क्रिप्टोक्यूरेंसी का परिचय

विश्लेषण और योजना

विश्लेषण और योजना
टीम इंडिया के पास दूरदर्शी योजनाओं की कमी साफ नजर आती है.

मृदा स्वास्थ्य कार्ड

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना भारत सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है जिसे फरवरी 2015 में लॉन्च किया गया था। कृषि सहयोग और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार (भारत सरकार) में एकीकृत प्रबंधन प्रभाग द्वारा प्रबंधित योजनाएं। इस योजना को किसानों को अपनी मिट्टी की स्वास्थ्य स्थिति विश्लेषण और योजना जानने के लिए लॉन्च किया गया था, जैसा कि 12 महत्वपूर्ण मिट्टी के मानकों (जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, पीएच, ईसी, कार्बनिक कार्बन, सल्फर, जिंक, बोरॉन, आयरन, मैंगनीज और कॉपर) द्वारा दर्शाया गया है और तदनुसार प्रबंधन प्रथाओं का पालन करें।

इस योजना के तहत, योजना के परिचालन दिशानिर्देशों में दिए गए मानदंडों के अनुसार मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं (एसटीएल) में विभिन्न स्थानों से एकत्रित मिट्टी के नमूने का विश्लेषण किया जाता है। परिणाम राष्ट्रीय मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल में अपलोड किए गए हैं, जो कि मिट्टी के नमूनों के पंजीकरण के लिए विकसित किए गए हैं, मिट्टी के नमूनों के परीक्षण परिणामों की रिकॉर्डिंग और मृदा सिफारिशों के साथ उर्वरक सिफारिशों के साथ-साथ प्रगति की निगरानी के लिए एक सूचना मॉड्यूल के अलावा, देश में सभी 14 करोड़ होल्डिंग्स के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) जारी करने के लिए लगभग 2.53 करोड़ नमूने का विश्लेषण किया जाना है। वर्ष 2016-16 के लिए 1 करोड़ नमूने के लक्ष्य और वर्ष 2016-17 में 1.53 करोड़ नमूनों के लक्ष्य के साथ चक्र को दो वर्षों में लागू करने का प्रस्ताव है।

उद्देश्य

  • सभी किसानों को हर दो साल मिट्टी के स्वास्थ्य कार्ड जारी करने के लिए, ताकि निषेचन प्रथाओं में पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए आधार प्रदान किया जा सके।
  • क्षमता निर्माण, कृषि छात्रों की भागीदारी और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) / राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (एसएयू) के साथ प्रभावी संबंध के माध्यम से मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं (एसटीएल) की कार्यप्रणाली को मजबूत बनाने के लिए।
  • लक्षित जिलों में समान रूप से राज्यों और विश्लेषण और डिजाइन तालुका / ब्लॉक स्तर उर्वरक सिफारिशों के समान नमूनाकरण के लिए मानकीकृत प्रक्रियाओं के साथ मिट्टी की प्रजनन संबंधी बाधाओं का निदान करने के लिए।
  • पोषक उपयोग दक्षता को बढ़ाने के लिए जिलों में टी मिट्टी परीक्षण आधारित पोषक प्रबंधन को विकसित करने और प्रोमो करने के लिए।
  • किसानों को पोषक तत्वों की कमी और पॉपला राइजिंग संतुलन और उनके क्रॉपिंग सिस्टम के लिए एकीकृत पोषक तत्व एजेंट एजेंस प्रथाओं के लिए सुधारात्मक उपायों को लागू करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना।
  • पोषक प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए जिला और राज्य स्तरीय कर्मचारियों और प्रोजेर विश्लेषण और योजना निवासी किसानों की क्षमताओं का निर्माण करना।

लाभार्थी:

यह योजना किसानों की मिट्टी की अच्छी तरह निगरानी करेगी और उन्हें एक प्रारूपित रिपोर्ट देगी। इसलिए, वे अच्छी तरह से तय कर सकते हैं कि उन्हें कौन सी फसल पैदा करनी चाहिए और उन्हें किसको छोड़ना चाहिए।

टीम इंडिया की हार का विश्लेषण: टीम चयन और योजनाओं का अभाव

टीम इंडिया (Team India) की ये हार पहले से तय दिख रही थी. पाकिस्तान (Pakistan) से हम पहला मैच हारते-हारते जीते थे. उसके बाद के मैच कमजोर टीमों के खिलाफ थे, जिन्हें आप जीत गए. लेकिन, उन मैचों का भी सूक्ष्म विश्लेषण करेंगे. तो, पाएंगे कि वहां भी हमारा प्रदर्शन क्षमता के अनुरूप नहीं था.

