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चीन में विभिन्न उद्योगों पर नए क्राउन वायरस निमोनिया महामारी का किस तरह का प्रभाव पड़ता है?

20 फरवरी को, चाइना वेल्थ मैनेजमेंट 50 फोरम (CWM50) ने "मैक्रो टॉक: इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स एंड कैपिटल मार्केट प्रॉस्पेक्ट्स इन द करेंट सिचुएशन" पर एक वेब वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित करने के लिए उद्योग विशेषज्ञों को संगठित किया।

रेन जेपिंग, एवरग्रांडे समूह के मुख्य अर्थशास्त्री, शेन जियांगयुंग, Jingdong गणित के मुख्य अर्थशास्त्री, और राष्ट्रीय सूचना केंद्र के मुख्य अर्थशास्त्री झू बाओलियांग सहित छह मुख्य अर्थशास्त्रियों को चर्चा के लिए बैठक में भाग लेने के लिए विदेशी मुद्रा नौकरियां फोरम आमंत्रित किया गया था। महामारी के प्रभाव का विश्लेषण करें। सामान्यतया, चीन के उद्योग पर इस महामारी के प्रभाव को विभाजित किया गया है, और एसएमई की दुर्दशा के पीछे की रोजगार समस्या को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।

उद्योग प्रभाव भेदभाव

एवरग्रांडे ग्रुप के मुख्य अर्थशास्त्री रेन जेपिंग ने कहा कि उद्योग के नजरिए से, कुल सेवा उद्योग को बड़ा नुकसान हुआ है। खरबों में, रोजगार की स्थिति विकट है। उन्होंने विदेशी मुद्रा नौकरियां फोरम कहा कि पर्यटन, खानपान, होटल, परिवहन और रियल एस्टेट जैसे ढेर सारे उद्योग अधिक प्रभावित हुए हैं। एक मोटे अनुमान से, इन गंभीर रूप से प्रभावित उद्योगों का जीडीपी और रोजगार का 30% हिस्सा था। बेशक, ऐसे उद्योग भी हैं जो लाभ उठाते हैं, जैसे कि दवा, ऑनलाइन मनोरंजन, और ऑनलाइन कार्यालय, लेकिन अनुपात अपेक्षाकृत कम है। इसे साधारण गणनाओं से भी देखा जा सकता है, जैसे कि फिल्में, खानपान और डिलीवरी। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, इन तीन उद्योगों ने 7 दिनों में 1 ट्रिलियन युआन खो दिया।

JD.com के मुख्य अर्थशास्त्री शेन जियांगयुंग का मानना ​​है कि पारंपरिक उद्योगों की तुलना में ऑनलाइन रिटेल के दृष्टिकोण से, ई-कॉमर्स नए मुकुट निमोनिया महामारी से अपेक्षाकृत कम प्रभावित है, और रोबोट और स्मार्ट सिटी जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों की मांग है। काफी बढ़ गया। ई-कॉमर्स उद्योग के लिए, सबसे बड़ी बाधाएं सड़क अवरोध, शहर बंद, सड़क बंद और अन्य उपाय हैं, जिनका कर्मचारियों के आगमन और रसद वितरण पर प्रभाव पड़ता है, लेकिन ऑनलाइन बिक्री अभी भी अच्छी है।

औद्योगिक राजनीतिक बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री लू राजनीतिक आयुक्त का मानना ​​है कि ओवरसुप्ली के संदर्भ में, महामारी के कारण मांग अंतर अपेक्षा से छोटा है। इसी समय, चीन में अपेक्षाकृत लोकप्रिय इंटरनेट अर्थव्यवस्था के कारण, कई मांगों को ऑनलाइन प्राप्ति और नए निर्माण में स्थानांतरित कर दिया गया है। इसलिए, अर्थव्यवस्था पर महामारी का प्रभाव उम्मीद से अधिक आशावादी है। उदाहरण के लिए, खपत का सृजन और हस्तांतरण कुछ अति-निराशावादी अपेक्षाओं को रोकने में सक्षम हो सकता है। उपभोक्ता निर्माण के संदर्भ में, जैसे कि ताजा भोजन और एक्सप्रेस डिलीवरी के ऑनलाइन ऑर्डर के बीच वितरण कर्मियों की जीडीपी का निर्माण, दूरस्थ कार्यालय और क्लाउड सेवाएं भी हैं। खपत हस्तांतरण के संदर्भ में, जैसे कि मूवी थियेटर की खपत से ऑनलाइन गेम में जाना।

