ट्रेडर्स के लिए शुरुआती गाइड

निवेश रणनीति

निवेश रणनीति

दूरगामी-परिभाषित रणनीति के साथ करें निवेश

एक निवेशक के तौर पर आप एक जादू की छड़ी चाहेंगे, जो आपके निवेश से उस तरह के लाभ दिलवा सके, जो आप चाहते हैं। चूंकि निवेश रणनीति यह संभव नहीं है, इसलिए दूसरा बढि़या माध्यम है सफल निवेशकों की नकल करना या उनके निवेश को देख कर अपने निवेश करना। पर निवेश की दुनिया में यह अनिवार्य नहीं है निवेश रणनीति कि जो निवेश विकल्प किसी व्यक्ति विशेष के लिए सही साबित हुए हैं, वही आपके लिए भी उसी प्रकार सफल साबित होंगे। ऐसा इसलिए है, क्योंकि निवेश से अर्जित रिटर्न विभिन्न कारकों जैसे जोखिम लेने की क्षमता, आपके प्रारंभिक प्रवेश मूल्य, निवेश की गई राशि, दीर्घकालिक या अल्पकालिक दृष्टिकोण और आपकी निवेश योग्य राशि पर निर्भर करता है।

लेखक : करुणेश देव

निवेशकों की कुछ आदतें, जिन्हें अपनाकर कोई भी पा सकता है अच्छा लाभ

अपनी अलग शैली : सफल निवेशक एक दूरगामी, सोची-समझी एवं परिभाषित रणनीति के अनुसार चलते हैं। इनके निवेश तथा वित्त प्रबंधन के तौर तरीके अलग निवेश रणनीति हो सकते हैं, किंतु इन सफल और प्रतिष्ठित निवेशकों में कुछ लक्षण हैं, जो समान हैं। आइए देखते हैं कि ये कौन सी आदतें हैं, जिन्हें आप भी अपना सकते हैं।

परिसंपत्ति विविधीकरण : विविधीकरण या डायवर्सीफिकेशन का महत्त्व इस मार्च में मजबूती से सामने आया, जब कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण शेयर बाजारों में भारी गिरावट आई थी। बहुत सारे निवेशक घबरा गए थे तथा भविष्य को लेकर बहुत चिंतित भी थे। कुछ ने तो अपने इक्विटी संबंधी निवेशों को पूरी तरह से बेच दिया था और तब से अब तक बाजार में अच्छा उछाल आया है। जिन निवेशकों ने विभिन्न विकल्पों जैसे म्युचुअल फंड, स्टॉक्स, रियल एस्टेट, पीपीएफ, बैंक डिपॉजिट, सोने जैसी विविध परिसंपत्तियों में से चयन किया था, वे बाजार की इस गिरावट से अधिक प्रभावित नहीं हुए, अपितु उन्होंने इस गिरावट में नीचे के स्तर पर और अधिक निवेश किया है।

ठोस योजना : सफल निवेशक हमेशा एक स्पष्ट, विस्तृत और ठोस योजना तैयार करते हैं। वे इसे भविष्य की निवेश रणनीति के लिए एक मजबूत आधार मानते हैं। वे अच्छी तरह से परिभाषित लक्ष्यों और व्यावहारिक दृष्टिकोण के अनुसार चरणबद्ध तरीके से काम करते हैं। विभिन्न लक्ष्यों को प्राप्त करने की समय सीमा भी स्पष्ट रूप से पहले से ही परिभाषित करके रखते हैं।

पहले बचत, फिर खर्च : अब तक हम जल्दी निवेश के लाभों को भली भांति समझ चुके हैं। सफल निवेशक बहुत जल्द एवं जितनी अधिक बार हो सके, बचत एवं निवेश करना नहीं भूलते। ऐसा इसलिए है, क्योंकि वे जानते हैं कि लंबी अवधि के दौरान कंपाउंडिंग उनके पैसे को अच्छे से बढ़ा सकती है।

