोग क्यों किया जाता है?

हम बिटकॉइन का उपयोग ऑनलाइन भुगतान करने या किसी भी प्रकार के लेनदेन करने के लिए कर सकते हैं बिटकॉइन पीयर-टू-पीयर नेटवर्क-आधारित पर काम करता है जिसका अर्थ है कि लोग बिना किसी बैंक, क्रेडिट कार्ड या किसी भी कंपनी के एक दूसरे के साथ आसानी से लेनदेन कर सकते हैं।

बिटकॉइन आज की दर(bitcoin rate in India)

बिटकॉइन का मूल्य आज के दिन में लगभग $50,456 है, जिसका अर्थ है कि एक बिटकॉइन का मूल्य 48,85,000 है। इसका मूल्य कम या ज्यादा होता रहता है क्योंकि इसे नियंत्रित करने का कोई अधिकार नहीं है, इसलिए इसका मूल्य इसकी मांग के अनुसार बदलता रहता है।

बिटकॉइन वॉलेट क्या है?

हम बिटकॉइन को केवल इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्टोर कर सकते हैं और इसे रखने के लिए बिटकॉइन वॉलेट की जरूरत होती है। बिटकॉइन वॉलेट कई प्रकार के होते हैं जैसे कि डेस्कटॉप वॉलेट, मोबाइल वॉलेट, ऑनलाइन/वेब-आधारित वॉलेट, हार्डवेयर वॉलेट, इनमें से किसी एक वॉलेट का इस्तेमाल करके हमें उसमें अकाउंट बनाना होता है।

यह वॉलेट हमें एड्रेस के रूप में एक यूनिक आईडी देता है, जैसे अगर आपने कहीं से बिटकॉइन कमाया है और आपको उसे अपने अकाउंट में स्टोर करना है तो आपको वहां उस एड्रेस की जरूरत पड़ेगी और उसकी मदद से आप बिटकॉइन ट्रांसफर कर सकते हैं। आपके खाते में। जेब में रख सकते हैं।

Cryptocurrency Bill: क्रिप्टो बैन की खबरों के बीच कीमतों में उछाल, नई करेंसी की हुई एंट्री

क्रिप्टो करेंसी में पैसा लगाने वाले 10 करोड़ लोगों के लिए आज बड़ा दिन है। केंद्र सरकार आज से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में बहुप्रतीक्षित ‘द क्रिप्टो करेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ पेश करने के लिए तैयार है। क्रिप्टो उद्योग एक सकारात्मक रेग्युलेशन की प्रतीक्षा कर रहा कौन भारतीय बिटकॉइन वॉलेट है जो कुछ प्रतिबंधों के साथ क्रिप्टो में निवेश और व्यापार की अनुमति दे सकता है। क्रिप्टो बिल को लेकर अब तक कौन भारतीय बिटकॉइन वॉलेट पॉज़िटिव और नेगेटिव दोनों तरह की चर्चा रही है।

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क्रिप्टो बिल पर WazirX के फाउंडर निश्चल शेट्टी का कहना है कि सरकार यह बिल क्रिप्टो को बैन करने के लिए नहीं, बल्कि इसे रेगुलेट करने के लिए लेकर आ रही है, निवेशकों को घबराने की आवश्यकता नहीं है। शायद यही कारण है कि आज क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में भी बढ़त देखने को मिली। बिटकॉइन का कारोबार 57,000 डॉलर से ऊपर है।

बिटकॉइन प्राइस को कौन कंट्रोल करता है

बिटकॉइन प्राइस (Bitcoin Price) को कौन कंट्रोल करता है? यह सवाल कौन भारतीय बिटकॉइन वॉलेट कई बार उठाया जाता है। लेकिन आपको बता दें कि बिटकॉइन प्राइस (Bitcoin Price) को कोई भी कंट्रोल नहीं करता है। यह एक विकेन्द्रीकृत (Decentralized) मुद्रा है। मतलब इसका कोई केंद्र नहीं है, इसका कोई दफ्तर नहीं है।

जैसे भारतीय रुपये को आरबीआई कंट्रोल करता है। किसी भी तरह की समस्या होने पर हम रिजर्व बैंक से गुहार लगा सकते हैं लेकिन बिटकॉइन के मामले में ऐसा नही है। बिटकॉइन को खरीदने और बेचने के लिए कई एप का इस्तेमाल किया जाता है।