लू के पॉलिटिकल कमिसार ने कहा कि महामारी के कारण नए बने जीडीपी और बदलावों में से कुछ भविष्य में मध्यम और दीर्घकालिक में संरचनात्मक बदलाव हो सकते हैं। परिवर्तन के बाद, एक विदेशी मुद्रा नौकरियां फोरम काफी हिस्सा निरंतर मांग बन जाएगा और वापस नहीं बदलेगा।

राष्ट्रीय सूचना केंद्र के मुख्य अर्थशास्त्री झू बोलियांग ने कहा कि चीन का नया रोजगार मुख्य रूप से सेवा उद्योग से आता है। इस बार, मुख्य प्रभाव कुछ श्रम-गहन सेवा उद्योगों जैसे कि खानपान, मनोरंजन, संस्कृति, हाउसकीपिंग, और परिवहन पर है, इसलिए रोजगार का दबाव बहुत अधिक है। यह मुख्य रूप से प्रवासी श्रमिकों का रोजगार दबाव है।

एसएमई की दुर्दशा के पीछे

इस मंच पर, पुडोंग डेवलपमेंट बैंक के वित्तीय बाजार विभाग के महाप्रबंधक ज़ू होंगली ने कहा कि मध्य फरवरी में वाणिज्यिक बैंक क्रेडिट डेटा से, प्रकोप ने व्यक्तिगत औद्योगिक और वाणिज्यिक घरों और छोटे और सूक्ष्म उद्यमों को प्रभावित किया, और फेरबदल को समाप्त कर दिया। एसएमई। अधिक से अधिक रोजगार का दबाव लाएं।

लू के पॉलिटिकल कमिसार ने बताया कि महामारी ने वास्तव में फाइटेस्ट को नष्ट करने, de-क्षमता, deleveraging और उत्तरजीविता की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। बेशक, जबकि कंपनियों को और अधिक तेज़ी से समाप्त किया जा सकता है, हमें अत्यधिक बेरोजगारी के जोखिम का सामना करना चाहिए। उद्यमों को अपनी नौकरियों को स्थिर करने में मदद करने के बारे में, उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण कारक जिसे कई कंपनियां सबसे कठिन मानती हैं, वह है कर्मचारियों का वेतन। उन्होंने सुझाव दिया कि उद्यमों के लिए जो अपने कर्मचारियों को खारिज नहीं करते हैं, सरकार कर्मचारियों के मूल वेतन को सब्सिडी देती है और मानती है।

जेपी मॉर्गन चाइना के मुख्य अर्थशास्त्री झू हैबिन ने विश्लेषण किया कि रोजगार की समस्या सामने नहीं आई है, लेकिन जैसे-जैसे महामारी का गहरा बैठा प्रभाव धीरे-धीरे उभरता है और प्रसारित होता है, कुछ एसएमई और भी अधिक प्रभावित हो सकते हैं। व्यापक दृष्टिकोण से, भविष्य में रोजगार का दबाव काफी बढ़ सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि आगे की तैयारी नीतियों में की जानी चाहिए, जैसे कि रोजगार सृजन, निम्न और मध्यम आय वर्ग के लिए उपभोक्ता सब्सिडी और बेरोजगारी संरक्षण।

छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों के बचाव और रोजगार के बारे में, झू बोलियांग ने सुझाव दिया कि सबसे पहले अल्पकालिक कठिनाइयों और उद्यमों के रोजगार को हल करने पर नीति पर ध्यान केंद्रित करना है। राजकोषीय प्रयासों को मजबूत किया जाना चाहिए, घाटे की दर को 3.5% तक बढ़ाया जा सकता है, और स्थानीय सरकारों के लिए विशेष बॉन्ड जारी करना बढ़ाया जाना चाहिए। दूसरा, मौद्रिक नीति को कीमतों पर ध्यान देना चाहिए, और अल्पावधि में तरलता बढ़ाने में कोई समस्या विदेशी मुद्रा नौकरियां फोरम नहीं है। महामारी आसान हो जाने के बाद, इसे सामान्य स्थिति में लौटना चाहिए। तीसरा है, सामाजिक नीति का समर्थन करना, रोजगार और बेरोजगारों की रक्षा करना, और स्कूली छात्रों और गरीबों जैसे समूहों को सब्सिडी देना जो कीमतों से अधिक प्रभावित हैं। व्यापक समाज और सटीक गरीबी उन्मूलन के लिए यह एक आवश्यकता भी है

कोरोना पर भारी पड़ती भारतीय आईटी सेक्टर की रफ्तार

कोरोना काल ने विश्वभर के सभी इंसानों और उद्योग-धंधों को तगड़े आघात दिए। बहुत सारे नौकरीपेशा लोगों के वेतन में कटौती से लेकर लोगों को नौकरी से हाथ तक धोना पड़ा, तो तमाम उद्योग-धंधे घाटे में बने रहे। उत्पादन और मांग दोनों घटे। यानी स्थिति सबके लिये बेहद कष्टप्रद रही। पर कोरोना रूपी झंझावत के बावजूद भारत का आईटी सेक्टर मजबूती से सीना ताने खड़ा रहा। इधर नौकरियों से लोग निकाले भी नहीं गए। आईटी सेक्टर में तो भारतवर्ष में भर्तियों का दौर जारी रहा। आईटी सेक्टर के जानकारों की मानें तो बैंगलोर, हैदराबाद, पुणे, दिल्ली, नोएडा, गुडगाँव वगैरह में आईटी पेशेवरों के लिए लगातार नए-नए अवसर पैदा हो रहे हैं। भारत के विकास का रास्ता भी अब भारत के आईटी सेक्टर से होकर गुजरता है।

विकास दर सात फीसद से अधिक
अगर कुछ विश्वसनीय आकड़ों पर यकीन करें तो इस सेक्टर से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर करीब पांच करोड़ से ज्यादा लोग देशभर में जुड़े हैं। ये सच में बहुत बड़ा आंकड़ा है। इस सेक्टर की हालिया दशक में औसत विकास दर सात फीसद से अधिक रही है। इससे साल 2025 तक आईटी सेक्टर का राजस्व 350 विदेशी मुद्रा नौकरियां फोरम अरब डॉलर होने की सम्भावना है। 2025 तक डिजिटल इकॉनमी का आकार 1 खरब डॉलर होने का आकलन है। अप्रैल 2000 से मार्च, 2020 के बीच इस सेक्टर में करीब 45 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया।

यकीन मानिए कि आईटी सेक्टर का भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में करीब 8 फीसद का योगदान है जो हर साल बढ़ता ही जा रहा है। देश में 32 हजार के आसपास रजिस्टर्ड आईटी कंपनियां हैं। यह सेक्टर देश के लिए सर्वाधिक विदेशी मुद्रा भी अर्जित करता है। देश के कुल निर्यात में इसका हिस्सा करीब 25 फीसद है और आईटी उद्योग की विशेषता यह है कि इस क्षेत्र में श्रमबल में लगभग 30 प्रतिशत महिलाएं हैं। मतलब साफ है कि आईटी सेक्टर भारत की किस्मत बदल रहा है। ये हिन्दुस्तानी औरतों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी भी बना रहा है। औरतों के स्वावलंबी होने से समाज भी तो बदलेगा। आखिर पढ़ी-लिखी लड़कियां घरों में क्यों रहें, क्या करें। आधुनिक उपकरणों ने रसोई का काम भी तो हल्का कर दिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में नासकॉम टेक्नोलॉजी एंड लीडरशिप फोरम’ को संबोधित करते हुए सही ही कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने दुनिया में अपनी छाप छोड़ी है और इस क्षेत्र में लीडर बनने के लिये इनोवेशन पर जोर, प्रतिस्पर्धी के साथ उत्कृष्ट संस्थान निर्माण पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने आईटी उद्योग से कृषि, स्वास्थ्य और देश के लोगों की अन्य जरूरतों को ध्यान में रखकर उनके समाधान हेतु संसाधन बनाये जाने का भी आह्वान किया।