धैर्यः महान निवेशक वारेन बफेट का मानना है कि वित्तीय जीवन तथा निवेश में सफलता के लिए आपको इस क्षेत्र में ज्ञान से अधिक आवश्यकता धैर्य की है। एक बार संपत्ति का उचित आबंटन पूरा हो जाने के बाद, उचित परिणाम के लिए धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करना बेहतर होता है। हालांकि एक नियमित समीक्षा की आवश्यकता होती है, लेकिन जो निवेशक धैर्य दिखाते हैं, उन्हें उन लोगों की तुलना में बेहतर परिणाम मिलता हैं, जो नियमित रूप से खरीदने या बेचने में लगे रहते हैं।

सरल एवं साधारणः निवेश को हमेशा जटिल गतिविधि के रूप में चित्रित किया जाता है। किंतु सफल निवेशक ऐसे उत्पादों का चयन करते हैं, जो सरल हैं और जिनमें वित्तीय रणनीति आसानी से प्रभाव में लाई जा सकती है। उनका मानना है कि ऐसा वित्तीय उत्पाद जो समझना मुश्किल है, वह निवेश करने योग्य नहीं है। वे दूरगामी सोच के साथ सरल किंतु प्रभावी एवं ठोस व्यावहारिक विचारों वाले विकल्पों के साथ धन निर्माण के निर्णय लेते हैं।

चलते-चलते

ये आदतें आपको धन सृजन के पथ में सफल बनाने में निश्चित ही सहायता कर सकती हैं। दूसरों के आगे दौड़ने की जल्दबाजी न करें। यह आपका ध्येय नहीं होना चाहिए। आपको अपने पैसे को बढ़ने के लिए समय देना होगा। एक योजना का पालन करें, निवेश में विविधता लाएंए, धैर्य रखें और अधिक लेन-देन न करें। स्वस्थ रहिए, ज्ञान बढ़ाते रहिए तथा घर पर रहिए।

संपर्कः [email protected]

नोट : यहां दी गई जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्य से दी गई है। किसी भी निवेश से पहले उसकी पूरी जानकारी अवश्य लें।

बाजार के उतार चढ़ाव में कैसे बनाएं निवेश की रणनीति, मिडकैप और स्मालकैप में क्या करें निवेशक?

हाल के दिनों में बाजार में निचले स्तरों से कुछ रिकवरी देखने को मिली है. महंगाई, ब्याज दरें, राजकोषीय घाटे जैसी चुनौतियां बाजार में बनी हुई हैं.

  • Aniruddha Naha
  • Updated On - September 13, 2022 / 12:54 PM IST

बाजार के उतार चढ़ाव में कैसे बनाएं निवेश की रणनीति, मिडकैप और स्मालकैप में क्या करें निवेशक?

हाल के दिनों में बाजार में निचले स्तरों से कुछ रिकवरी देखने को मिली है. महंगाई, ब्याज दरें, राजकोषीय घाटे जैसी चुनौतियां बाजार में बनी हुई हैं, उसके बाद भी बाजार नीचे से उबरने में कामयाब रहा है. कमोडिटी की कीमतों में नरमी एक बेहतर संकेत है, लेकिन अभी भी मंदी की आशंका के चलते जोखिम बना हुआ है. ऐसे में निवेशकों के सामने कई सवाल हैं. जैसे बाजार इस साल के अंत तक कहां होगा. मौजूदा रिकवरी के बाद निवेशकों को किस सेक्टर में निवेश करना चाहिए. इन सारी बातों का जवाब देने के लिए हमने यहां PGIM India Mutual Fund के हेड-इक्विटी, अनिरुद्ध नाहा से बात की है.

1. हाल के दिनों में बाजार निचले स्तरों से उबरा है. 2022 के अंत तक आप बाजार को किस लेवल पर देख रहे हैं? क्या हमें एक बॉटम मिल गया है या निवेशकों को अभी सतर्क रहने में ही समझदारी है?

