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बांग्लादेश में वित्तीय नियम क्या हैं

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Loan – लोन नहीं चुकाने वालों को बैंक नहीं कर सकता परेशान! हर ग्राहक के पास होते है ये 5 अधिकार

HR Breaking News, Digital Desk- कोई आम आदमी अपने होम लोन (Home Loan) या फिर पर्सनल लोन (Personal Loan) की EMI नहीं चुका पाता और डिफॉल्ट कर जाता है तो ऐसा नहीं है कि लोन देने वाली कंपनी या फिर बैंक आपको परेशान करने लगे. ऐसे कई नियम हैं, जो उसकी ऐसी हरकत पर लगाम लगाते हैं. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि कर्ज नहीं चुकाने पर बैंक धमका या फिर जोर जबर्दस्ती नहीं कर सकता है. अपना लोन वसूलने के लिए रिकवरी एजेंटों की सेवाएं (Recovery Agent) ले सकते हैं. लेकिन, ये अपनी हद पार नहीं कर सकते हैं.

इस तरह के थर्ड पार्टी एजेंट ग्राहक से मिल सकते हैं. उन्हें ग्राहकों को धमकाने या जोर जबर्दस्ती करने का अधिकार नहीं है. वे ग्राहक के घर सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बीच जा सकते हैं. हालांकि, वे ग्राहकों से बदसलूकी नहीं कर सकते हैं. अगर इस तरह का दुर्व्यवहार होता है तो ग्राहक इसकी शिकायत बैंक में कर सकते हैं. बैंक से सुनवाई न होने पर बैंकिंग ओंबड्समैन का दरवाजा खटखटाया जा सकता है.

आइए जानते हैं उन अधिकारों के बारे में-

(1) एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अपने कर्ज की वसूली के लिए कर्ज देने वालों बैंक, वित्तीय संस्थान को सही प्रक्रिया अपनाना जरूरी है. सिक्योर्ड लोन के मामले में उन्हें गिरवी रखे गए एसेट को कानूनन जब्त करने का हक है. हालांकि, नोटिस दिए बगैर बैंक ऐसा नहीं कर सकते हैं. सिक्योरिटाइजेशन एंड रीकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट (सरफेसी) एक्ट कर्जदारों को गिरवी एसेट को जब्‍त करने का अधिकार देता है.

(2) नोटिस का अधिकार- डिफॉल्ट करने से आपके अधिकार छीने नहीं जा सकते और न ही इससे आप अपराधी बनते हैं. बैंकों को एक निर्धारित प्रोसेस का पालन कर अपनी बकाया रकम की वसूली के लिए आपकी संपत्ति पर कब्जा करने से पहले आपको लोन चुकाने का समय देना होता है. अक्सर बैंक इस तरह की कार्रवाई सिक्योरिटाइजेशन एंड रिस्कंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट्स (सरफेसी एक्ट) के तहत करते हैं.

(3) लोन लेन वाले को तब नॉन- परफॉर्मिंग एसेट NPA यानी डूबे हुए कर्ज में डाला जाता है जब 90 दिनों तक वह बैंक को किस्त का भुगतान नहीं करता है. इस तरह के मामले में कर्ज देने वाले को डिफॉल्टर को 60 दिन का नोटिस जारी करना पड़ता है.

(4) अगर नोटिस पीरियड में बॉरोअर भुगतान नहीं कर पाता है तो बैंक एसेट की बिक्री के लिए आगे बढ़ सकते हैं. हालांकि, बांग्लादेश में वित्तीय नियम क्या हैं एसेट की बिक्री के लिए बैंक को 30 दिन और का पब्लिक नोटिस जारी करना पड़ता है. इसमें बिक्री के ब्योरे की जानकारी देनी पड़ती है.

(5) एसेट का सही दाम पाने का हक एसेट की बिक्री से पहले बैंक/वित्तीय संस्थान को एसेट का उचित मूल्य बताते हुए नोटिस जारी करना पड़ता है. इसमें रिजर्व प्राइस, तारीख और नीलामी के समय का भी जिक्र करने की जरूरत होती है.बकाया पैसे को पाने का अधिकार अगर एसेट को कब्जे में ले भी लिया जाता है तो भी नीलामी की प्रक्रिया पर नजर रखनी चाहिए. लोन की वसूली के बाद बची अतिरिक्त रकम को पाने का लेनदार को हक है. बैंक को इसे लौटाना पड़ेगा.

