वास्तविक उपज

एहसास हुआ यील्ड
वास्तविक उपज एक निवेश के लिए होल्डिंग अवधि के दौरान अर्जित वास्तविक रिटर्न है । इसमें लाभांश, ब्याज भुगतान और अन्य नकद वितरण शामिल हो सकते हैं। शब्द “एहसास उपज” को इसकी परिपक्वता तिथि या लाभांश-भुगतान सुरक्षा से पहले बेचे गए बॉन्ड पर लागू किया जा सकता है । सामान्यतया, बॉन्ड पर प्राप्त उपज में होल्डिंग अवधि के दौरान प्राप्त कूपन भुगतान शामिल हैं, साथ ही मूल निवेश के मूल्य में परिवर्तन, या वार्षिक आधार पर गणना।
चाबी छीन लेना
- वास्तविक उपज एक निवेश के लिए होल्डिंग अवधि के दौरान अर्जित वास्तविक रिटर्न है, और इसमें लाभांश, ब्याज भुगतान और अन्य नकद वितरण शामिल हो सकते हैं।
- परिपक्वता की तारीखों के साथ निवेश पर प्राप्त पैदावार, अधिकांश परिस्थितियों में परिपक्वता की उपज से भिन्न होने की संभावना है।
- बॉन्ड मार्केट में, “एहसास पैदावार” और “एहसास वापसी” शब्दों का इस्तेमाल करना आम है।
- शब्द “एहसास उपज” बॉन्ड, सीडी और फिक्स्ड-इनकम फंड्स पर लागू होता है, लेकिन “एहसास रिटर्न” आमतौर पर शेयरों के लिए पसंदीदा शब्द है।
समझ में आया यील्ड
परिपक्वता की तारीखों के साथ निवेश पर प्राप्त पैदावार अधिकांश परिस्थितियों में परिपक्वता ( YTM ) की उपज से भिन्न होने की संभावना है। एक अपवाद तब होता है जब किसी बॉन्ड को अंकित मूल्य पर खरीदा और बेचा जाता है, जो कि परिपक्वता के समय बांड का मोचन मूल्य भी होता है। उदाहरण के लिए, 5% के कूपन के साथ एक बॉन्ड जो अंकित मूल्य पर खरीदा और बेचा जाता है, होल्डिंग अवधि के लिए 5% की वास्तविक उपज देता है। जब यह परिपक्व होता है तो उसी बॉन्ड को अंकित मूल्य पर भुनाया जाता है, जो 5% की परिपक्वता के लिए उपज प्रदान करता है। अन्य सभी परिस्थितियों में, प्राप्त पैदावार की गणना प्राप्त भुगतानों के आधार पर की जाती है और निवेश की गई राशि के सापेक्ष मुख्य मूल्य में परिवर्तन ।
एहसास उपज एक बांड बाजार प्रतिभागी को वास्तव में मिलता है, जो जरूरी नहीं कि परिपक्वता को बताई गई उपज है। समान क्रेडिट गुणवत्ता को देखते हुए, एक 3 साल के कूपन के साथ एक साल का बांड और $ 102 पर $ 100 की बिक्री का एक प्रिंसिपल लगभग 1 साल के कूपन के साथ एक साल के बांड के बराबर होता है, जो अंकित मूल्य पर बेचता है। हम इस समानता को यह कहकर व्यक्त करते हैं कि इन दोनों बांडों में लगभग 1% की परिपक्वता के लिए उपज है। हालांकि, मान लीजिए कि एक महीने बाद बाजार की ब्याज दर आधा प्रतिशत गिर जाती है, और एक साल के बांड की कीमतें कम दरों के जवाब में लगभग 0.5% बढ़ जाती हैं। यदि निवेशक बिना किसी कूपन भुगतान के केवल एक महीने के बाद बांड बेचता है, तो परिणाम वार्षिक आधार पर 6% से अधिक की वास्तविक उपज है।
उच्च उपज वाले बांडों के मूल्यांकन के लिए वास्तविक उपज भी एक असाधारण उपयोगी अवधारणा है । वास्तविक उपज निवेशकों को इस तथ्य से निपटने का एक तरीका देती है कि कुछ उच्च उपज वाले बांड लगभग हमेशा डिफ़ॉल्ट होते हैं।
