शेयरों में निवेश की लागत

निवेश के लिए लेखांकन का वैकल्पिक तरीका इक्विटी विधि है। इक्विटी पद्धति का उपयोग केवल तभी किया जाता है जब निवेशक का निवेशिती पर महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। इक्विटी पद्धति की तुलना में लागत पद्धति के तहत निवेश का हिसाब देना काफी आसान है, यह देखते हुए कि लागत पद्धति के लिए केवल प्रारंभिक रिकॉर्डिंग और हानि के लिए एक आवधिक परीक्षा की आवश्यकता होती है।
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जब एक निवेश इकाई निवेश करती है और निवेश में निम्नलिखित दो मानदंड होते हैं, तो निवेशक लागत पद्धति का उपयोग करके निवेश के लिए खाता है:
निवेशक का निवेशिती पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं होता है (आमतौर पर इसे निवेशिती के शेयरों का 20% या उससे कम का निवेश माना जाता है)।
निवेश का कोई आसानी से निर्धारण योग्य उचित मूल्य नहीं है।
इन परिस्थितियों में, लागत पद्धति अनिवार्य है कि निवेशक अपनी ऐतिहासिक लागत (यानी, खरीद मूल्य) पर निवेश के लिए खाता है। यह जानकारी निवेशक की बैलेंस शीट पर एक परिसंपत्ति के रूप में दिखाई देती है।
एक बार जब निवेशक प्रारंभिक लेनदेन को रिकॉर्ड कर लेता है, तो इसे समायोजित करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है, जब तक कि इस बात का सबूत न हो कि निवेश का उचित बाजार मूल्य रिकॉर्ड की गई ऐतिहासिक लागत से कम हो गया है। यदि ऐसा है, तो निवेशक निवेश की दर्ज लागत को उसके नए उचित बाजार मूल्य में लिखता है।
ETF में किसे निवेश करना चाहिए?

ETFs कम लागत में शेयर बाज़ार में पैसा निवेश करने की सुविधा देते हैं।वे लिक्विडिटी और रियल टाइम सेटलमेंट देते हैं क्योंकि वे एक्सचेंज पर लिस्ट किए जाते हैं और उनमें शेयरों की तरह कारोबार होता है। ETFs स्टॉक इंडेक्स का अनुकरण करते हैं, जिससे वे आपकी पसंद के कुछ शेयरों में निवेश के विपरीत डाइवर्सिफिकेशन पेश करते हैं।
ETFs ट्रेड करने के आपके पसंदीदा तरीके में फ्लेक्सिबिलिटी देते हैं जैसे कीमत घटने पर बेचना या मार्जिन पर खरीदना। ETFs निवेश के कई दूसरे मौजूदाविकल्पों तक भी पहुँच देते हैं जैसे कमोडिटीज़, विदेशी इंडेक्स और अंतर्राष्ट्रीय सिक्युरिटीज़ में निवेश करना। आप अपनी पोज़िशन को बचाने के लिए ऑपशन्स और फ़्यूचर्स का इस्तेमाल भी कर सकते हैं जो म्यूचुअल फंड में निवेश पर उपलब्ध नहीं होता है।
सरकारी कंपनियों के शेयर में निवेश भी है फायदे का सौदा, जानिए कैसे होगा आपको लाभ
चुनावों से पहले अक्सर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को रिफार्म की उम्मीद दिखती है। इस उम्मीद के सहारे वे अच्छा प्रदर्शन करते हैं। ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि सार्वजनिक उपक्रम अगले दो वर्षों में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन: सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां यानी पीएसयू पूंजी बाजार का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये व्यापक स्तर पर निवेश के अवसर पेश करने वाले विभिन्न क्षेत्रों में मौजूद होती हैं। पीएसयू का शेयरों में निवेश की लागत अच्छा खासा मूल्यांकन किया गया है और ये बेहतर मार्जिन आफ सेफ्टी प्रदान करती हैं। इसके अलावा उतार-चढ़ाव वाले माहौल में ज्यादा लाभांश देने वाली कंपनियों की मांग अधिक होती है। इससे पूंजी में वृद्धि होती है।