होम -> स्पोर्ट्स

ये हार पहले से तय दिख रही थी. पाकिस्तान से हम पहला मैच हारते-हारते जीते थे. उसके बाद के मैच कमजोर टीमों के खिलाफ थे, जिन्हें आप जीत गए. लेकिन, उन मैचों का भी सूक्ष्म विश्लेषण करेंगे. तो, पाएंगे कि वहां भी हमारा प्रदर्शन क्षमता के अनुरूप नहीं था.

एक सौ तीस करोड़ के ऊपर की जनसंख्या वाले देश में ऐसा नहीं है कि खिलाड़ी नहीं हैं. टीम इंडिया के पास पर्याप्त और बेहतर खिलाड़ी हैं. लेकिन, टीम इंडिया के पास योजना का अभाव साफ झलकता है. कार्तिक को किस आधार पर चयनित करते हैं? उसमें क्रिकेट का कितना भविष्य है? क्या निधास ट्रॉफी की सिर्फ एक पारी के दम पर आप उन्हें खिलाते चले जायेंगे? उम्रदराज शिखर धवन को वनडे में आप किस योजना के तहत चयनित करते चले जा रहे हैं? केएल राहुल में नियमितता के अभाव को देखते हुए भी हम निवेश करते चले जा रहे हैं. बार-बार कहा जा रहा है कि केएल राहुल सिर्फ जिम्बाब्वे, नामीबिया जैसी टीमों और चिन्नास्वामी जैसी विकेटों के खिलाड़ी हैं. बड़े मैचों में वे फेल ही दिखते हैं. भुवनेश्वर विश्वकप से पहले ही खराब फार्म से जूझ रहे थे. पेस की कमी के कारण जहां स्विंग नहीं होती, वहां वे बेरंग दिखते हैं. साथ ही अब उनमें पहले जैसी स्विंग भी नहीं रही. अश्विन काफी समय से टी20 टीम का हिस्सा नहीं थे. उन्हें विश्वकप से ठीक पहले खिलाना शुरू किया गया. यह योजनाओं की शून्यता को साफ दर्शाता है.

T20 World Cup 2022 India loss to England know the reason why Team India out of this Tournament India vs England semifinal

विश्लेषण और योजना टीम इंडिया के पास दूरदर्शी योजनाओं की कमी साफ नजर आती है.

कभी हमारी टीम योजनाओं का हिस्सा रहे पृथ्वी शॉ गायब हैं. श्रेयस अय्यर सिर्फ टीम के साथ टूर पर जाते हैं. जिस ऋषभ पंत को अबतक टीम में जम जाना था. उसे हम टुकड़ों में मौका देकर उसके आत्मविश्वास को डिगा रहे हैं. लगातार बेहतर खेल रहे संजू सैमसन तभी टीम का हिस्सा होते हैं, जब दूसरी टीम कमजोर होती है और हमें अपने खिलाड़ियों को आराम देने के लिए दूसरे दर्जे की टीम चुननी होती है. ईशान किशन के साथ भी यही हाल है. चाइनामैन कुलदीप यादव आज टीम योजनाओं में नहीं है. चहल भी सिर्फ टूर पर ही जाते हैं.