उच्च पैदावार वाले बॉन्ड फंड की वास्तविक पैदावार इसकी पैदावार की तुलना में कम होने की संभावना है क्योंकि चूक के कारण परिपक्वता के लिए।
एक उदाहरण यह बताने में मदद करेगा कि उच्च उपज वाले बॉन्ड बाजार में पैदावार कैसे काम करती है। मान लीजिए कि ब्याज दरें और समग्र डिफ़ॉल्ट जोखिम एक विशेष वर्ष के लिए समान हैं। उस वर्ष में, एक साल के कोषाध्यक्ष 0.5% की परिपक्वता के लिए उपज दे रहे हैं। इसी समय, एक उच्च-उपज बॉन्ड फंड में 5% की परिपक्वता के लिए उपज है, लेकिन वर्ष के दौरान 3% बॉन्ड डिफ़ॉल्ट होते हैं। 5% की परिपक्वता की उपज की तुलना में, उच्च-उपज बॉन्ड फंड के लिए एहसास उपज चूक के कारण सिर्फ 2% थी। दूसरी ओर, ट्रेजरी के लिए वास्तविक उपज 0.5% थी, जो परिपक्वता के लिए उनकी उपज के समान थी।
एहसास हुआ यील्ड बनाम वास्तविक रिटर्न
वास्तविक रिटर्न की तरह, वास्तविक उपज, निवेशक वास्तव में कितना पैसा है। बॉन्ड मार्केट में, “एहसास पैदावार” और “एहसास वापसी” शब्दों का इस्तेमाल करना आम है। हालांकि, शब्द “एहसास वापसी” आमतौर पर शेयर बाजार में “एहसास उपज” के बजाय उपयोग किया जाता है। उच्च लाभांश उपज स्टॉक प्रमुख अपवाद हैं।
वास्तविक पैदावार के प्रकार
वास्तविक उपज कुल रिटर्न है जब एक निवेशक परिपक्वता से पहले एक बांड बेचता है। उदाहरण के लिए, $ 1,000 के अंकित मूल्य पर खरीदे गए 3% कूपन के साथ तीन वर्षों में एक बांड परिपक्व होने से 3% की परिपक्वता के लिए उपज होती है। अगर 960 डॉलर में खरीदने के एक साल बाद बांड को बेचा जाता है, तो मूलधन का नुकसान 4% है। 3% का कूपन भुगतान एहसास की उपज को नकारात्मक 1% तक लाता है। इसके बजाय, मान लीजिए कि इस तरह के बॉन्ड को प्रिंसिपल में 2% लाभ के लिए एक साल बाद 1,020 डॉलर में बेचा जाता है। इस मामले में, 3% कूपन भुगतान के कारण वास्तविक उपज 5% तक बढ़ जाती है।
प्रारंभिक सीडी निकासी
परिपक्वता तिथि से पहले नकद जमा करने वाले जमाकर्ताओं का प्रमाण पत्र अक्सर जुर्माना देना पड़ता है। दो साल की सीडी पर, जल्दी निकासी के लिए विशिष्ट शुल्क छह महीने का ब्याज है। उदाहरण के लिए, ऐसा निवेशक कहें जो दो साल की सीडी को भुनाता है, जो एक साल के बाद 1% का भुगतान करता है, उस पर 1,000 डॉलर ब्याज मिलता है। छह महीने की सजा $ 500 के बराबर है। इस शुल्क का भुगतान करने के बाद, निवेशक को 0.5% की वास्तविक उपज के लिए एक वर्ष में 500 डॉलर मिलते हैं।
फिक्स्ड-इनकम फंड
एहसास उपज के लिए गणना परिपक्वता तिथियों के बिना ट्रेड किए गए फंड ( ईटीएफ ) और अन्य निवेश वाहनों को एक्सचेंज करने के लिए भी लागू होती है। उदाहरण के लिए, एक निवेशक जो ईटीएफ धारण करता है, जो वास्तव में दो वर्षों के लिए 4% ब्याज का भुगतान करता है और 2% लाभ के लिए बेचता है, ब्याज में प्रति वर्ष 4% अर्जित करता है। प्रति वर्ष 1% लाभ के लिए प्रिंसिपल की वृद्धि दो साल की होल्डिंग अवधि में फैली हुई है, जिससे प्रति वर्ष 5% की प्राप्ति हुई है।
वास्तविक उपज
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धारा दक्षता (Current efficienc .