संसार के आईटी सेक्टर का नेतृत्व करे भारत
भारतीय आईटी उद्योग की विश्व में गहरी छाप तो है, लेकिन भारत को अब इस क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व करना होगा। हमें इनोवेशन, प्रतिस्पर्धी क्षमता और उत्कृष्टता के साथ संस्थान निर्माण पर ध्यान देना होगा। सारे विश्व में भारतीय प्रौद्योगिकी की जो पहचान है, उससे समूचे देश का उज्ज्वल भविष्य जुड़ा हुआ है।

अगर आप भारत के आईटी सेक्टर की शिखर शख्सियतों के नामों पर गौर करेंगे तो आप देखेंगे कि इस क्षेत्र को फकीरचंद कोहली, एन. नारायणमूर्ति, नंदन नीलकेणी, शिव नाडार जैसे अनेक महान पेशेवर मिलते रहे हैं। इन्होंने आईटी सेक्टर को नई दिशा और बुलंदी दी। यदि आज भारत का आईटी सेक्टर विदेशी मुद्रा नौकरियां फोरम 190 अरब डॉलर तक पहुंच गया है तो इसका श्रेय काफी हद उपर्युक्त हस्तियों को देना होगा। ये सब भारत के आईटी सेक्टर के शलाका पुरुष हैं। ये सब ही वे भविष्यदृष्टा रहे जिन्होंने देश में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग को खड़ा किया। इन्होंने ही देश में सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति की नींव रखी। अगर आज भारत के मिडिल क्लास का विस्तार होता जा रहा है तो इसमें आईटी सेक्टर की निर्णायक भूमिका रही है। आपको लगभग हरेक मिडिल क्लास परिवार का कोई न कोई सदस्य आईटी सेक्टर से जुड़ा हुआ मिलेगा। इन्होंने अपने परिवार का वारा-न्यारा कर दिया है। मैं इस तरह के अनेक परिवारों को जानता हूं जिनके बच्चों ने आईटी पेशेवर बनकर मोटा पैसा कमाया और कमा रहे हैं।

हमारे आईटी पेशेवरों ने देश की सरहदों को पार करके अमेरिका और कनाडा सहित अनेकों देशों में अपने झंडे गाड़ दिए। ये वहां के कॉरपोरेट संसार से लेकर दूसरे क्षेत्रों में अहम पदों पर हैं । इनमें सुंदर पिचाई (गूगल), सत्या नेडाला (माइक्रोसाफ्ट), शांतनु नारायण (एडोब), राजीव सूरी (नोकिया) जैसी प्रख्यात कंपनियों के सीईओ हैं। ये सब फॉच्यून-500 कंपनियों से जुड़े हैं। यही सब नए भारत के नायक हैं। कोरोना काल से कुछ दिन पहले की बात है। हुआ यह कि मैं एकदिन बैंगलोर से दिल्ली की फ्लाइट पकड़ने के लिए हवाई अड्डे पर था। वहां देखा कि कई महिला पुरुष इंफोसिस के फाउंडर चेयरमेन नारायणमूर्ति से बात कर रहे हैं। उनके आटोग्राफ ले रहे हैं। क्या कभी पहले राजनेताओं और फिल्म स्टार को छोड़कर कभी किसी उद्योगपति से भारतीय समाज आटोग्राफ भी लेता था? नारायण मूर्ति जैसी विभूतियों की सज्जनता और उपलब्धियों पर सारे देश को गर्व है। ये हर साल अरबों रुपए कमाने के बाद भी मितव्ययी जीवन गुजार रहे हैं। ये पैसों को फिजूलखर्ची में उड़ाते नहीं हैं। इन्होंने देश के लाखों नौजवानों में ऊँचे सपने देखने की आदत डाली है।