विकसित देशों और भारत के आउटलुक में कुछ स्पष्ट अंतर दिख रहा है. महंगाई जब एक सामान्य विषय बन गया है, मंदी की आशंका भारत के लिए इतनी परेशान करने वाली नहीं लगती, जितनी कि अमेरिका और यूरोप के मामले में हो सकती है. भले ही महंगाई, ब्याज दरें, राजकोषीय घाटे की चुनौतियां बाजार में बनी हुई हैं, कॉरपोरेट इंडिया को अपने डिमांड आउटलुक, ऑर्डर बुक और मार्जिन की स्थिरता में मजबूती दिखाई दे रही है. कमोडिटी की कीमतों में गिरावट मार्जिन के मोर्चे पर राहत देने वाली है. बाजार पूंजीकरण में आरामदायक मूल्यांकन पर होने के चलते भारतीय बाजारों के आगे भी अच्छा प्रदर्शन जारी रखने की उम्मीद है, जब तक कि कोई बड़ी वैश्विक मैक्रो चुनौती सामने न आ जाए.

2. भारत में महंगाई में नरमी के शुरुआती संकेत दिख रहे हैं, लेकिन अमेरिका में अभी तक यह पीक पर नहीं पहुंचा है. इस विचलन यानी डाइवर्जेंस का घरेलू शेयर बाजार के लिए क्या मतलब है?

भारत की बात करें तो महंगाई में नरमी के संकेत दिख रहे हैं, वहीं कमोडिटी की कम कीमतों के चलते महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलनी चाहिए. लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह अमेरिका में किस तरह से असर डालेगा. कमोडिटी की कम कीमतों का असर अमेरिका में महंगाई दर में भी दिखना शुरू हो जाना चाहिए. उनकी बॉन्ड यील्ड आने वाले समय में महंगाई में नरमी को दिखाती है. इसलिए, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारत और अमेरिका के बीच निवेश रणनीति महंगाई के रुझान में कोई अंतर है. अगर अमेरिकी मुद्रास्फीति दर में बढ़ोतरी जारी रहती है, तो ब्याज दरों में भी बढ़ोतरी जारी रह सकती है. यह वैश्विक स्तर पर जोखिम को कम करेगी लेकिन इसके चलते एफआईआई भारतीय इक्विटी की बिक्री जारी रख सकते हैं.

3. मौजूदा उतार-चढ़ाव के दौर में बाजार से सबसे ज्यादा फायदा पाने के लिए आपकी रणनीति क्या होनी चाहिए?

एक फंड हाउस के रूप में, हमने अच्छी क्वालिटी यानी गुणवत्ता वाले व्यवसायों पर ध्यान केंद्रित किया है, जिनके पास मजबूत बैलेंस शीट और अच्छा नकदी प्रवाह है. बढ़ती ब्याज दर और सख्त तरलता परिदृश्य में, बाजारों को मूल्यांकन का समर्थन करने के लिए नकदी प्रवाह के महत्व का एहसास होगा. बाजार के जब ऊपर की ओर चढ़ने तो इन अच्छी गुणवत्ता वाले व्यवसायों में भी उछाल दिखना चाहिए. हम ऊंची उड़ान वाली और घाटे में चल रहीं नए जमाने की तकनीकी / प्लेटफॉर्म-आधारित कंपनियों से उनके आईपीओ के बाद से ही दूर रहे हैं और इस मामले में हम सही साबित हुए हैं. हम वैल्यूएशन को लेकर भी सचेत हैं और इसलिए हमारा ध्यान बेहतर मूल्य वाली कंपनियों में निवेश करने पर होगा.

4. व्यापक बाजारों में तेज सुधार के साथ, क्या निवेशकों को मिड और स्मॉल-कैप पर ध्यान देना चाहिए? आपके फंड ने इस क्षेत्र में कैसा प्रदर्शन किया है?