बांग्लादेश में वित्तीय नियम क्या हैं

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सरकार ने छोटी कंपनियों की परिभाषा को बदल कर सीमाओं को बढ़ा दिया है. इससे अब कई और कंपनियां भी छोटी कंपनियों की सीमा में आ सकेंगे. इससे उन्हें कई तरह के नियमों में राहत मिलेगी और काम करने में आसानी होगी.

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अब पहले से ज्यादा कंपनियों को मिलेगी नियमों में राहत, सरकार ने बदली छोटी कंपनियों की परिभाषा

सरकार ने आज छोटी कंपनियों के लिए के लिए पेड-अप कैपिटल और कारोबार सीमा में संशोधन किया है और सीमाएं बढ़ा दी हैं. जिससे अब और कंपनियां इसके दायरे में आ सकेंगी और उनका अनुपालन बोझ कम हो जाएगा. छोटी कंपनियों को कई नियमों में छूट मिलती है. नई सीमा के बाद कई और कंपनियों को इस छूट का लाभ मिलेगा. सरकार काफी समय से कारोबारी सुगमता पर जोर बढ़ा रही है. परिभाषा में बदलाव इसी दिशा में उठाया गया कदम है.

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने कारोबार करने में सुगमता को और बढ़ावा देने के उद्देश्य से छोटी कंपनियों की परिभाषा में फिर से बदलाव किया है. कुछ नियमों में संशोधन करते हुए छोटी कंपनियों के लिए पेड-अप कैपिटल की सीम को मौजूदा 2 करोड़ से बढ़ाकर 4 करोड़ कर दिया है.

यानि ऐसी कंपनियां जिनका पेड अप कैपिटल 4 करोड़ से कम है उन्हें छोटी कंपनी माना जाएगा. इसके साथ ही कारोबार की सीमा को 20 करोड़ से बढ़ाकर 40 करोड़ रुपये कर दिया है. यानि अब टर्नओवर के 40 करोड़ से कम होने पर नियमों में छूट मिलेगी. नई परिभाषा आने से अब अधिक संख्या में कंपनियां छोटी कंपनी की श्रेणी में आ जाएंगी.

मंत्रालय के मुताबिक छोटी कंपनियों को वित्तीय लेखा-जोखा के अंग के रूप में नकदी प्रवाह का लेखा-जोखा तैयार करने की जरूरत नहीं होती है. उन्हें लेखा परीक्षक के अनिवार्य रोटेशन की जरूरत भी नहीं होती है.विज्ञप्ति के मुताबिक छोटी कंपनी के लेखा-परीक्षक के लिए जरूरी नहीं रहा कि वह आंतरिक वित्तीय नियंत्रणों के औचित्य पर रिपोर्ट तथा अपनी रिपोर्ट में वित्तीय नियंत्रण की संचालन क्षमता प्रस्तुत करे. इसके अलावा इस श्रेणी की कंपनियों के निदेशक मंडल की बैठक वर्ष में केवल दो बार की जा सकती है.

छोटी कंपनी श्रेणी की इकाइयों को मिलने वाले अन्य लाभ यह हैं कि कंपनी के वार्षिक रिटर्न पर कंपनी सेक्रेटरी हस्ताक्षर कर सकता है या कंपनी सेक्रेटरी के न होने पर कंपनी का निदेशक हस्ताक्षर कर सकता है. इसके अलावा छोटी कंपनियों के लिए जुर्माना राशि भी कम होती है. हाल के समय में सरकार ने व्यापार सुगमता को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं। इनमें कंपनी अधिनियम, 2013 और सीमित देयता भागीदारी अधिनियम, 2008 के विभिन्न प्रावधानों को अपराध के वर्ग से निकालना शामिल हैं.

COP27 क्या है, और यह इतना ज़रूरी क्यों है?