Updated On: 27-06-2022
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Solution : धारा दक्षता (Current efficiency) -”धारा दक्षता” = “वास्तविक उपज”/”सैद्धान्तिक उपज”` xx 100`
वास्तविक उपज = पदार्थ की इलेक्ट्रोड पर निक्षेपित हुई मात्रा
सैद्धान्तिक उपज = पदार्थ की फैराडे नियम या आयन इलेक्ट्रॉन समीकरण से परिकलित मात्रा जो इलेक्ट्रोड पर, निक्षेपित होना अपेक्षित थी।
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Aap ko kya acha nahi laga
हेलो फ्रेंड तुम्हारा प्रश्न है की धारा दक्षता यानी की करंट अफेयर से आप क्या समझते हैं हम बात करें धारा दक्षता क्या होती है हमारी जो है अगर बात करें कि धारा दक्षता नाराज हो गए क्या होगी लिखित धारा दक्षता जो है धारा दक्षता यह हमारी होती है बराबर किसके यह हमारी होती है जैसे कि अगर हम देखें जो है वास्तविक जो है वास्तविक ओपन बर्थडे में जो है सैद्धांतिक सैद्धांतिक जो है ओपन हमने जो है इसको शॉर्ट फॉर्म में बताया है इससे हमें याद रहे ठीक है
वास्तविक उपज भर्ती में सैद्धांतिक उपज पुणे में ताव पदार्थ की मात्रा यानी कि पदार्थ जो कोई है उसकी जो है इलेक्ट्रोड पर कितनी हमारी मातराजो है आई यानी कि निक्षेपित हुई वहीं सैद्धांतिक उपजी आने की पदार्थ की जो है पैराडेनिया आई एन इलेक्ट्रिक आयन इलेक्ट्रॉन समीकरण से परिचालित मात्रा जो हमारा जो है इलेक्ट्रोड पर निक्षेपित होना जो है या हमारा इलेक्ट्रॉन पर निश्चित होना हमारा होगा क्या सर धाम की गुफा तभी कूपन कूपन और हमारा जो है धान सिद्धांत क्या है
दोनों काम देखते हैं रोड पर निक्षेपित हुई मात्रा में पदार्थ पर इलेक्ट्रोड की मात्रा निश्चित हुई थी और वही बात करेगी हमारा सिद्धांत क्या है कि हमारा जो है पदार्थ की पैराडेनिया इलेक्ट्रॉन समीकरण से जो है परिकल्प जो है मातराजो इलेक्ट्रॉन पर निक्षेपित होना परिस्थिति कूपन तथा प्रांतिक उपाध्याय हमारा हो गया और बेटे में पुणे में हमारा क्या है तो ठीक है हमारी होती है क्या धारा दक्षता ठीक है थैंक यू
अफसरों की लापरवाही ने डुबा दी किसानों की फसल बीमा राशि
खंडवा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। अफसरों लापरवाही के कारण किस तरह पात्र हितग्राही शासन की योजनाओं से वंचित रह जाते हैं इसका एक उदाहरण प्रधानमंत्री फसल योजना का सामने आया है। आरोप है कि योजना के तहत अधिकारियों ने एक साल पुरानी फसल अनावरी रिपोर्ट शासन को प्रस्तुत कर दी। इस एक लापरवाही से जिले के हजारों किसानों की फसल बीमा राशि डूब गई। अब अधिकारी इस मामले में शासनस्तर से निर्णय लिए जाने की बात कह रहे हैं। वहीं किसानों ने समस्या हल नहीं होने पर कोर्ट की शरण में जाने की तैयारी कर ली है।