जैसा कि हमने पहले बताया है कि बिटकॉइन की एक निश्चित संख्या है। इस लिए जब ज्यादा लोग बिटकॉइन को खरीद लेते हैं तो खुले में बिटकॉइन कम बचते हैं। इस लिए उसका दाम अपने आप बढ़ जाता है। वहीं जब यही लोग बिटकॉइन को बेंचने लगते हैं तो इसका दाम कम होने लगता है। क्योंकि बाजार में बहुत सारे बिटकॉइन आ जाते हैं।

बिटकॉइन का इस्तेमाल कैसे किया जाता है

बिटकॉइन का इस्तेमाल करने के लिए पहले बिटकॉइन वॉलेट की आवश्यक्ता होती है। वालेट सेंडर और रिसीवर यानी भेजने वाले और पाने वाले दोनों के पास होना चाहिए। उसके बाद रिसीवर यानी बिटकॉइन पाने वाला सेंडर को अपना बिटकॉइन एड्रेस देता है।

सेंडर अपने वॉलेट में उस एड्रेस को डालता है और कितना बिटकॉइन भेजना है यह लिख कर सेंड कर देता है। इस प्रोसेस को पूरा करते ही सेंडर के वॉलेट में पड़े बिटकाइन कट जाते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि बिटकॉइन तुरंत ही पहुंच जाता है।

वह कई कंप्यूटरों से जुड़ा होता है। वहां से वेरीफाई होने के बाद वह रिसीवर को मिलता है। इस प्रक्रिया में 5-6 मिनट लग जाते हैं। कई बार यह समय आधे घंटे तक हो जाता है। अब सवाल यह आता है कि जब कोई सेंट्रल सिस्सटम नहीं होता तो आखिर बिटकॉइन वेरीफाई किस कंप्यूटर से होता है?

बिटकॉइन कैसे प्रचलित हुआ

बैंकों से पैसे के ट्रांसफर में समय और धन ज्यादा लगता है। साथ ही यह खर्च और बढ़ जाता है जब आप विदेशों से पैसा भेज रहे हों। फॉरेन एक्सचेंज में लोगों का ज्यादा खर्च लगता था। जबकि यही दाम बिटकॉइन ट्रांसफर में बहुत ही कम हो गया।

कहा जाए तो भेजी जाने वाली राशि के 1 प्रतिशत से भी कम दाम में। जिसके बाद लोगों ने बिटकॉइन का इस्तेमाल शुरू कर दिया। इसकी एक खास बात और थी कि इसे ट्रैक नहीं किया जा सकता था। जिसके कारण सरकारें चिंतित हो गईं।

कई देशों की सरकारों का मानना था कि बिटकॉइन का इस्तेमाल करके अवैध व्यापार जैसे स्म्गलिंग, हथियारों का धंधा किया जा सकता है। इस लिए कई देशों ने इसे बैन कर दिया। बिटकॉइन से पैसा भेजने का फायदा यह भी था कि बिटकॉइन वॉलेट का अकाउंट ब्लॉक नहीं होता है।

बिटकॉइन का दाम (Bitcoin Price) क्यों सर्च किया गया

साल 2017 में जिस समय गुजरात में चुनाव थे उस समय बिटकॉइन का दाम तेजी से बढ़ने लगा। जिससे बिटकॉइन खबरों में आ गया। लगातार खबरों में उसके दाम के बढ़ने का सिलसिला देखने को मिल रहा था। कभी जनवरी 2017 में 1 लाख रुपये का बिटकॉइन दिसंबर 2017 तक 14 लाख रुपये पहुंच गया।

जिसके कारण बिटकॉइन की ओर लोग आकर्षित हुए और बंपर इन्वेस्ट भी किया। लेकिन दिसंबर के बाद दाम गिरने लगा। आज बिटकॉइन का दाम 3 लाख रुपये से भी कम है। बिटकॉइन के लगातार घटते बढ़ते दामों को देखने के लिए लोगों ने बिटकॉइन प्राइस (Bitcoin Price) सर्च किया।