दरअसल आईटी सेक्टर ने हरेक आईटी पेशेवर के मन में अपना खुद का काम शुरू करने का जज्बा भर दिया है। ये इस क्षेत्र की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण उपलब्धि है। नए आईटी पेशवरों के सामने नारायणमूर्ति, शिव नाडार, नीलकेणी जैसे सैकड़ों उदाहरण हैं। इनके परिवार में इनसे पहले कभी किसी ने कोई कारोबार नहीं किया था। इन्होंने ठीक-ठाक नौकरियों को छोड़कर ही अपना काम शुरू किया और फिर आगे बढ़ते ही चले गए।

आईटी सेक्टर ने नोएडा, गुरुग्राम, मोहाली, बैंगलोर, पुणे, चेन्नई समेत देश के दर्जनों शहरों की किस्मत बदल दी। इनमें हजारों-लाखों पेशेवर आईटी कंपनियों में काम रहे हैं। ये सब कोरोना काल के बाद वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। लेकिन, इनके काम की गति तनिक भी धीमी नहीं पड़ी है। ये आईटी कम्पनियां अपने पेशेवरों की सैलरी काट नहीं रहे हैं। ये तो उल्टे इनकी सैलरी बढ़ा रहे हैं। भारत की दिग्गज आईटी कंपनी विप्रो ने पहली जनवरी 2021 से अपने जूनियर स्टाफ का वेतन बढ़ाने का फैसला किया है। अजीम प्रेमजी जैसे चमत्कारी चेयरमेन की यह आईटी कंपनी अच्छा प्रदर्शन करने वाले स्टाफ को प्रमोशन भी देने जा रही है जो 1 दिसंबर 2020 से प्रभावी होगा। ये तो बस एक उदाहरण है बुलंदियों को विदेशी मुद्रा नौकरियां फोरम छूते भारत के आईटी सेक्टर का।