पीएसयू क्षेत्र का मूल्यांकन काफी आकर्षक
पीएसयू क्षेत्र में आकर्षक मूल्यांकन यानी वैल्यूएशन कुछ समय के लिए आकर्षक रहा है, जो यह दर्शाता है कि कंपनियों के पास सुरक्षा का बेहतर मार्जिन है। पीएसयू कंपनियां अच्छे लाभांश का भुगतान भी करती हैं।हालांकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक एक साइकिल चेंज के बीच में हैं, जिसमें इक्विटी पर रिटर्न अभी शुरू हुआ है। बेहतर एसेट क्वालिटी के कारण क्रेडिट लागत कम हो गई है।
शेयर बाजार के आंकड़े बताते हैं कि चुनावों से पहले अक्सर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को रिफार्म की उम्मीद दिखती है। इस उम्मीद के सहारे वे अच्छा प्रदर्शन करते हैं। चुनाव पूर्व अवधि को देखते हुए सार्वजनिक उपक्रम अगले दो वर्षों में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। इसके अलावा, पीएसयू शेयरों में निवेश करने से कई तरह के लाभ मिलते हैं। पीएसयू की उधार लेने की लागत कम है। यह बढ़ती ब्याज दर के मौजूदा परिदृश्य में फायदेमंद है। इतना ही नहीं पीएसयू शेयरों में प्रमोटरों द्वारा संचालित कंपनी की तुलना में निरंतरता के नजरिये से प्रमुख प्रबंधकीय कार्मिक जोखिम अपेक्षाकृत कम होता है।
भारत में म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे करें?
म्यूचुअल फंड उद्योग एक प्रकार का निवेश वाहन है जो कई निवेशकों से स्टॉक, बॉन्ड, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट आदि जैसी प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए धन एकत्र करता है। पेशेवर मनी मैनेजर म्यूचुअल शेयरों में निवेश की लागत फंड का प्रबंधन करते हैं, संपत्ति आवंटित करते हैं और निवेशकों के लिए पूंजीगत लाभ का उत्पादन करने का प्रयास करते हैं। म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो संरचित और उनके प्रॉस्पेक्टस में उल्लिखित निवेश उद्देश्यों से मेल खाने के लिए प्रबंधित होते हैं। व्यक्ति और छोटे व्यवसाय म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं, जो उन्हें स्टॉक, बॉन्ड आदि के पेशेवर रूप से प्रबंधित शेयरों में निवेश की लागत पोर्टफोलियो तक पहुंच प्रदान करते हैं। शेयरधारक फंड के लाभ या हानि को आनुपातिक रूप से साझा करते हैं। आम तौर पर, म्यूचुअल फंड का प्रदर्शन फंड के कुल मार्केट कैप में बदलाव पर आधारित होता है, जो फंड के अंतर्निहित निवेश के प्रदर्शन को जोड़कर प्राप्त किया जाता है।
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प्लानिंग के साथ करें निवेश
समझने वाली पहली बात यह है कि म्यूचुअल फंड के विपरीत, शेयरों में सीधे निवेश करने से रिस्क ज्यादा होता है. निवेश करने से पहले कैपिटल अमाउंट की योजना बनाना और निर्धारित करना जरूरी है. जरूरी बात यह है कि पहले आपको अपनी जोखिम उठाने की क्षमता का पहचानना होगा और इसी आधार पर निवेश करना चाहिए. ‘हाई रिस्क, हाई रिटर्न’ फिलॉसफी को आंख मूंदकर फॉलो न करें और आपको अपने इन्वेस्टमेंट के लॉन्ग टर्म प्रभावों पर विचार करना चाहिए.