वर्ष 2019 में अतिवृष्टि के कारण जिले में किसानों की सोयाबीन फसल को भारी नुकसान पहुंचा था। इस नुकसानी का आंकलन जिला प्रशासन द्वारा कराए जाने के बाद फसल कटाई प्रयोग के आधार पर अनावरी रिपोर्ट तैयार की गई थी। इस रिपोर्ट को शासनस्तर पर बीमा कंपनी तक पहुंचाया जाना था लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने वर्ष 2019 की बजाए एक साल पुरानी वर्ष 2018 की अनावरी रिपोर्ट के दस्तावेज शासन को भेज दिए। ऐसे में वर्ष 2018 की अनावरी के आधार पर किसानों को फसल बीमा राशि दे दी गई। जबकि वर्ष 2019 में अतिवृष्टि से प्रभावित वास्तविक किसानों को फसल क्षतिपूर्ति की राशि नहीं मिली। इस पूरे मामले में जब भारतीय किसान संघ ने छानबीन की तो अफसरों की लापरवाही सामने आई। इसके बाद राज्य शासन को शिकायत की गई। इस शिकायत के आधार कलेक्टर द्वारा जांच कराई गई। जांच में जिले के 410 पटवारी हल्कों में से 268 पटवारी हल्कों में खरीफ वर्ष 2018 की वास्तविक उपज के आंकड़ों को खरीफ वर्ष 2019 के आकड़ों से तुलना करने पर समान प्रदर्शित होना पाया गया।
जिला प्रशासन की ओर से पूरे मामले में जांच कराए जाने के बाद प्रतिवेदन प्रमुख सचिव मप्र शासन किसान वास्तविक उपज कल्याण तथा कृषि विकास विभाग को 8 अक्टूबर 2020 को भेजा गया था। इस प्रतिवेदन में उल्लेख किया गया था कि वर्तमान में इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी भोपाल द्वारा खरीफ वर्ष 2019 की सोयाबीन फसल की थ्रेशहोल्ड उपज एवं वास्तविक उपज की गणना अनुसार 148 पटवारी हल्कों में फसल बीमा दावा राशि की पात्रता आती है तथा जिले में 31437 कृषकों को राशि 30.99 करोड़ का भुगतान किया जा रहा है। यदि खरीफ वर्ष 2019 की सोयाबीन फसल की बीमा कंपनी अनुसार थ्रेशहोल्ड उपज एवं भू-अभिलेख खंडवा की वास्तविक उपज के अनुसार फसल बीमा दावा राशि की गणना की जाती है तो 302 पटवारी हल्कों के लगभग 60 हजार कृषकों को फसल बीमा दावा राशि का भुगतान हो सकता है। अत: इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी भोपाल से प्राप्त खरीफ वर्ष 2019 सोयाबीन फसल की थ्रेशहोल्ड उपज एवं भू-अभिलेख खंडवा से प्राप्त वास्तविक उपज की संलग्न पटवारी हल्कावार जानकारी के अनुसार इंश्योरेंस कंपनी को फसल बीमा दावा राशि की गणना की जाए और पात्र कृषकों को खरीफ वर्ष 2019 की सोयाबीन फसल की बीमा दावा राशि का भुगतान करने के लिए निर्देशित किया जाए। ताकि फसल बीमा दावा राशि के लिए पात्र कृषकों को फसल बीमा का लाभ प्राप्त हो सके।
वर्ष 2019 में अतिवृष्टि के कारण जिले में फसलों को बड़ा नुकसान पहुंचा था। कई ग्रामीण क्षेत्रों में तो खेतों में बारिश का पानी भर जाने के कारण सोयाबीन की फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई थीं। आशापुर की अग्नि नदी में बाढ़ के कारण किसानों के खेत जलमग्न हो गए थे। इस क्षेत्र के कई किसानों को फसल बीमा कराने के बाद भी क्षतिपूर्ति के रूप में राशि नहीं मिली। प्रभावित किसान अब तक अपने खातों में राशि आने का इंतजार कर रहे हैं। ग्राम बखार के किसान राहुल खोर का कहना है कि पांच हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल लगाई थी। अतिवृष्टि 60 फीसद नुकसान हुआ था। क्षतिपूर्ति राशि आज तक नहीं मिली। ग्राम राजपुरा के किसान यशवंत श्रीराम चाचरिया ने बताया कि 13 एकड़ में लगी सोयाबीन वर्ष 2019 में अतिवृष्ट से नष्ट हुई थी। कोई बीमा राशि नहीं मिली। ग्राम जामन्या आशापुर के राजकुमार पटेल ने कहा कि 15 एकड़ में लगाई गई सोाबीन की फसल बर्बाद हुई थी। इसी तरह खालवा के सुरजीत सिंह मिनहास का कहना है कि 18 एकड़ में सोयाबीन की फसल को नुकसान पहुंचा था लेकिन शासन की ओर से बीमा योजना का लाभ नहीं दिया गया। ग्राम खोकरिया के किसान अजबसिंह गहलोत ने कहा कि 17 एकड़ में नष्ट हुई फसल का बीमा आज तक नहीं मिला।
