विदेशी मुद्रा संकेत मालेगांव

बेपटरी
22 फरवरी 2013 को हैदराबाद में हुए एक बम धमाके की जगह से मलबे में विदेशी मुद्रा संकेत मालेगांव साक्ष्य एकत्र करते राष्ट्रीय जांच एजेंसी के अधिकारी. भारत की जांच एजेंसियों को अपने पेशेवर मानकों और लोकतांत्रिक जवाबदेही में लगातार गिरावट का सामना करना पड़ रहा था. इस माहौल में एनआईए की कुछ शुरुआती जांच ने अपनी विशेष क्षमता का सबूत दिया.
22 फरवरी 2013 को हैदराबाद में हुए एक बम धमाके की जगह से मलबे में साक्ष्य एकत्र करते राष्ट्रीय जांच एजेंसी के अधिकारी. भारत की जांच एजेंसियों को अपने पेशेवर मानकों और लोकतांत्रिक जवाबदेही में लगातार गिरावट का सामना करना पड़ विदेशी मुद्रा संकेत मालेगांव रहा था. इस माहौल में एनआईए की कुछ शुरुआती जांच ने अपनी विशेष क्षमता का सबूत दिया.
वरिष्ठ अधिवक्ता ए मारियारपुथम अदालत में एक महत्वपूर्ण दिन के लिए तैयार थे. उन्हें देश के सबसे बड़े आतंकी हमलों में से एक में पांच आरोपियों के खिलाफ, भारत की प्राथमिक आतंकवाद विरोधी टास्क फोर्स -राष्ट्रीय जांच एजेंसी- के वकील बतौर सुप्रीम कोर्ट की एक खंडपीठ के सामने 15 अप्रैल 2015 को पेश होना था. 29 सितंबर 2008 को इस्लाम के अनुयाइयों के लिए पवित्र रमजान के महीने के दौरान उत्तर-पश्चिमी महाराष्ट्र के मुस्लिम बहुल शहर मालेगांव में एक मोटरसाइकिल में छुपाए गए दो बम फटे थे जिसमें छह लोग मारे गए थे और एक सौ से अधिक घायल हो गए थे. उसी दिन गुजरात के एक कस्बे मोडासा के मुस्लिम बहुल सुक्का बाजार इलाके में एक मस्जिद के पास एक और बम धमाका हुआ था.
सभी आरोपी एक हिंदू उग्रवादी समूह के सदस्य थे जिसका नाम अभिनव भारत था. अभिनव भारत से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कई वरिष्ठ नेताओं का संबंध था. सात साल बाद जब मरियारपुथम मामले पर न्यायाधीशों को संबोधित करने के लिए उठे, तब तक नरेन्द्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी, जो आरएसएस की राजनीतिक शाखा है, लगभग एक साल विदेशी मुद्रा संकेत मालेगांव से केंद्र में सत्ता में थी. मारियारपुथम ने उस दिन अदालत के लिए जो जिरह तैयार की थी, बीच में ही रोकनी पड़ी.
सुनवाई प्रज्ञा सिंह ठाकुर और मामले में कई अन्य प्रमुख आरोपियों द्वारा दायर एक मामले से संबंधित थी, जिसमें महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम यानी मकोका के तहत उनके मुकदमे को चुनौती दी गई थी. मकोका उन मामलों में लगाया जाने वाला सख्त कानून है जिसमें आरोपित बार-बार गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देते हैं.
ठाकुर पहले आरएसएस की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रह चुकी हैं. अभियोजन पक्ष के लिए मकोका के तहत ठाकुर पर मुकदमा चलाना जरूरी था क्योंकि कानूनन पुलिस के सामने स्वीकार किए गए इकबालिया बयान अदालत में मान्य नहीं होते. अपने इकबालिया बयानों में, तीन आरोपियों ने दावा किया था कि अभिनव भारत ने हथियारों का एक बड़ा जखीरा एकत्र किया था और ठाकुर ने हमले से दो साल पहले मध्य प्रदेश के पचमढ़ी में एक प्रशिक्षण शिविर में आतंकी सेल के अन्य सदस्यों से मुलाकात विदेशी मुद्रा संकेत मालेगांव की थी. गवाहों के इकबालिया बयानों के साथ-साथ सबूतों में आरोपी के लैपटॉप से जब्त ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंगें भी थीं.