क्रिप्टोकरेंसी: बिटकॉइन, इथेरियम और सोलाना समेत अन्य टोकन में दिखी गिरावट

क्रिप्टोकरेंसी: बिटकॉइन, इथेरियम और सोलाना समेत अन्य टोकन में दिखी गिरावट

क्रिप्टोकरेंसी बाजार मे एक बार फिर बिटकॉइन, इथेरियम, सोलाना, पॉलिगन, पोल्काडॉट समेत अन्य लोकप्रिय टोकन में भारी गिरावट देखने को मिली है। पिछले 24 घंटे में बिटकॉइन की वैल्यू 4.93 फीसदी कम हुई है, जिसके बाद यह 12,92,282 रुपये पर कारोबार कर रहा है। बिटकॉइन का मार्केट कैपिटलाइजेशन 24.8 लाख करोड़ रुपये का है। इसके अलावा इथेरियम में भी 6.25 फीसदी की कमी देखी गई है। वर्तमान में इथेरियम 95,620 रुपये पर कारोबार कर रहा है।

BNB कॉइन 21,789 रुपये पर कारोबार कर रहा है। कल की तुलना में BNB की वैल्यू में 4.85 फीसदी की कमी देखी गई है। इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन 3.5 लाख करोड़ रुपये का है। आज रिपल XRP की कीमत 26.43 रुपये (10.32 फीसदी नीचे) पर कारोबार कर रहा है। कार्डानो और डॉजकॉइन की कीमत क्रमशः 25.66 रुपये (3.74 फीसदी नीचे) और 6.60 रुपये (8.95 फीसदी नीचे) पर कारोबार कर रहे हैं।

कौन-क्यों कर रहा क्रिप्टोकरेंसी में निवेश?

क्रिप्टोकरेंसी तेजी से एक स्वीकार्य एसेट क्लास बनता दिख रहा है. 18-35 आयु वर्ग के निवेशक खासतौर पर गोल्ड की तुलना में डिजिटल करेंसी पर ज्यादा भरोसा दिखा रहे हैं. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल डाटा के मुताबिक भी 34 वर्ष से कम के निवेशकों को येलो मेटल कम लुभाता है. क्रिप्टो के आकर्षक होने की अहम वजह सोने की तुलना में ज्यादा ट्रांसपेरेंसी और कम अवधि में रिटर्न है. साथ ही डिजिटल करेंसी के साथ वेरिफिकेशन की भी परेशानी नहीं होती. खरीद बिक्री में आसानी ने भी निवेशकों को क्रिप्टो की तरफ मोड़ा है.

देश में दुनिया की सबसे बड़ी IT आबादी है और यह कौन भारतीय बिटकॉइन वॉलेट बढ़ते स्मार्टफोन बाजारों में से एक है.इसी का परिणाम है कि ई-कॉमर्स प्लेयर्स और ऑनलाइन भुगतान भी तेजी से बढ़ रहे हैं.इससे क्रिप्टोकरेंसी के बारे में जागरूकता का स्तर और जिज्ञासा भी बढ़ी है. ई-कॉमर्स प्लेयर्स तेजी से क्रिप्टोकरेंसी को अपने पेमेंट गेटवे के रूप में अपना सकते हैं.

तेजी से क्यों बढ़ रहा क्रिप्टोकरेंसी क्रेज ?

भारत में क्रिप्टोकरेंसी क्रेज का सबसे बड़ा कारण है कि इसमें लेनदेन में वक्त जाया नहीं होता.खरीदने,ट्रांसफर करने और ट्रांजेक्शन की तेज तकनीक इसे भारत की बड़ी युवा आबादी के बीच पॉपुलर करती है.

एक कारण यह भी है कि पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम की तरह यहाँ फीस नहीं देनी कौन भारतीय बिटकॉइन वॉलेट पड़ती.

क्रिप्टोकरेंसी में प्रयोग होने वाली ब्लॉकचेन तकनीक भी लोगो को इसकी ओर आकर्षित कर रही है.ट्रेड फाइनेंस में ब्लॉकचेन तकनीक का प्रमुख लाभ यह है कि यह प्रोसेसिंग टाइम को कम कर सकता है, कागज के उपयोग को समाप्त कर सकता है और पारदर्शिता, सुरक्षा और विश्वास सुनिश्चित करते हुए पैसे बचा सकता है.