- वर्ष 2018 में 35 करोड़ रुपये का फसल बीमा किसानों को मिला था। वर्ष 2019 की अनावरी रिपोर्ट के आधार पर 80 करोड़ रुपये की बीमा राशि का वितरण जिले के किसानों को होना था लेकिन 2018 की अनावरी के आधार पर दोबारा 35 करोड़ रुपये की राशि का ही वितरण हो गया। किसान संघ की ओर से बार-बार आवेदन देकर वंचित पात्र किसानों को राशि वितरित करने की मांग की जा रही है। यदि सुनवाई नहीं होती है तो कोर्ट की शरण ली जाएगी। - नरेंद्र पटेल, संभाग मंत्री, भारतीय किसान संघ
- किसानों ने वर्ष 2019 का फसल बीमा नहीं मिलने को लेकर चर्चा की है। वर्ष 2018 की अनावरी रिपोर्ट 2019 में प्रस्तुत किए जाने की जानकारी नहीं मिली है। - अनूपकुमार सिंह, कलेक्टर
अनावारी से नहीं बल्कि फसल कटाई प्रयोग के आंकड़ों से तय होती है फसल बीमा राशि .
मौसम खरीफ में धान सिंचित, धान असिंचित, सोयाबीन, अरहर, उड़द, मूंग तथा मौसम रबी में गेहूं सिंचित, गेहूं असिंचित, चना, अलसी, सरसों फसल अधिसूचित है। योजना के तहत् बीमा की इकाई ग्राम निर्धारित किया गया है।
राजनांदगांव. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शासन की महत्वाकांक्षी योजना है। जिसके तहत् मौसम खरीफ में धान सिंचित, धान असिंचित, सोयाबीन, अरहर, उड़द, मूंग तथा मौसम रबी में गेहूं सिंचित, गेहूं असिंचित, चना, अलसी, सरसों फसल अधिसूचित है। योजना के तहत् बीमा की इकाई ग्राम निर्धारित किया गया है। जिसमें बीमित किसानों को मिलने वाली क्षतिपूर्ति राशि अनावारी के आधार पर तय नहीं होती है। अपितु फसल कटाई प्रयोग के आधार पर तय होती है।
किसानों में इसके संबंध में भ्रम है कि अनावारी के आधार पर फसल बीमा की क्षतिपूर्ति तय होती हैं, लेकिन एैसा नहीं है। इसके लिए भू-अभिलेख द्वारा जारी रेण्डम नंबर से चयनित खसरा में निर्धारित संख्या में फसल कटाई प्रयोग किया जाता है। इसके लिए प्रत्येक बीमित गांव में बीमित फसल के लिए 2 फसल कटाई प्रयोग पटवारी द्वारा तथा 2 फसल कटाई प्रयोग ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी द्वारा वास्तविक उपज किए जाते है। इस प्रकार समग्र रूप से 4 प्रयोगों के औसत से फसल की वास्तविक उपज निकाली जाती है। इस वास्तविक उपज की पूर्व से निर्धारित थ्रेस होल्ड उपज से तुलना करते है।
बीमित क्षेत्र के बीमित फसल के विगत 7 वर्षों में से उच्चतम 5 वर्षों के औसत उपज को थ्रेस होल्ड उपज कहते है। इस थ्रेसहोल्ड उपज से वास्तविक उपज में जितने प्रतिशत की कमी आती है। इसके आधार से फसलवार बीमा राशि तय होती है। प्रत्येक गांव की बीमित फसल में थ्रेसहोल्ड उपज अलग-अलग निर्धारित होता है। यदि धान असिंचित में बीमित राशि 35 हजार 500 रूपए प्रति हेक्टेयर है। किसी एक ग्राम के धान असिंचित फसल का थ्रेसहोल्ड उपज 1503 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर जिसमें एक किसान के द्वारा अपने 1 हेक्टेयर फसल का बीमा कराया गया है। जिसमें इस ग्राम के फसल कटाई में उपज 544.16 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर आता है तो आंकलन के बाद इसमें उपज में कमी 63.79 प्रतिशत होगी। जिसमें गणना करने पर एक हेक्टेयर में किसान को 22 हजार 645 रूपए बीमा राशि प्राप्त होगा।