नवंबर में साल की सबसे महत्वपूर्ण जलवायु वार्ता यानी COP27 का आयोजन होगा। कॉप27 के बारे में हम अभी तक जो कुछ भी जानते हैं, वो यहां पढ़ें:

ईजिप्ट के शर्म अल-शेख में एक होटल की छत पर सौर पैनल, जो नवंबर में महत्वपूर्ण जलवायु शिखर सम्मेलन COP27 की मेजबानी करेगा (छवि: मोहम्मद अब्द अल गनी / अलामी)

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ईजिप्ट के शर्म अल-शेख में एक होटल की छत पर सौर पैनल, जो नवंबर में महत्वपूर्ण जलवायु शिखर सम्मेलन COP27 की मेजबानी करेगा (छवि: मोहम्मद अब्द अल गनी / अलामी)

अक्टूबर 4, 2022 October 12, 2022

COP27 जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफ़सीसीसी) के दलों के सम्मेलन की 27 वीं बैठक है। इस वार्षिक बैठक सम्मेलन में 198 सदस्य जलवायु परिवर्तन पर ठोस कार्रवाई करने के लिए एक साथ आते हैं।

बैठक में, देश के प्रतिनिधि कई मुद्दों पर चर्चा करते हैं। जैसे: जलवायु परिवर्तन शमन यानी क्लाइमट चेंज मिटिगेशन, जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले पर्यावरणीय प्रभावों के प्रति अनुकूलन और विकासशील देशों का जीवाश्म ईंध यानी फ़ोसिल फ़्यूल से दूर जाने के प्रयास और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से लड़ना।

पहली संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता 1995 में बर्लिन, जर्मनी में आयोजित की गई थी। साल 2015 में आयोजित ऐतिहासिक COP21 बैठक में, देशों ने पेरिस समझौते को मंज़ूरी दी थी। यह एक ऐतिहासिक समझौता था। इसके तहत हर एक देश को पूर्व-औद्योगिक स्तरों यानी प्री-इंडस्ट्रीयल लेवल की तुलना में ग्लोबल वार्मिंग को “2 डिग्री सेल्सियस से नीचे” रखने के लिए अपनी प्रतिज्ञा पेश करनी थी। इस सामूहिक प्रयास में उत्सर्जन में कमी और अनुकूलन उपाय भी शामिल होनी चाहिए थी। उन्होंने ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने का आकांक्षात्मक लक्ष्य भी तय किया।

COP27 कब और कहां आयोजित किया जाएगा?

COP27 ईजिप्ट के शर्म अल शेख में 6 से 18 नवंबर 2022 तक आयोजित किया जा रहा है।

COP27 क्यों ज़रूरी है?

COP27 जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक कार्रवाई के लिए एक मेक-या-ब्रेक मौक़ा है। दुनिया 1.5 डिग्री सेल्सियस के भीतर वार्मिंग बांग्लादेश में वित्तीय नियम क्या हैं बनाए रखने की राह पर पहले ही नहीं है, और पिछले एक साल की घटनाओं ने सफलता की राह को और भी कठिन बना दिया है।

जलवायु परिवर्तन की वजह से विभिन्न आपदाओं में बढ़ोतरी देखी गई है। इन बढ़ते प्रभावों के साथ-साथ कोविड -19 और रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के निरंतर आर्थिक प्रभावों ने डीकार्बोनाइजेशन और जलवायु पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए बड़ी ठोकरें पैदा की हैं।

यह भी नज़र आ रहा है कि पेरिस समझौते की अहमियत ख़त्म होने के कगार पर है। अगर COP27 में जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान और क्षति यानी लॉस एंड डैमेज से निपटने के लिए विकासशील देशों को समर्थन मिले तो COP27 कामयाब होगा। और यह कामयाबी जलवायु पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को जीवित रखने के लिए ज़रूरी है।

COP26 में क्या हुआ था?