देशभर के बैंकों में हड़ताल से सेवाएं चरमराई

मुम्बई: निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा अपनी मांगों के समर्थन में बुधवार से दो दिन की हड़ताल पर चले जाने से देश भर में व्यापारिक और वाणिज्यिक सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं। हड़ताल से ग्राहक सेवा, विदेशी मुद्रा के लेन-देन, आयात-निर्यात और स्थानीय बिल, चेकों के समाशोधन, बैंक लॉकर से सम्बंधित कार्य, पूंजी बाजारों और बैंक द्वारा चलाई जाने वाली सभी गतिविधियों पर असर पड़ा। इस दौरान अधिकतर स्थानों पर लोगों को नकदी के लिए एटीएम पर निर्भर रहना पड़ा, तो पश्चिम बंगाल में अधिकतर एटीएम के भी शटर गिरे रहे।
बैंकों के नियमन में प्रस्तावित संशोधन और नौकरियों की आउटसोर्सिग के विरोध में सार्वजनिक क्षेत्र के 27 बैंकों और आठ विदेशी बैंकों के 10 लाख से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं।
`यूनाईटेड फोरम ऑफ बैंकिंग` के रवि शेट्टी ने कहा कि इसके अलावा बैंक कर्मचारी बैंकिंग कानून विधेयक में संशोधन करने के सरकार के कदम का भी विरोध कर रहे हैं। यह विधेयक इस समय संसद में लम्बित है और इस पर 23 और 24 अगस्त को चर्चा होने वाली है। इस हड़ताल की वजह से देश में बैंकिंग गतिविधियों पर असर पड़ा है।
हड़ताल के कारण मध्य प्रदेश में तमाम बैंकों में कामकाज पूरी तरह ठप्प रहा और आम ग्राहक को एटीएम पर निर्भर रहना पड़ा।
राज्य में बैंकों के बाहर ताले लटके हैं और कामकाज बाधित है। राजधानी भोपाल में तमाम बैंकों के कर्मचारी ऑरियंटल बैंक ऑफ कामर्स के मुख्यालय के बाहर जमा हुए और उन्होंने जमकर नारेबाजी की। इसके बाद कर्मचारियों ने रैली निकालने के बाद सरकार की मनमानी को जमकर कोसा ।
बैंक कर्मचारियों की इस दो दिवसीय हड़ताल में राज्य की साढ़े पांच हजार शाखाओं के कर्मचारी हिस्सा ले रहे हैं। हड़ताल से बैंकिंग सेवाएं पूरी तरह ठप्प हैं। आम आदमी को कोई परेशानी न हो इसको ध्यान में रखकर एटीएम में पर्याप्त राशि जमा कर दी गई थी और विदेशी मुद्रा नौकरियां फोरम ग्राहक एटीएम से ही अपनी जरूरत की राशि निकाल रहे हैं।
पश्चिम बंगाल में अधिकतर सरकारी और निजी बैंकों के एटीएम के भी शटर गिरे देखे गए, क्योंकि मशीन की सुरक्षा में लगे गार्ड भी हड़ताल विदेशी मुद्रा नौकरियां फोरम में शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बैंकों में सुबह से ताले लटके हैं और ग्राहक सेवा, चेकों के समाशोधन, बैंक लॉकर से सम्बंधित कार्य, पूंजी बाजारों और बैंक द्वारा चलाए जाने वाली सभी गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। नकदी निकालने के लिए लोगों को एटीएम पर निर्भर होना पड़ रहा है।
बैंकों की अलग-अलग यूनियनों के पदाधिकारी हजरतगंज स्थित इलाहाबाद की मुख्य शाखा पर एकत्र हुए और केंद्र सरकार विदेशी मुद्रा नौकरियां फोरम की नीतियों के खिलाफ नारेबाजी की। हड़ताल में राज्य के विभिन्न बैंकों की करीब 10 हजार शाखाओं के तकरीबन डेढ़ लाख बैंककर्मी शामिल हैं।
हड़ताल से आम आदमी को नगदी की होने वाली परेशानी को देखते हुए बैंकों की तरफ से एटीएम मशीनों में पर्याप्त धन जमा करा दिया गया है। (एजेंसी)

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कोरोना पर भारी पड़ती भारतीय आईटी सेक्टर की रफ्तार

कोरोना काल ने विश्वभर के सभी इंसानों और उद्योग-धंधों को तगड़े आघात दिए। बहुत सारे नौकरीपेशा लोगों के वेतन में कटौती से लेकर लोगों को नौकरी से हाथ तक धोना पड़ा, तो तमाम उद्योग-धंधे घाटे में बने रहे। उत्पादन और मांग दोनों घटे। यानी स्थिति सबके लिये बेहद कष्टप्रद रही। पर कोरोना रूपी झंझावत के बावजूद भारत का आईटी सेक्टर मजबूती से सीना ताने खड़ा रहा। इधर नौकरियों से लोग निकाले भी नहीं गए। आईटी सेक्टर में तो भारतवर्ष में भर्तियों का दौर जारी रहा। आईटी सेक्टर के जानकारों की मानें तो बैंगलोर, हैदराबाद, पुणे, दिल्ली, नोएडा, गुडगाँव वगैरह में आईटी पेशेवरों के लिए लगातार नए-नए अवसर पैदा हो रहे हैं। भारत के विकास का रास्ता भी अब भारत के आईटी सेक्टर से होकर गुजरता है।