इसी प्रकार यदि धान सिंचित में बीमित राशि 44 हजार रूपए प्रति हेक्टेयर है। किसी एक ग्राम के धान सिंचित फसल का थ्रेसहोल्ड उपज 1961 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर जिसमें एक किसान के द्वारा अपने 1 हेक्टेयर फसल का बीमा कराया गया है। जिसमें इस ग्राम के फसल कटाई में उपज 1044 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर आता है तो आंकलन के बाद इसमें उपज में कमी 46.76 प्रतिशत होगी। जिसमें गणना करने पर 1 हेक्टेयर में किसान को 20 हजार 575 रूपए बीमा राशि प्राप्त होगा। यदि फसल कटाई से प्राप्त वास्तविक उपज, थ्रेसहोल्ड उपज से अधिक होने की स्थिति में दावा राशि की पात्रता नहीं बनेगी।
योजना के तहत् आधार कार्ड अनिवार्य किया गया है। प्राय: देखने में आया है कि किसानों के द्वारा आधार कार्ड में नाम एवं अन्य जानकारी सुधार कराया गया है, परन्तु सुधार किया हुआ आधार कार्ड की प्रति बैंक/वित्तीय संस्थाओं में जमा नहीं किया जाता है। जिसके कारण से फसल बीमा पोर्टल में किसानों की एन्ट्री करने में बैंकों को समस्या आती है। सुधार किया गया आधार कार्ड बैंक में जमा नहीं करने की स्थिति में फसल बीमा नहीं किया जा सकेगा।
किसानों को उपज का वास्तविक मूल्य मिलेगा
किसानों की उपज का वास्तविक मूल्य किसानों को मिले इसलिए ई-नेम शुरू की गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते है कि किसानों और व्यापारी के बीच से विचौलिया गायब रहें। यह बात.
किसानों की उपज का वास्तविक मूल्य किसानों को मिले इसलिए ई-नेम शुरू की गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते है कि किसानों और व्यापारी के बीच से विचौलिया गायब रहें। यह बात भारतीय जनता पार्टी के जिला वास्तविक उपज उपाध्यक्ष हनुमंत सिंह बघेल ने कही।
कृषि उत्पादन मंडी समिति टूंडला में ई-नेम दिवस का आयोजन किया जिसकी अध्यक्षता मंडी सचिव कोमल सिंह ने की जबकि मुख्य वक्ता के रूप में उपजिलाधिकारी टूंडला डा़ सुरेश कुमार उपस्थित थे। उपजिलाधिकारी डा़ सुरेश कुमार ने कहा कि किसानो के साथ किसी भी प्रकार की घटतौली न हो और उनकी उपज का वास्तविक मूल्य मिले। इसके लिए 368 मंडी ऑनलाइन हो चुकी है। किसान की ऊपज पर देश की 368 मंडियों में से कोई भी व्यापारी कही से भी नीलामी बोली लगा सकता है। मंडी सचिव कोमल सिंह ने कहा कि मंडी समिति में किसानो के हित में कई योजना है। इस अवसर पर धर्मेन्द्र प्रताप सिंह निवासी नीम खेड़ा जलेसर एटा एवं व्यापारी फर्म शनी ट्रेडिंग कम्पनी के रामनाथ को ई-नेम श्री से सम्मानित किया। संचालन मंडी एनालिस्ट अवनीश पचौरी ने किया। कार्यक्रम में कमलेश कुमार, सीजी सिंह आदि का सहयोग रहा।