COP26 यानी पार्टियों का 26वां सम्मेलन पिछले साल स्कॉटलैंड के ग्लासगो में हुआ था। इस सम्मेलन के अंत तक सभी देश ग्लासगो जलवायु समझौते तक पहुंचे। इस समझौते में अनबेटिड कोल पावर यानी कोयले को “फेज़ डाउन” करने और बेअसर फ़ोसिल फ़्यूल सब्सिडी को ख़त्म करने की प्रतिबद्धता शामिल थी। COP26 में पेरिस नियम पुस्तिका को भी फ़ाइनल किया गया। पेरिस समझौते को ये रूप मिलने से कार्बन उत्सर्जन के व्यापार का मार्ग मज़बूत हुआ। इसे आर्टिकल 6 यानी अनुच्छेद 6 के रूप में भी जाना जाता है।

COP26 में विकासशील देशों के लिए एक बड़ी निराशा एक वित्त सुविधा पर प्रगति की कमी थी जो जलवायु परिवर्तन के कारण स्थायी क्षति से लड़ने के लिए विकसित देशों से वित्तीय सहायता में तेजी लाएगी। ग्लासगो क्लाइमेट पैक्ट ने लॉस एंड डैमेज को संबोधित करने की आवश्यकता को मान्यता दी लेकिन वो सम्मेलन एक ठोस उपाय के बिना समाप्त हो गया जो देशों को वित्तीय सहायता प्रदान कर सकता था।

दक्षिण एशिया के लिए COP27 का क्या मतलब है?

दक्षिण एशियाई देश जलवायु परिवर्तन के प्रभावों जैसे सूखा, शक्तिशाली चक्रवात और अन्य आपदाओं से प्रभावित है। हिमालय जैसे नाज़ुक क्षेत्रों में अनिश्चित मानसून और बदलता जल चक्र ख़तरे का संकेत है। इस इलाक़े में जोखिम ज़्यादा है। साथ ही, दक्षिण एशिया जलवायु परिवर्तन की वजह से होने वाले प्रवास और विस्थापन से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में से एक है।

चरम मौसम की घटनाओं पर 2021 के एक अध्ययन में पाया गया कि भारत दुनिया का सातवां सबसे अधिक प्रभावित देश था। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव अधिक गंभीर और लगातार होते जा रहे हैं। सिर्फ़ 2022 में, कई चरम घटनाओं ने दक्षिण एशिया को प्रभावित किया है। पाकिस्तान में विनाशकारी बाढ़ ने कम से कम 33 मिलियन लोगों को प्रभावित किया है और कम से कम 882 बिलियन रुपयों की क्षति हुई है। इस साल की शुरुआत में, बड़े पैमाने पर बाढ़ ने पूर्वोत्तर भारत और बांग्लादेश में सैकड़ों हजारों लोगों को विस्थापित किया और लाखों लोगों की आजीविका को भी बर्बाद कर दिया।

कुछ लोगों के लिए ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करना ज़िंदगी और मौत का सवाल है। कई लोग मौसम की चरम सीमाओं से निपटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।उनके पास अनुकूलन के लिए आर्थिक संसाधनों की भी कमी है। ज़्यादातर विकासशील देशों की तरह, दक्षिण एशियाई देश भी न्यूनीकरण और अनुकूलन को बढ़ाने और पेरिस समझौते के तहत अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरा करने के लिए विकसित देशों पर निर्भर हैं।

इस साल सितंबर में, भारत के केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने घोषणा की कि इस साल ईजिप्ट में COP27 में जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाला लॉस एंड डैमेज यानी नुकसान और क्षति चर्चा का एक प्रमुख बिंदु होगा। पाकिस्तान ने इस बात पर भी ज़ोर दिया है कि इस साल की जलवायु वार्ता में नुकसान और क्षति औपचारिक एजेंडे में होनी चाहिए। COP27 में, विकसित देशों पर वार्ता के दौरान नुकसान और क्षति के लिए समर्थन को प्राथमिकता देने के लिए कमज़ोर देशों का दबाव रहेगा।

पाकिस्तान: सेंसर बोर्ड की समिति ने ‘जॉयलैंड’को रिलीज़ के लिए मंज़ूरी दी

बीते दिनों पाकिस्तान द्वारा ऑस्कर 2023 के लिए भेजी गई ‘जॉयलैंड’ फिल्म पर सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने रिलीज़ से ठीक पहले प्रतिबंध लगाते हुए कहा था है कि फिल्म देश के ‘सामाजिक मूल्यों और नैतिक मानकों’ के अनुरूप नहीं है. अब सेंसर बोर्ड की समीक्षा समिति ने फिल्म को 'मामूली कट' के साथ हरी झंडी दे दी है. The post पाकिस्तान: सेंसर बोर्ड की समिति ने ‘जॉयलैंड’ को रिलीज़ के लिए मंज़ूरी दी appeared first on The Wire - Hindi.