विकास दर सात फीसद से अधिक
अगर कुछ विश्वसनीय आकड़ों पर यकीन करें तो इस सेक्टर से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर करीब पांच करोड़ से ज्यादा लोग देशभर में जुड़े हैं। ये सच में बहुत बड़ा आंकड़ा है। इस सेक्टर की हालिया दशक में औसत विकास दर सात फीसद से अधिक रही है। इससे साल 2025 तक आईटी सेक्टर का राजस्व 350 अरब डॉलर होने की सम्भावना है। 2025 तक डिजिटल इकॉनमी का आकार 1 खरब डॉलर होने का आकलन है। अप्रैल 2000 से मार्च, 2020 के बीच इस सेक्टर में करीब 45 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया।

यकीन मानिए कि आईटी सेक्टर का भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में करीब 8 फीसद का योगदान है जो हर साल बढ़ता ही जा रहा है। देश में 32 हजार के आसपास रजिस्टर्ड आईटी कंपनियां हैं। यह सेक्टर देश के लिए सर्वाधिक विदेशी मुद्रा भी अर्जित करता है। देश के कुल निर्यात में इसका हिस्सा करीब 25 फीसद है और आईटी उद्योग की विशेषता यह है कि इस क्षेत्र में श्रमबल में लगभग 30 प्रतिशत महिलाएं हैं। मतलब साफ है कि आईटी सेक्टर भारत की किस्मत बदल रहा है। ये हिन्दुस्तानी औरतों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी भी बना रहा है। औरतों के स्वावलंबी होने से समाज भी तो बदलेगा। आखिर पढ़ी-लिखी लड़कियां घरों में क्यों रहें, क्या करें। आधुनिक उपकरणों ने रसोई का काम भी तो हल्का कर दिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में नासकॉम टेक्नोलॉजी एंड लीडरशिप फोरम’ को संबोधित करते हुए सही ही कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने दुनिया में अपनी छाप छोड़ी है और इस क्षेत्र में लीडर बनने के लिये इनोवेशन पर जोर, प्रतिस्पर्धी के साथ उत्कृष्ट संस्थान निर्माण पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने आईटी उद्योग से कृषि, स्वास्थ्य और देश के लोगों की अन्य जरूरतों को ध्यान में रखकर उनके समाधान हेतु संसाधन बनाये जाने का भी आह्वान किया।

संसार के आईटी सेक्टर का नेतृत्व करे भारत
भारतीय आईटी उद्योग की विश्व में गहरी छाप तो है, लेकिन भारत को अब इस क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व करना होगा। हमें इनोवेशन, प्रतिस्पर्धी क्षमता और उत्कृष्टता के साथ संस्थान निर्माण पर ध्यान देना होगा। सारे विश्व में भारतीय प्रौद्योगिकी की जो पहचान है, उससे समूचे देश का उज्ज्वल भविष्य जुड़ा हुआ है।

अगर आप भारत के आईटी सेक्टर की शिखर शख्सियतों के नामों पर गौर करेंगे तो आप देखेंगे कि इस क्षेत्र को फकीरचंद कोहली, एन. नारायणमूर्ति, नंदन नीलकेणी, शिव नाडार जैसे अनेक महान पेशेवर मिलते रहे हैं। इन्होंने आईटी सेक्टर को नई दिशा और बुलंदी दी। यदि आज भारत का आईटी सेक्टर 190 अरब डॉलर तक पहुंच गया है तो इसका श्रेय काफी हद उपर्युक्त हस्तियों को देना होगा। ये सब भारत के आईटी सेक्टर के शलाका पुरुष हैं। ये सब ही वे भविष्यदृष्टा रहे जिन्होंने देश में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग को खड़ा किया। इन्होंने ही देश में सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति की नींव रखी। अगर आज भारत के मिडिल क्लास का विस्तार होता जा रहा है तो इसमें आईटी सेक्टर की निर्णायक भूमिका रही है। आपको लगभग हरेक मिडिल क्लास परिवार का कोई न कोई सदस्य आईटी सेक्टर से जुड़ा हुआ मिलेगा। इन्होंने अपने परिवार का वारा-न्यारा कर दिया है। मैं इस तरह के अनेक परिवारों को जानता हूं जिनके बच्चों ने आईटी पेशेवर बनकर मोटा पैसा कमाया और कमा रहे हैं।