पिछले कई मैचों से हम देख रहे हैं कि शुरुआत के ओवरों में हम विश्लेषण और योजना 6 से 7 की रन रेट से रन बनाते हैं और विकेट बचाते हैं. आप लाख तकनीक के धनी हों. लेकिन अगर आपके बल्ले से रन ही नहीं निकलते. तो, उस तकनीक विश्लेषण और योजना के क्या मायने हैं? टी20 मैचों मे आखिरकार आपकी तकनीक नहीं बल्कि स्कोरबोर्ड पर टंगे रन और स्ट्राइक रेट ही मायने रखती हैं. भारत को अपने खेलने के तरीके में परिवर्तन करना होगा. ओपनिंग किसी भी पारी का आधार होता है. भारत को इसके लिए सहवाग के दौर से प्रेरणा लेनी चाहिए कि कैसे सहवाग शुरुआत के आठ-दस ओवरों में विस्फोटक शुरुआत दे जाते थे. इससे बाद के बल्लेबाजों को कुछ गेंदे जाया करते हुए जमने का अवसर मिल जाता था. आज इसका उल्टा होता है. शुरुआत से ही रन रेट नीचे रहता है और बाद के बल्लेबाजों पर एकदम से रनरेट बढ़ाने का प्रेशर रहता है. भारत को इस कमी को दूर करने के लिए अपनी योजनाएं बनानी होंगी.

न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच जीतने के बाद पाकिस्तानी खिलाड़ियों का जश्न और रिजवान द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस में ख़ुदा का नाम लेते हुए पाकिस्तान का जिक्र करना कुछ लोगों को भले खराब लगा हो. लेकिन, यह उनका अपने मुल्क के प्रति समर्पण को दिखाता है. कल से मैंने सोशल साइट्स पर पीसीबी द्वारा डाले गए कई शॉर्ट वीडियोज देखे हैं. इन सबमे पाकिस्तान के प्रति उनके समर्पण को महसूस किया जा सकता है. पाकिस्तान की जीत के बाद उनके खिलाड़ियों का स्टेडियम के चक्कर लगाना साफ दर्शा रहा था कि वह जीत और मुल्क उनके लिए कितना जरूरी है.

आईपीएल में अथाह पैसा और शोहरत भारतीय खिलाड़ियों की इस भावना में कमी लायी है. कई खिलाड़ियों का आराम के नाम पर भारत के लिए कभी-कभी खेलने से इंकार करना इसकी सबसे बड़ी बानगी है. जबकि, वही खिलाड़ी आईपीएल का एक मैच भी मिस करने से कतराते हैं.

आगे के टूर्नामेंट में हम बेहतर खेलें. इसके लिए हमें दीर्घकालिक योजनाएं बनानी होंगी. हमे दिलीप वेंगसरकर जैसे चयनकर्ताओं से सीख लेनी चाहिए. हमें खिलाड़ियों के नाम से नहीं बल्कि उनके प्रदर्शन से टीम में चयनित करना होगा. अगर हम ऐसा नहीं कर पाते तो हमें सेमीफाइनल को ही फाइनल मानकर खुश हो जाना चाहिए और आईपीएल नामक शो का जश्न मनाते रहना चाहिए.

टीम इंडिया की हार का विश्लेषण: टीम चयन और योजनाओं का अभाव

टीम इंडिया (Team India) की ये हार पहले से तय दिख रही थी. पाकिस्तान (Pakistan) से हम पहला मैच हारते-हारते जीते थे. उसके बाद के मैच कमजोर टीमों के खिलाफ थे, जिन्हें आप जीत गए. लेकिन, उन मैचों का भी सूक्ष्म विश्लेषण करेंगे. तो, पाएंगे कि वहां भी हमारा प्रदर्शन क्षमता के अनुरूप नहीं था.

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ये हार पहले से तय दिख रही थी. पाकिस्तान से हम पहला मैच हारते-हारते जीते थे. उसके बाद के विश्लेषण और योजना मैच कमजोर टीमों के खिलाफ थे, जिन्हें आप जीत गए. लेकिन, उन मैचों का भी सूक्ष्म विश्लेषण करेंगे. तो, पाएंगे कि वहां भी हमारा प्रदर्शन क्षमता के अनुरूप नहीं था.