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यह तय करते समय कि किन शेयरों में निवेश करना है, सभी ट्रेड में अपनी नुकसान उठा लेने की क्षमता को समझें. अगर बाजार में गिरावट आती है तो इससे आपको बायबैक और एग्जिट प्लान तैयार करने में मदद मिलेगी. इसके अलावा, अपने निवेश को डायवर्सिफाई करना भी जरूरी है. अगर आपको किसी स्टॉक में नुकसान हो भी जाता है तो डायवर्सिफिकेशन से संतुलन बना रहता है. अलग-अलग इक्विटी में निवेश करने से लंबी अवधि में अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने में भी मदद मिलती है.
बाजार को समझना है जरूरी
नए निवेशकों को यह समझना चाहिए कि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है. यहां तक कि अनुभवी निवेशक भी हमेशा बाजार के व्यवहार का सटीक अनुमान नहीं लगा सकते हैं. यदि एक दिन स्टॉक की कीमत बढ़ जाती है, तो ऐसा भी हो सकता है कि अगले दिन उसकी कीमत घट जाए. इसलिए, शेयर बाजार को प्रभावित करने वाले कारकों को समझना अहम है. अनुभवी निवेशक भी कई बार गलत साबित हो सकते हैं. छोटी अवधि में होने वाले नुकसान पर फोकस करने के बजाय लंबी अवधि के रिटर्न पर ध्यान दें.
शौकिया निवेशक अक्सर फौरन हाई रिटर्न की उम्मीद करते हैं. उदाहरण के लिए, हर साल स्टॉक पर 100% से अधिक का रिटर्न कमाने की उम्मीद करना ठीक नहीं है. हालांकि, कुछ निवेश हाई रिटर्न दे सकते हैं. इसलिए आपको हमेशा वास्तविकता को समझते हुए निवेश करना चाहिए. फाइनेंशियल गोल ऐसे होने चाहिए जिन्हें आप हासिल कर सकते हैं. इसके अलावा, उन स्कीम में निवेश से बचें जो कम समय में हाई रिटर्न का वादा करती हैं. निवेश करने से पहले पूरी तरह से रिसर्च कर लें.
शुरुआत में लीवरेज्ड इंस्ट्रूमेंट्स से बचें
नए निवेशकों को कैश डिवीजन में इक्विटी में निवेश करना शुरू कर देना चाहिए और लीवरेज्ड फाइनेंस से बचना चाहिए. लीवरेज्ड निवेश एक ऐसी रणनीति है जिसके तहत पैसे उधार लेकर निवेश के मुनाफे को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है. ये लाभ उधार ली गई पूंजी पर निवेश रिटर्न और ब्याज की लागत के बीच के अंतर से प्राप्त होते हैं. इसमें प्रॉफिट की संभावना तो बढ़ जाती है, लेकिन नुकसान की संभावना भी बढ़ जाती है.
फाइनेंशियल स्टेबिलिटी बनाए रखने के लिए चीजों को सरल रखना चाहिए. अपने एनालिसिस को जितना हो सके सरल रखें. जैसा कि पहले हमने बताया है कि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव होता ही है. हालांकि, आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप कभी भी बाजार के उतार-चढ़ाव को देखकर जल्दबाज़ी में और फौरन फैसले न लें. स्टॉक के शेयरों में निवेश की लागत प्रदर्शन से घबराने के बजाय, आपको एक व्यापक रणनीति बनानी चाहिए और उस पर टिके रहना चाहिए.
नए निवेशक बनाएं रणनीति
शेयर बाजार में निवेश पर काफी फायदा हो सकता है. हालांकि, आपको कुछ ऐसे नुकसानों से बचना चाहिए जिनका सामना ज्यादातर नए निवेशक पहली बार निवेश करते समय करते हैं. नए लोगों को निवेश के लिए एक रणनीति तैयार करनी चाहिए. यह रणनीति ऐसी होनी चाहिए जिसके तहत बाजार की स्थितियों की परवाह किए बिना अच्छे और बुरे दोनों समय में उस पर कायम रहा जा सके.
(By Anish Singh Thakur. लेखक बूमिंग बुल्स एकेडमी के CEO हैं. यहां व्यक्त विचार लेखक के हैं. Financialexpress.com इसकी जिम्मेदारी नहीं लेता है. कृपया कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें.)