सकल आय को प्रभावित करने वाले कारक

आने वाले दशक के दौरान देश के बाहर की नौकरियों के लिए भारत में काम करने वालों की तादाद कम से कम दोगुनी होकर एक करोड़ 10 लाख से ज़्यादा हो जाने की संभावना है, और रिपोर्ट का अनुमान है कि आउटसोर्सिंग पर वैश्विक प्रतिवर्ष खर्च 180 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2030 तक लगभग 500 अरब अमेरिकी डॉलर हो सकता है.
विनिर्माण उद्योग
उद्योग की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कुछ कारक नीचे दिये गये हैं:
- कच्चे माल की उपलब्धता
- श्रम की उपलब्धता
- पूंजी की उपलब्धता
- ऊर्जा की उपलब्धता
- बाजार की उपलब्धता
- आधारभूत ढ़ाँचे की उपलब्धता
कुछ उद्योग को शहर के निकट होने से कई लाभ मिलते हैं। शहर के पास होने के कारण बाजार उपलब्ध हो जाता है। शहर से कई सेवाएँ भी मिल जाती हैं; जैसे कि बैंकिंग, बीमा, यातायात, श्रमिक, सकल आय को प्रभावित करने वाले कारक विशेषज्ञ सलाह, आदि। ऐसे औद्योगिक केंद्रों को एग्लोमेरेशन इकॉनोमी सकल आय को प्रभावित करने वाले कारक कहते हैं।
आजादी के पहले के दौर में ज्यादातर औद्योगिक इकाइयाँ बंदरगाहों के निकट होती थीं; जैसे कि मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, आदि। इसके परिणामस्वरूप ये क्षेत्र ऐसे सकल आय को प्रभावित करने वाले कारक औद्योगिक शहरी क्षेत्रों के रूप में विकसित हुए जिनके चारों ओर ग्रामीण कृषि पृष्ठप्रदेश थे।
बजट की विशेषतायें बताइए | सरकारी बजट की विशेषताएँ क्या होती हैं?
गत वर्ष तथा चालू वर्ष की वित्तीय गतिविधियों सकल आय को प्रभावित करने वाले कारक तथा सरकार की प्रस्तावित आर्थिक नीतियों का विस्तृत ब्यौरा और साथ ही आगामी वर्ष के लिये सरकारी आय-व्यय के अनुमानित आँकड़ों का ब्यौरा बजट (Budget) कहलाता है। बजट क्या है? इसके प्रकार क्या हैं? इसकी विस्तृत व्याख्या हमने पिछले अंक में की है। आप इस लिंक पर click कर पढ़ सकते हैं।
बजट एक ऐसा शब्द है जो हम सकल आय को प्रभावित करने वाले कारक सभी की ज़िंदगी में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आप अपने हर छोटे-बड़े काम या कोई भी घरेलू ख़र्चे या बाहरी निवेश करने का फ़ैसला अपना बजट बना कर ही करते हैं। ठीक सकल आय को प्रभावित करने वाले कारक इसी प्रकार सरकार भी अपने दायरे में आने वाले कार्यों को, आय-व्यय का लेखा-जोखा, बजट बनाकर ही सम्पन्न करती है। हर वर्ष सरकार, जनता के सामने अपना बजट प्रस्तुत करती है। इसीलिए बजट, सरकार सकल आय को प्रभावित करने वाले कारक के साथ-साथ प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का अत्यंत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
बजट की विशेषताएँ | Characteristics of a budget in hindi | Features of a सकल आय को प्रभावित करने वाले कारक budget in hindi
बजट को विशेष अवधि, आय-व्यय, नीति-नियमों, आर्थिक दशाओं का ध्यान रखते हुए बनाया जाता है। इसीलिए बजट विशेषताओं से परिपूर्ण होता है। सरकारी बजट की प्रमुख विशेषताएँ budget ki visheshtayein निम्नलिखित हैं-
इसके अंतर्गत बजट को बहीखाते के आधार पर तैयार न करते हुए नकदी के आधार पर बनाया जाता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो बजट के समस्त आय व्यय रोकड़ राशि में होते हैं। क्योंकि इससे सरकार को वास्तविक स्थिति का पता चल जाता है।
बजट के अंतर्गत आय-व्यय की सकल राशि दिखाई जाती है। सामान्य शब्दों में कहा जाए तो आय प्राप्त करने के लिए किए गए व्यय को आय में से घटाकर नहीं दिखाया जाता। इसमें कुल आय एक ओर तथा कुल व्यय एक ओर दिखाया जाता है। परिणामस्वरूप बजट का निर्माण करते समय तथा क्रियान्वयन करते समय समन्वय बना रहता है।
सकल आय को प्रभावित करने वाले कारक
आज दुनिया के 191 देशों और क्षेत्रों के लिए मानव विकास सूचकांक सकल आय को प्रभावित करने वाले कारक जारी किया गया है जिसमें भारत को 132वें पायदान पर जगह दी गई है। इस इंडेक्स में भारत को कुल 0.633 अंक दिए गए हैं जो भारत को मध्यम मानव विकास वाले देशों की श्रेणी में रखता है। वहीं 2019 में भारत को कुल 0.645 अंक दिए गए थे । यह गिरावट स्पष्ट तौर पर दर्शाती है कि कोरोना महामारी ने देश में लोगों के स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर को बुरी तरह प्रभावित किया है।
गौरतलब है कि सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया के 90 फीसदी देशों ने इस बार जारी मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) में कमी दर्ज की है। यह स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि दुनिया सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में एक बार फिर पिछड़ रही है।
सकल आय को प्रभावित करने वाले कारक
Q. The National Income of a country India is equal to which of the following:Q. किसी देश भारत की राष्ट्रीय आय निम्नलिखित में से किसके बराबर है:
Q. The National Income of a country (India) is equal to which of the following:
Q. किसी देश (भारत) की राष्ट्रीय आय निम्नलिखित में से किसके बराबर है:
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'यह भारत का दशक क्यों है. ' (Why this is India's decade) शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट में भावी भारतीय अर्थव्यवस्था को आकार देने वाले रुझानों और नीतियों का अध्ययन किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, "इसके परिणामस्वरूप भारत दुनिया की अर्थव्यवस्था में ताकत हासिल कर रहा है, और हमारी राय में ये विशेष बदलाव दशकों में ही होते हैं, और ये सभी निवेशकों और कंपनियों के लिए अच्छा अवसर हैं. "
चार वैश्विक रुझान - जनसांख्यिकी, डिजिटलाइज़ेशन, डीकार्बनाइज़ेशन और डीग्लोबलाइज़ेशन - भारत के पक्ष में जाते सकल आय को प्रभावित करने वाले कारक दिख रहे हैं, जिसे नया भारत कहा जा रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, दशक का अंत आते-आते दुनिया की समूची वृद्धि के पांचवें हिस्से की अगुआई भारत ही करेगा.
खपत को कैसे प्रभावित करेगा विकास.
आगामी दशक के दौरान भारत में ऐसे परिवारों की तादाद पांच गुणा बढ़कर ढाई करोड़ से अधिक हो जाने की संभावना है, जिनकी आय 35,000 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष से अधिक है.