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3 दिन में विदेशी निवेशकों ने भारतीय पूंजी बाजार से 2,418 करोड़ रुपये निकाले
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने नए साल की शुरुआत में जमकर मुनाफा काटा है। एफपीआई ने जनवरी के पहले तीन कारोबारी सत्रों में ही भारतीय पूंजी बाजार से 2,418 करोड़ रुपये निकाल लिए.
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने नए साल की शुरुआत में जमकर मुनाफा काटा है। एफपीआई ने जनवरी के पहले तीन कारोबारी सत्रों में ही भारतीय पूंजी बाजार से 2,418 करोड़ रुपये निकाल लिए हैं। डिपॉजिटरी के ताजा आंकड़ों के अनुसार एक से तीन जनवरी के दौरान एफपीआई ने शेयरों से 524.91 करोड़ रुपये और ऋण या बांड बाजार से 1,893.66 करोड़ रुपये की निकासी की। इस तरह उनकी कुल निकासी 2,418.57 करोड़ रुपये रही।
एफपीआई ने 2019 में घरेलू बाजारों (शेयर और ऋण दोनों) में शुद्ध रूप से 73,276.63 करोड़ रुपये डाले। जनवरी, जुलाई और अगस्त को छोड़कर बीते साल के अन्य महीनों में एफपीआई शुद्ध लिवाल रहे।
सैम्को सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख उमेश मेहता ने कहा कि पिछले साल की जोरदार तेजी के बाद एफपीआई ने 2020 में मुनाफा काटना शुरू कर दिया है। ऐसी संभावना है कि अभी वे निकासी कर धन जमा कर रहे हैं और बजट से पहले बड़े पैमाने पर खरीदारी करेंगे।
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट एडवाइजर इंडिया के वरिष्ठ विश्लेषक प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्ताव ने कहा कि विदेशी निवेशक सतर्क हैं। उन्होंने कहा कि एफपीआई के नकारात्मक रुख के पीछे कई वजहें मसलन भारत में राजनीतिक मुद्दे, अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध और भारतीय अर्थव्यवस्था की सुस्ती हैं।
भारतीय बाजार में विदेशी निवेश जारी, सितंबर में अब तक 7,605 करोड़ का इन्वेस्टमेंट
नईदिल्ली। भारतीय शेयर बाजार में अगस्त के महीने में आई तेजी से उत्साहित विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) सितंबर के महीने में भी जमकर निवेश कर रहे हैं। ये विदेशी निवेशक मौजूदा कारोबारी सप्ताह के पहले तक सितंबर के महीने में 7,605 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश कर चुके हैं।
डिपॉजिटरी से मिले दूसरे कारोबारी सप्ताह की समाप्ति यानी 9 सितंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने सितंबर के महीने में डेट सेगमेंट में 3,220 करोड़ विदेशी मुद्रा संकेत मालेगांव रुपये का निवेश किया, वहीं इक्विटी मार्केट में 4,385 करोड़ रुपये का निवेश किया। इस तरह महीने के शुरुआती 9 दिनों के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने कुल 7,605 करोड़ रुपये का निवेश किया।
शेयर बाजार की मजबूती -
जानकारों का कहना है कि शेयर बाजार की मजबूती और भारतीय अर्थव्यवस्था में बेहतरी के संकेत ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को भारतीय शेयर बाजार की ओर विदेशी मुद्रा संकेत मालेगांव आकर्षित किया है। इसके साथ ही मुद्रा बाजार में रुपये की स्थिरता और भारत तथा अमेरिका के बढ़ते बांड स्प्रेड डिफरेंस की वजह से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का ध्यान भारतीय डेट और बॉन्ड मार्केट की ओर भी आकर्षित हुआ है। शेयर बाजार और डेट मार्केट के आकर्षण के कारण इन निवेशकों ने इसके पहले अगस्त के महीने में भी 16,459 करोड़ रुपये का भारतीय बाजार में निवेश किया था। इनमें से रिकॉर्ड 14,376.2 करोड़ रुपये का निवेश बॉन्ड मार्केट में किया गया था।
इंटरेस्ट रेट में बदलाव-
हालांकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से हाल में ही स्पष्ट किया गया है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक इंटरेस्ट रेट में बदलाव करने के पहले वैश्विक अर्थव्यवस्था को परखने के साथ ही अमेरिकी बाजार पर मौजूदा परिवर्तनों के पड़ रहे असर की समीक्षा करेगा। जाहिर है कि अमेरिका में अभी तत्काल इंटरेस्ट रेट में कोई बदलाव होने की संभावना काफी कम है। जानकारों का कहना है कि इस स्थिति में भारतीय बाजार की मजबूती विदेशी निवेशकों को भारत में पूंजी प्रवाह करने के लिए प्रेरित कर सकती है। हालांकि एक संभावना वैश्विक अर्थव्यवस्था में दिसंबर के महीने तक उतार चढ़ाव वाली भी बनी हुई है। ऐसा होने से भारतीय बाजार में भी विदेशी निवेशकों के निवेश में होने वाले उतार-चढ़ाव के रूप में देखा जा सकता है।
आईडीबीआई बैंक विदेशी मुद्रा संकेत मालेगांव बेचने को तैयार सरकार, अपने पास रखेगी कुछ हिस्सेदारी: शीर्ष अधिकारी
निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांता पांडेय ने मार्च के अंत तक आईडीबीआई बैंक बेचने के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट लेकर आने की बात कही है. साथ ही, उन्होंने बीपीसीएल को बेचे जाने के संकेत भी दिए हैं.
निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांता पांडेय ने मार्च के अंत तक आईडीबीआई बैंक बेचने के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट लेकर आने की बात कही है. साथ ही, उन्होंने बीपीसीएल को बेचे जाने के संकेत भी दिए हैं.
(फोटो साभार: in.worldorgs.com)
नई दिल्ली: केंद्र सरकार मार्च के अंत तक आईडीबीआई बैंक बेचने के लिए एक्सप्रेशन विदेशी मुद्रा संकेत मालेगांव ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) लेकर आएगी, लेकिन अपनी पूरी हिस्सेदारी एक ही बार में नहीं बेचेगी.
इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक, निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांता पांडेय ने यह बात कही है.
सरकार अगले सप्ताह बाजार नियामक के साथ जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (डीआरएचपी) या प्राथमिक प्रॉस्पेक्टस भी दाखिल करेगी, और वित्तीय वर्ष के अंत तक इसे स्टॉक एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध करने की उम्मीद है.
आईडीबीआई बैंक में प्रबंधन हिस्सेदारी रखने वाली एलआईसी की बैंक में 49.24 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि केंद्र सरकार के पास बैंक में 45.48 प्रतिशत हिस्सेदारी है. वहीं, गैर-प्रवर्तकों की हिस्सेदारी बैंक में 5.29 प्रतिशत है.
पांडे ने अखबार को बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से विस्तृत बातचीत के बाद प्रक्रिया को आगे बढ़ा दिया गया है और एलआईसी व सरकार के हिस्से को एक साथ बेचे जाने की योजना है.
पांडे ने बताया कि अब तक आरबीआई केवल संकट की स्थिति में ही अपनी शक्तियों का प्रयोग करके ऐसा करता आया है, लेकिन यह पहली बार होगा कि खुली बोली प्रक्रिया के जरिये खरीदार की स्वैचछिक खोज की जाएगी.
उऩ्होंने कहा कि पूरी हिस्सेदारी एक बार में नहीं बेची जाएगी.विदेशी मुद्रा संकेत मालेगांव
उन्होंने बताया कि ईओआई के शुरुआत के समय से देखें तो विलय और अधिग्रहण में 9 से 12 महीने लगेंगे. अगर इस साल के अंत तक ईओआई लेकर आते हैं तो अगले वर्ष के अंत तक प्रक्रिया पूरी होगी.
पांडे ने बताया कि हालांकि एलआईसी का आईपीओ जल्द ही आएगा और सरकार अगले हफ्ते डीआरएचपी दाखिल करेगी. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह काम वित्तीय विदेशी मुद्रा संकेत मालेगांव वर्ष खत्म होने से पहले पूरा कर लिया जाएगा.
पांडे ने साथ ही बताया कि आईडीबीआई बैंक की बिक्री और एलआईसी के आईपीओ के अलावा सरकार बीपीसीएल को बेचने को लेकर भी आशावान है.