हमारे आईटी पेशेवरों ने देश की सरहदों को पार करके अमेरिका और कनाडा सहित अनेकों देशों में अपने झंडे गाड़ दिए। ये वहां के कॉरपोरेट संसार से लेकर दूसरे क्षेत्रों में अहम पदों पर हैं । इनमें सुंदर पिचाई (गूगल), सत्या नेडाला (माइक्रोसाफ्ट), शांतनु नारायण (एडोब), राजीव सूरी (नोकिया) जैसी प्रख्यात कंपनियों के सीईओ हैं। ये सब फॉच्यून-500 कंपनियों से जुड़े हैं। यही सब नए भारत के नायक हैं। कोरोना काल से कुछ दिन पहले की बात है। हुआ यह कि मैं एकदिन बैंगलोर से दिल्ली की फ्लाइट पकड़ने के लिए हवाई अड्डे पर था। वहां देखा कि कई महिला पुरुष इंफोसिस के फाउंडर चेयरमेन नारायणमूर्ति से बात कर रहे हैं। उनके आटोग्राफ ले रहे हैं। क्या कभी पहले राजनेताओं और फिल्म स्टार को छोड़कर कभी किसी उद्योगपति से भारतीय समाज आटोग्राफ भी लेता था? नारायण मूर्ति जैसी विभूतियों की सज्जनता और उपलब्धियों पर सारे देश को गर्व है। ये हर साल अरबों रुपए कमाने के बाद भी मितव्ययी जीवन गुजार रहे हैं। ये पैसों को फिजूलखर्ची में उड़ाते नहीं हैं। इन्होंने देश के लाखों नौजवानों में ऊँचे सपने देखने की आदत डाली है।

दरअसल आईटी सेक्टर ने हरेक आईटी पेशेवर के मन में अपना खुद का काम शुरू करने का जज्बा भर दिया है। ये इस क्षेत्र की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण उपलब्धि है। नए आईटी पेशवरों के सामने नारायणमूर्ति, शिव नाडार, नीलकेणी जैसे सैकड़ों उदाहरण हैं। इनके परिवार में इनसे पहले कभी किसी ने कोई कारोबार नहीं किया था। इन्होंने ठीक-ठाक नौकरियों को छोड़कर ही अपना काम शुरू किया और फिर आगे बढ़ते ही चले गए।

आईटी सेक्टर ने नोएडा, गुरुग्राम, मोहाली, बैंगलोर, पुणे, चेन्नई समेत देश के दर्जनों शहरों की किस्मत बदल दी। इनमें हजारों-लाखों पेशेवर आईटी कंपनियों में काम रहे हैं। ये सब कोरोना काल के बाद वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। लेकिन, इनके काम की गति तनिक भी धीमी नहीं पड़ी है। ये आईटी कम्पनियां अपने पेशेवरों की सैलरी काट नहीं रहे हैं। ये तो उल्टे इनकी सैलरी बढ़ा रहे हैं। भारत की दिग्गज आईटी कंपनी विप्रो ने पहली जनवरी 2021 से अपने जूनियर स्टाफ का वेतन बढ़ाने का फैसला किया है। अजीम प्रेमजी जैसे चमत्कारी चेयरमेन की यह आईटी कंपनी अच्छा प्रदर्शन करने वाले स्टाफ को प्रमोशन भी देने जा रही है जो 1 दिसंबर 2020 से प्रभावी होगा। ये तो बस एक उदाहरण है बुलंदियों को छूते भारत के आईटी सेक्टर का।

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