मिडकैप और स्मॉलकैप में बाजार के अनुमान निवेश रणनीति के मुताबिक या थोड़ा और सुधार हुआ है. कई मिड और स्मॉल कैप के लिए ग्रोथ का अनुमान अगले 3 से 5 सालों में मजबूत बना हुआ है, क्योंकि वैल्यूएशन काफी वाजिब स्तर पर है. सेगमेंट की प्रकृति को देखते हुए कहा जा सकता है कि वे कुछ दिन अस्थिर होंगे, लेकिन अगले 3 से 5 सालों में अच्छा रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं. PGIM इंडिया मिडकैप अपॉर्च्युनिटीज फंड का 7 साल का ट्रैक रिकॉर्ड है. फंड ने 1 साल, 3 साल, 5 साल और 7 साल में बेहतर प्रदर्शन किया है.

5. आप किन सेक्टर पर अंडरवेट और किन पर ओवरवेट हैं?

एक फंड हाउस के रूप में, हम अगले 3 से 5 सालों में भारत पर बहुत सकारात्मक बने हुए हैं. हम मानते हैं कि भारत की घरेलू कहानी वैश्विक मैक्रो चुनौतियों से कुछ अलग रह सकती है. इसलिए हम घरेलू थीम यानी विषयों पर सकारात्मक हैं, जबकि हम उन विषयों पर हमारा सतर्क रुख है, जिनका वैश्विक जुड़ाव है. कॉरपोरेट, एसएमई और एमएसएमई इंडिया में साफ सुथरी बैलेंस शीट और मजबूत क्षमता उपयोग को देखते हुए, हम इंडस्ट्रियल, कैपिटल गुड्स और सीमेंट सेक्टर पर सकारात्मक हैं. एक सेक्टर के रूप में ऑटो और ऑटो एंसिलरी हमें पसंद है. इस सेक्टर ने पिछले 3 साल में कई चुनौतियों का सामना किया है और हमें विश्वास है कि अगले 3 से 5 सालों में इसमें मजबूत ग्रोथ देखने को मिलेगा, वह भी बिना बहुत अधिक बाधाओं के. जैसे-जैसे महंगाई बढ़ने का डर बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे हम कमोडिटी पर अंडरवेट बने हुए हैं. वैल्यूएशन के नजरिए से कंज्यूमर सेक्टर पर भी हम अंडरवेट हैं.

6. जून तिमाही के नतीजों और अब तक कॉरपोरेट कमेंट्री से आप क्या निष्कर्ष निकालते हैं?

अब तक कंपनियों के परिणाम उत्साह बढ़ाने वाले रहे हैं. मांग मजबूत बनी हुई है, लोन ग्रोथ मजबूत बनी हुई है. कुछ उद्योगों में मार्जिन का दबाव मौजूद है, लेकिन यह भी धीरे-धीरे कम होना शुरू हो जाना चाहिए. इंजीनियरिंग कंपनियों की ऑर्डर बुक मजबूत बनी हुई है जो वृद्धिशील पूंजीगत व्यय और आय में वृद्धि के लिए दृश्यता प्रदान करती है. कॉरपोरेट कमेंट्री भी सकारात्मक बनी हुई है. आईटी सहित अधिकांश क्षेत्रों में अभी कोई बड़ा जोखिम नहीं दिख रहा है. कच्चे माल की महंगाई के चलते मार्जिन पर कुछ दबाव को छोड़कर, कॉर्पोरेट इंडिया पर आम तौर पर किसी भी प्रमुख वैश्विक चुनौतियों का प्रभाव नहीं पड़ा है.

7. घरेलू और विदेशी फ्लो के लिए आगे क्या रास्ता है?

डोमेस्टिक फ्लो बहुत अच्छा रहा है. छोटी-मोटी अड़चनों के बीच परिसंपत्तियों का निवेश रणनीति वित्तीयकरण और इक्विटी/इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंडों के प्रति घरेलू संपत्ति के बढ़ते बंटवारे के चलते इनफ्लो का रुझान का आगे भी दिखना जारी रहना चाहिए. महंगाई की वैश्विक चिंताओं, बढ़ती ब्याज दरों और फंड बड़े पैमाने पर डॉलर में स्थानांतरित होने के कारण, एफआईआई ने पिछले 9 महीनों में भारत में बिकवाली की है. हालांकि एक बार जब बाजार को ब्याज दरों के स्थिर होने का एहसास हो जाता है, तो एफआईआई फिर बाजार की ओर लौट सकते हैं.