बीते दिनों पाकिस्तान द्वारा ऑस्कर 2023 के लिए भेजी गई फिल्म ‘जॉयलैंड’ पर सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने रिलीज़ से ठीक पहले प्रतिबंध लगाते हुए कहा था है कि फिल्म देश के ‘सामाजिक मूल्यों और नैतिक मानकों’ के अनुरूप नहीं है. अब सेंसर बोर्ड की समीक्षा समिति ने फिल्म को ‘मामूली कट’ के साथ हरी झंडी दे दी है.

जॉयलैंड फिल्म का पोस्टर. (साभार: Khoosat Films)

नई दिल्ली: ऑस्कर पुरस्कार के लिए पाकिस्तान की आधिकारिक प्रविष्टि साइम सादिक की फिल्म ‘जॉयलैंड’ को देश में रिलीज के लिए मंजूरी दे दी गई है. देश के सेंसर बोर्ड की समीक्षा समिति ने फिल्म को ‘मामूली कट’ के साथ हरी झंडी दी है.

‘जॉयलैंड’ को सरकार ने 17 अगस्त को प्रमाण पत्र दिया था. इसकी सामग्री को लेकर हाल में ऐतराज़ जताया गया था, जिसके बाद बांग्लादेश में वित्तीय नियम क्या हैं सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने देश के रूढ़िवादी तत्वों के साथ टकराव से बचने के लिए फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया था.

इसके बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ के सलाहकार सलमान सूफी ने बताया था कि प्रधानमंत्री फिल्म पर बैन लगाए जाने के निर्णय की समीक्षा करेंगे और एक उच्च-स्तरीय समिति बनाई जाएगी.

डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, समिति में राजनीतिक और आर्थिक मामलों के मंत्री और कानून और न्याय अध्यक्ष, सूचना और प्रसारण मंत्री, संचार मंत्री, निवेश बोर्ड के मंत्री, सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार मंत्री, गिलगित-बाल्टिस्तान मामलों पर प्रधानमंत्री के सलाहकार, पाकिस्तान दूरसंचार प्राधिकरण के अध्यक्ष और पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नियामक प्राधिकरण के अध्यक्ष शामिल थे.

16 नवंबर को सलमान सूफी ने ट्विटर पर सेंसर बोर्ड के प्रतिबंध को हटाने के फैसले की घोषणा करते हुए कहा, ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मौलिक अधिकार है और कानून के दायरे में इसका पालन किया जाना चाहिए.’

ज्ञात हो कि फिल्म 18 नवंबर को पाकिस्तान के सिनेमाघरों रिलीज़ की जानी है. सादिक के निर्देशन में बनी पहली फिल्म 2023 अकादमी पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय फीचर श्रेणी की अंतिम पांच में स्थान पाने की दौड़ में है.

‘जॉयलैंड’ में पितृसत्तात्मक परिवार की कहानी है जो चाहता है कि परिवार का वंश चलाने के लिए बेटा पैदा हो जबकि उनका छोटा बेटा चुपके से एक इरोटिक डांस थियेटर में शामिल हो जाता है और ट्रांसजेंडर महिला से प्रेम करने लगता है.

अल जज़ीरा के अनुसार, अगस्त में देश के प्रांतीय और केंद्रीय सेंसर बोर्ड द्वारा फिल्म को मंजूरी दे दी गई थी.

पाकिस्तान में तीन सेंसर बोर्ड हैं: केंद्रीय फिल्म सेंसर बोर्ड, जिसका दो प्रांतों के अलावा अन्य सभी क्षेत्रों पर अधिकार क्षेत्र है, वहीं सिंध क्षेत्र में सिंध फिल्म सेंसर बोर्ड और पंजाब में पंजाब फिल्म सेंसर बोर्ड काम करता है.