क्रिप्टोकरेंसी पर किसी एक का कब्जा नहीं है.यहां पर यूजर के पास तमाम विकल्प उपलब्ध है.यह बैंकिंग सिस्टम की अपेक्षा इसे ज्यादा लचीला बनता है.

कोविड -19 वैक्सीन तेजी से आर्थिक सुधार को सक्षम कर सकती है.ऐसे समय में जब सरकारें और केंद्रीय बैंक अभी भी बड़ी मात्रा में आपातकालीन सहायता प्रदान कर रहे हैं - जो मुद्रास्फीति के एक विस्फोट को ट्रिगर कर सकता है. कुछ निवेशक क्रिप्टोकरेंसी को सोने के समान एसेट स्टोर के रूप में देखते हैं, जो आर्थिक तनाव या बढ़ती मुद्रास्फीति के समय भी अपने मूल्य को बनाए रख सकता है.

सरकारी बेरुखी का निवेशकों पर असर नहीं

केंद्र सरकार और RBI ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर समय समय पर चिंता जताई है. RBI ने कुछ महीने पहले संबंधित 'मेजर कंसर्न' की तरफ इशारा किया था. वहीं, सरकार की तरफ से डिजिटल कॉइन पर प्रतिबंध के संकेत मिले थे.राज्यसभा में इस संबंध में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए वित्त और कॉरपोरेट कार्य राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा था कि "वर्तमान में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े मसलों से निपटने के लिए अलग से कोई कानून नहीं कौन भारतीय बिटकॉइन वॉलेट है. इस प्रकार आरबीआई, प्रवर्तन निदेशालय, आयकर प्राधिकरण जैसे सभी संबद्ध विभाग और काननू का अनुपालन करवाने वाली एजेंसियां मौजूदा कानून के अनुसार कार्रवाई करती हैं."

इसके बावजूद क्रिप्टो के लिए बढ़ती रुचि अहम है. सख्त बैन की खबरों के बाद से अब तक गवर्नमेंट इस विषय पर शांत है. 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने 2018 का एक नियम खारिज कर दिया जिसमें बैंकों को क्रिप्टो व्यापार से दूर रखा गया था. जानकारों के मुताबिक अगर यह बैन नहीं आया होता तो क्रिप्टो बाजार और भी बड़ा हो सकता था.

अगर बैन लगा तो ये निवेशक क्या कर सकते हैं?

भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर बैन की स्थिति में, कई निवेशकों के लिए अपनी एसेट्स(क्रिप्टो) को बेचना सबसे आसान और तार्किक मार्ग होगा, लेकिन उनके पास अन्य विकल्प भी मौजूद हैं-

निवेशक अपनी क्रिप्टो एसेट को 'सेल्फ-कस्टडी वॉलेट' में ट्रांसफर कर सकते हैं, जो USB ड्राइव, माइक्रो SD कार्ड या स्मार्ट कार्ड के रूप में डिजिटल डिवाइस हैं. ये डिवाइस निवेशकों की निजी बिटकॉइन key या keys को संग्रहीत करते हैं. बिटकॉइन को स्टोर करने के लिए कुछ लोकप्रिय हार्डवेयर वॉलेट जैसे लेजर, ट्रेजर, सेफपाल और बिटलॉक्स उपलब्ध हैं.निवेशक इन वॉलेट में अपनी क्रिप्टो एसेट को स्टोर कर सकते हैं और इन वॉलेट्स को विदेशों में रह रहें अपने दोस्तों या परिवार को भेज सकते हैं,यदि वे बैन की स्थिति में अपने वॉलेट को भारत में रखने को लेकर चिंतित हैं.

हालाँकि, यहाँ भी एक मुश्किल है. यदि निवेशक भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज से वॉलेट के माध्यम से अपनी क्रिप्टो एसेट को हार्ड ड्राइव या पेन ड्राइव में स्थानांतरित करता है, तो कौन भारतीय बिटकॉइन वॉलेट रेगुलेटरी ऑथोरिटी इन क्रिप्टोकरेंसी को ट्रैक कर सकते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि सभी भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज KYC (अपने ग्राहक को जानें) मानदंडों का पालन करते हैं और यूजर्स को साइन अप करने के लिए अपने पैन कार्ड डिटेल देने की आवश्यकता होती है.

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