Market Outlook: 2022-23 में कैसी हो निवेश रणनीति? साइट्रस एडवाइजर्स के संजय सिन्हा से बातचीत

नये वित्त वर्ष 2022-23 में किस तरह की निवेश रणनीति निवेशकों को सबसे अच्छा लाभ दिला सकेगी?

यह शेयर बाजार में ठहराव का साल होगा, या फिर से नयी ऊँचाइयाँ छूने की ओर बढ़ेंगे सेंसेक्स और निफ्टी? देखें साइट्रस एडवाइजर्स के संस्थापक संजय सिन्हा के साथ निवेश मंथन के संपादक राजीव रंजन झा की यह बातचीत।

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गिरते बाजार में चाहिए जोरदार रिटर्न तो एक्सपर्ट की सुझाई यह रणनीति आपको बाजार में देगी मोटा रिटर्न

म्युचुअल फंड: रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण शेयर बाजार में भयानक गिरावट के बीच इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेशक निवेश के ऐसे उपाय खोजने में व्यस्त हैं जो उन्हें इस अस्थिर बाजार में अपना पैसा बचाने में मदद कर.

गिरते बाजार में चाहिए जोरदार रिटर्न तो एक्सपर्ट की सुझाई यह रणनीति आपको बाजार में देगी मोटा रिटर्न

म्युचुअल फंड: रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण शेयर बाजार में भयानक गिरावट के बीच इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेशक निवेश के ऐसे उपाय खोजने में व्यस्त हैं जो उन्हें इस अस्थिर बाजार में अपना पैसा बचाने में मदद कर सकें। निवेश विशेषज्ञों के अनुसार, निवेशकों के पास डेट एलोकेशन के पूर्व-निर्धारित हिस्से के साथ डेट और इक्विटी का मिश्रित पोर्टफोलियो होना चाहिए, ताकि इक्विटी मार्केट में थोड़ी गिरावट आने की स्थिति में इसे इक्विटी में स्थानांतरित किया जा सके।

इसी तरह, एक बार जब अस्थिरता समाप्त हो जाती है और बाजार स्थिर हो जाता है, तो ऋण का वह हिस्सा जिसे इक्विटी में स्थानांतरित कर दिया गया है, उसे अपने सामान्य अनुपात में वापस लाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेशक ऐसे अस्थिर बाजार का फायदा उठा सकते हैं, अगर उनके पास डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो हो।

अस्थायी गिरावट के समय क्या करें
निवेश पर बात करते हुए फंड्सइंडिया में रिसर्च हेड अरुण कुमार ने कहा कि मूल रूप से विचार है अस्थायी गिरावट और अनिश्चितता को उचित दीर्घकालिक रिटर्न के लिए 'भावनात्मक शुल्क' के रूप में स्वीकार करना। अल्पावधि बाजार की चाल हमारे नियंत्रण में नहीं है लेकिन किसी भी तेज गिरावट का कैसे लाभ उठाते हैं, यह पूरी तरह से हमारे नियंत्रण में है।

इस तरह आप 10-20 फ़ीसदी की गिरावट झेलने को सक्षम हो जाते हैं। साथ ही बड़े फॉल्स का भी वास्तविक समय में सही प्लान का उपयोग करके लाभ उठाया जा सकता है। हर बाजार में गिरावट देखने में यह खरीदारी का एक अच्छा अवसर प्रतीत होता है, लेकिन जब आप रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे किसी एक के बीच में होते हैं तो यह बेहद जोखिम भरा लगता है!