हालांकि, इसे तीनों सेंसर बोर्ड ने मंजूरी दे दी थी, लेकिन एक धार्मिक पार्टी के नेता की शिकायत ने संघीय सेंसर बोर्ड को अपने पहले के फैसले को उलटने के लिए मजबूर कर दिया. अल जज़ीरा की रिपोर्ट में कहा गया है कि फिल्म को इसी के बाद देश में रिलीज से प्रतिबंधित कर दिया गया था.

उल्लेखनीय है कि फिल्म को टोरंटो अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव, अमेरिकन फिल्म इंस्टिट्यूट फेस्टिवल और बुसान अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में भी दिखाया गया था, जहां इसे काफी सराहना मिली थी. इसे बीते सप्ताह ‘एशिया पैसिफिक स्क्रीन अवार्ड्स’ का युवा सिनेमा पुरस्कार भी मिला है.

फिल्म को कांन्स फिल्म महोत्सव का एलजीबीटीक्यू पुरस्कार क्वीर पाम भी मिला है.

इस्लाम के शांतिपूर्ण गौरव बांग्लादेश में वित्तीय नियम क्या हैं को बनाए रखने के लिए आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस : हसीना

बांग्लादेश। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने गुरुवार को सभी लोगों से बुरी ताकतों द्वारा की जा रही इस्लाम की गलत व्याख्या का विरोध करने और धर्म के सार से भरे समाज से अंधकार, अशिक्षा, हिंसा और आतंकवाद को खत्म करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहा- हम सभी शांति, इस्लाम के संदेश को अपने दिल में धारण करें और समाज से अंधकार, अशिक्षा, कलह, हिंसा, आतंकवाद और उग्रवाद को मिटा दें, इस्लाम की गलत व्याख्या करने वाली बुरी ताकतों का विरोध करें।

उन्होंने बंगबंधु इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर में हज एजेंसीज एसोसिएशन ऑफ बांग्लादेश (एचएएबी) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तर के हज और उमराह प्रबंधन सम्मेलन-2022 और हज और उमरा मेले के उद्घाटन समारोह को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा- देश को आतंकवाद से मुक्त रखकर पवित्र इस्लाम के शांतिपूर्ण गौरव को बनाए रखने के लिए हमने आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस अपनाया है।

शेख हसीना ने कहा कि राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान ने देश में इस्लाम के लिए बहुत कुछ किया है और उनके उत्तराधिकारी के रूप में उनकी सरकार इस्लाम की भावना को बनाए रखने और लोगों के कल्याण के लिए अथक प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि इस्लाम दुनिया का सबसे अच्छा धर्म है, लेकिन कभी-कभी कुछ आतंकवादियों के कारण आलोचना का सामना करना पड़ता है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने हर क्षेत्र में इस्लामी विद्वानों की समिति बनाई है ताकि कोई भी बच्चा आतंकवाद और ड्रग्स में शामिल न हो सके।

प्रीमियर ने कहा कि इमामों को मानव संसाधन के विकास के लिए धार्मिक नेताओं को शामिल करने के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। आयोजन के उद्देश्यों में तीर्थयात्रियों को हज-संबंधी उचित जानकारी प्रदान करना, उन्हें वर्तमान प्रौद्योगिकी-आधारित हज प्रबंधन के बारे में जागरूक करना, उन्हें हज एजेंसियों से सीधे संपर्क करने में सक्षम बनाना और बिचौलियों और घोटालेबाजों के प्रभाव को कम करना शामिल है।