म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो का उपयोग कैसे करें
एक अस्थिर इक्विटी बाजार का लाभ प्राप्त करने के लिए एक संतुलित विविध म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो का उपयोग कैसे किया जा सकता है, इस पर फंड्सइंडिया के अरुण कुमार ने कहा, 'बाजार में बड़ी गिरावट की स्थिति में किसी को अपने डेट पोर्टफोलियो के एक हिस्से (वाई) को इक्विटी में लगाने के लिए पहले से तय करना चाहिए। अरुंड कुमार ने एक योजना दी जिसे बाजार गिरने की स्थिति में लागू किया जा सकता है:

1] यदि सेंसेक्स 20 प्रतिशत गिरता है, तो Y भाग का 20 प्रतिशत इक्विटी में स्थानांतरित करें।
2] यदि बीएसई सेंसेक्स लगभग 30 प्रतिशत गिरता है तो Y का 30 प्रतिशत इक्विटी में चला जाता है।
3] अगर सेंसेक्स 40 फीसदी के करीब गिरता है, तो वाई का 40 फीसदी इक्विटी में ले जाएं।
4] यदि सेंसेक्स में लगभग 50 प्रतिशत की गिरावट आती है, तो शेष भाग को Y से इक्विटी में स्थानांतरित करें।

बड़ी गिरावट के बाद पोर्टफोलियो को कैसे बदलें
बाजारों में बड़ी गिरावट के बाद इक्विटी म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो को कैसे बदलें? सेबी पंजीकृत टैक्स और इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट जितेंद्र सोलंकी ने कहा, "डेब्ट एलोकेशन की तरह किसी को लार्ज-कैप शेयरों में समान वाई भाग आवंटित करना चाहिए और उस हिस्से को लार्ज-कैप से स्मॉल-कैप में उसी तरह स्थानांतरित करना चाहिए, जैसा कि किसी के पैसे को स्थानांतरित करने की सलाह दी गई है- डेट से इक्विटी तक। इस तरह के प्रैक्टिस की सलाह दी जाती है क्योंकि मार्केट रिबाउंड के दौरान स्मॉल-कैप स्टॉक मिड-कैप और लार्ज-कैप स्टॉक की तुलना में तेजी से आगे बढ़ते हैं और इसलिए स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंड से मिड-कैप और लार्ज-कैप फंड के आफ्टर ट्रेंड से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जाती है।"

नए निवेशक क्या करें
एक नए निवेशक के लिए, विशेषज्ञों ने ऐसे निवेशकों को सलाह दी है कि वे पूरे ऋण आवंटन को तुरंत निवेश करें और इक्विटी फंड के लिए आवंटित धन का 40 प्रतिशत निवेश करें। फिर शेष 60 प्रतिशत को 3 महीने के साप्ताहिक सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (यानी एसटीपी) का इस्तेमाल करें।

डिस्क्लेमर- ऊपर दिए गए विचार और सिफारिशें व्यक्तिगत विश्लेषकों या व्यक्तिगत वित्त कंपनियों के हैं, न कि लाइव हिंदुस्तान के।

खरीदें और पकड़ रणनीति

खरीदें और पकड़ो एक निष्क्रिय निवेश रणनीति है जहां एक व्यापारी स्टॉक, मुद्रा जोड़े या ईटीएफ जैसी अन्य प्रकार की प्रतिभूतियों को खरीदता है और बाजार में अल्पकालिक उतार-चढ़ाव की परवाह किए बिना उन्हें लंबी अवधि के लिए रखता है। खरीदने के पीछे विचार और दीर्घकालिक प्रवृत्तियों पर केंद्रित रणनीति पकड़ो.

खरीदना और होल्डिंग रणनीति शेयर बाजार में निवेश करने के सबसे लोकप्रिय और सिद्ध तरीकों में से एक है। निवेशकों को अक्सर बाजार के समय या व्यक्तिपरक मॉडल और विश्लेषण के निवेश रणनीति आधार पर निर्णय लेने के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती है। यद्यपि रणनीति समय और पैसे की एक बड़ी अवसर लागत के साथ आता है, निवेशकों को खुद को बाजार की विफलताओं से बचाने के लिए सतर्क रहना चाहिए और पता है कि कैसे अपने नुकसान में कटौती और लाभ लेने के लिए, इससे पहले कि बहुत देर हो चुकी है ।

Buy and Hold Strategy

कैसे खरीदें और रणनीति काम पकड़ो करता है

जब निवेशक शेयर खरीदते हैं, तो एक प्राथमिकताएं अपने विशेषाधिकारों के साथ कंपनी का आंशिक मालिक बन जाती है जिसमें मताधिकार और कॉर्पोरेट मुनाफे में हिस्सेदारी शामिल होती है क्योंकि कंपनी बढ़ती है । यदि खरीदे गए शेयरों की राशि पर्याप्त है, तो निवेशक प्रभावित कर सकते हैं और उसके भविष्य के लाभ को सुनिश्चित कर सकते हैं। शेयरधारकों ऐसे विलय और अधिग्रहण के रूप में महत्वपूर्ण मुद्दों पर वोट देते हैं, और बोर्ड के लिए निदेशकों का चुनाव.

निवेशकों को यह समझना और स्वीकार करना होगा कि परिवर्तन में समय लगता है । स्टॉक को केवल अल्पकालिक लाभ के रूप में मानने के बजाय, दिन के व्यापारियों की तरह, व्यापारियों को उतार-चढ़ाव के माध्यम से दीर्घकालिक निवेश करना चाहिए.

इक्विटी मालिकों दोनों अंतिम विफलता जोखिम या पर्याप्त प्रशंसा के उच्च इनाम सहन

पेशेवरों और खरीद और पकड़ रणनीति के विपक्ष

प्रो - निवेश पर उच्च रिटर्न उत्पन्न करने के लिए खरीदें और होल्ड रणनीति निवेश रणनीति ने समय और समय फिर से साबित किया है। बेंजामिन ग्राहम, वॉरेन बफेट, जैक बोगल, जॉन टेंपलटन, पीटर लिंच खरीदने और रणनीति रखने के टाइटन्स हैं, उनके अनुभव ने हमें साबित कर दिया कि यह रणनीति कितनी अच्छी तरह काम कर सकती है । बेशक, स्टॉक-पिकिंग का कौशल सफलता का मुख्य कारण है.

यह कम समय और तंत्रिका लेने वाला है - निवेशक वापस निवेश रणनीति बैठ सकते हैं और बाजार की सामान्य विशेषताओं, परिसंपत्ति और भविष्य के विकास के अवसरों को देख सकते हैं, और बस निवेश को बिना अपनी बात करने दें "सही" प्रविष्टियों और रास्ते खोजने या लगातार कीमतों की जांच करने की कोशिश कर के बारे में चिंता करना.

मित्र करों - किसी भी निवेश है कि आयोजित किया जाता है और एक साल से अधिक अवधि के लिए बेचा जाता है एक अधिक अनुकूल दीर्घकालिक दर पर कर लगाया जा करने के लिए पात्र है, के रूप में एक उच्च अल्पकालिक दर के खिलाफ.

विपक्ष - जब निवेश रणनीति व्यापारी खरीदते हैं और स्टॉक पकड़ते हैं तो इसका मतलब है कि वह लंबे समय तक उस परिसंपत्ति में बंधा हुआ है। इसलिए निवेशक को इस होल्डिंग के दौरान अन्य निवेश अवसरों के बाद नहीं चलाने के लिए आत्म-अनुशासन होना चाहिए काल। यह अभ्यास करने के लिए मुश्किल है, जब खरीदा स्टॉक पिछड़ रहा है .

सकारात्मक आंदोलन देखने के लिए समय लेता है - कोई विशिष्ट समय अंतराल नहीं है जिसके बाद स्टॉक बढ़ना शुरू हो जाएगा, निवेशकों को धैर्य के साथ खुद को हाथ लगाना होगा .

क्रिसिस - सिर्फ इसलिए कि एक शेयर कई वर्षों के लिए आयोजित किया गया है, इसका मतलब यह नहीं है कि यह अचूक है । यदि या जब कोई संकट होता है, तो सब कुछ पीछे की ओर बदल सकता है.

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