सम्मेलन में हज और उमराह प्रबंधन: उपलब्धियां और कार्यों की आवश्यकता और ई-हज प्रबंधन और मक्का पहल के मार्ग पर दो सेमिनार आयोजित किए जाएंगे। विभिन्न हज एजेंसियों, वित्तीय संगठनों और अधिकारियों ने तीन दिवसीय हज और उमराह मेले में लगभग 150 स्टॉल और मंडप लगाए हैं, जो हर दिन सुबह 10 बजे से रात 8 बजे तक खुले रहेंगे। बांग्लादेश, दुनिया के बीच, मक्का में तीर्थयात्रियों को भेजने वाला चौथा सबसे बड़ा देश है। 90 प्रतिशत से अधिक बांग्लादेशी हज यात्री और 100 प्रतिशत उमरा तीर्थयात्री निजी प्रबंधन के तहत सऊदी अरब जाते हैं। नागरिक उड्डयन और पर्यटन मंत्री मोहम्मद महबूब अली, धार्मिक मामलों के मंत्री मोहम्मद फरीदुल हक खान, सचिव काजी इनामुल हसन, बांग्लादेश में सऊदी राजदूत इस्सा बिन यूसुफ अल-दहिलन और एचएएबी के अध्यक्ष एम. शहादत हुसैन तस्लीम ने भी उद्घाटन समारोह में मौजूद रहे।

हज एजेंटों द्वारा कुप्रबंधन के बारे में, प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि कोई एजेंसी तीर्थयात्रियों को धोखा देती है या परेशान करती है, तो उस एजेंसी के खिलाफ विभिन्न प्रशासनिक उपाय किए जाते हैं। जो लोग अल्लाह के घर आए मेहमानों को परेशान करेंगे, उन्हें कड़ी सजा भुगतनी होगी। इसे याद रखना होगा।

यह देखते हुए कि उनकी सरकार ने हज और उमराह प्रबंधन अधिनियम, 2021 और हज और उमराह प्रबंधन नियम, 2022 तैयार किए हैं, उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप, हज प्रबंधन में कुप्रबंधन, अनियमितताओं और कदाचार की शिकायतों का निवारण किया गया है। उन्होंने बांग्लादेशी हज तीर्थयात्रियों से सऊदी अरब में सभी स्थानीय नियमों और कानूनों को जानने और उनका पालन करने के लिए कहा, ताकि हज प्रबंधन के मामले में बांग्लादेश को मिली सराहना को बनाए रखा जा सके। हज प्रबंधन में सुधार के लिए अपनी सरकार की सफलता पर ध्यान केंद्रित करते हुए, उन्होंने कहा कि उन्होंने 1996 से 2001 तक अपने पहले शासन के दौरान कई विकास किए थे, लेकिन हज प्रबंधन फिर से खराब हो गया जब 2001 के बाद आठ साल तक सत्ता से बाहर रहे। उन्होंने कहा, लेकिन अब हम हज प्रबंधन में विश्व स्तरीय सुधार लाने में सक्षम हैं क्योंकि हम अल्लाह की कृपा से 2009 से लंबे समय से सत्ता में हैं।

शेख हसीना ने कहा कि ई-हज प्रबंधन हर क्षेत्र में चलाया जा रहा है, जिसमें तीर्थयात्रियों के पूर्व-पंजीकरण और पंजीकरण, ई-स्वास्थ्य प्रोफाइल का निर्माण, ई-टिकटिंग, तीर्थयात्रियों का परिवहन, मक्का और मदीना में आवास प्रबंधन और स्वास्थ्य सेवा शामिल है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने 2009 में जेद्दा में एक अलग हज कार्यालय स्थापित किया और वहां एक काउंसलर (हज) और एक महावाणिज्य दूत (हज) नियुक्त किया। वीजा, पासपोर्ट, आवास, चिकित्सा सुविधाएं, सऊदी अरब की यात्रा और हज से वापसी सहित हर सेवा को तीर्थयात्रियों के लिए आसान बना दिया गया है। उन्होंने कहा कि अब उनकी सरकार के कदमों की बदौलत हज तीर्थयात्रियों की आव्रजन प्रक्रिया ढाका में पूरी हो जाएगी और अब बांग्लादेशी तीर्थयात्रियों को जेद्दाह में आव्रजन प्रक्रिया के लिए समय देने की आवश्यकता नहीं होगी। उन्होंने कहा, मैंने अपनी आंखों से गंदी स्थिति देखी। इसलिए, जब मैंने सरकार बनाई, तो मेरी कोशिश तीर्थयात्रियों की समस्याओं को दूर करने की थी।

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