एक सौ तीस करोड़ के ऊपर की जनसंख्या वाले देश में ऐसा नहीं है कि खिलाड़ी नहीं हैं. टीम इंडिया के पास पर्याप्त और बेहतर खिलाड़ी हैं. लेकिन, टीम इंडिया के पास योजना का अभाव साफ झलकता है. कार्तिक को किस आधार पर चयनित करते हैं? उसमें क्रिकेट का कितना भविष्य है? क्या निधास ट्रॉफी की सिर्फ एक पारी के दम पर आप उन्हें खिलाते चले जायेंगे? उम्रदराज शिखर धवन को वनडे में आप किस योजना के तहत चयनित करते चले जा रहे हैं? केएल राहुल में नियमितता के अभाव को देखते हुए भी हम निवेश करते चले जा रहे हैं. बार-बार कहा जा रहा है कि केएल राहुल सिर्फ जिम्बाब्वे, नामीबिया जैसी टीमों और चिन्नास्वामी जैसी विकेटों के खिलाड़ी हैं. बड़े मैचों में वे फेल ही दिखते हैं. भुवनेश्वर विश्वकप से पहले ही खराब फार्म से जूझ रहे थे. पेस की कमी के कारण जहां स्विंग नहीं होती, वहां वे बेरंग दिखते हैं. साथ ही अब उनमें पहले जैसी स्विंग भी नहीं रही. अश्विन काफी समय से टी20 टीम का हिस्सा नहीं थे. उन्हें विश्वकप से ठीक पहले खिलाना शुरू किया गया. यह योजनाओं की शून्यता को साफ दर्शाता है.

T20 World Cup 2022 India loss to England know the reason why Team India out of this Tournament India vs England semifinal

टीम इंडिया के पास दूरदर्शी योजनाओं की कमी साफ नजर आती है.

कभी हमारी टीम योजनाओं का हिस्सा रहे पृथ्वी शॉ गायब हैं. श्रेयस अय्यर सिर्फ टीम के साथ टूर पर जाते हैं. जिस ऋषभ पंत को अबतक टीम में जम जाना था. उसे हम टुकड़ों में मौका देकर उसके आत्मविश्वास को डिगा रहे हैं. लगातार बेहतर खेल रहे संजू सैमसन तभी टीम का हिस्सा होते हैं, जब दूसरी टीम कमजोर होती है और हमें अपने खिलाड़ियों को आराम देने के लिए दूसरे दर्जे की टीम चुननी होती है. ईशान किशन के साथ भी यही हाल है. चाइनामैन कुलदीप यादव आज टीम योजनाओं में नहीं है. चहल भी सिर्फ टूर पर ही जाते हैं.

पिछले कई मैचों से हम देख रहे हैं कि शुरुआत के ओवरों में हम 6 से 7 की रन रेट से रन बनाते हैं और विकेट बचाते हैं. आप लाख तकनीक के धनी हों. लेकिन अगर आपके बल्ले से रन ही नहीं निकलते. तो, उस तकनीक के क्या मायने हैं? टी20 मैचों मे आखिरकार आपकी तकनीक नहीं बल्कि स्कोरबोर्ड पर टंगे रन और स्ट्राइक रेट ही मायने रखती हैं. भारत को अपने खेलने के तरीके में परिवर्तन करना होगा. ओपनिंग किसी भी पारी का आधार होता है. भारत को इसके लिए सहवाग के दौर से प्रेरणा लेनी चाहिए कि कैसे सहवाग शुरुआत के आठ-दस ओवरों में विस्फोटक शुरुआत दे जाते थे. इससे बाद के बल्लेबाजों को कुछ गेंदे जाया करते हुए जमने का अवसर मिल जाता था. आज इसका उल्टा होता है. शुरुआत से ही रन रेट नीचे रहता है और बाद के बल्लेबाजों पर एकदम से रनरेट बढ़ाने का प्रेशर रहता है. भारत को इस कमी को दूर करने के लिए अपनी योजनाएं बनानी होंगी.

न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच जीतने के बाद पाकिस्तानी खिलाड़ियों का जश्न और रिजवान द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस में ख़ुदा का नाम लेते हुए पाकिस्तान का जिक्र करना कुछ लोगों को भले खराब लगा हो. लेकिन, यह उनका अपने मुल्क के प्रति समर्पण को दिखाता है. कल से मैंने सोशल साइट्स पर पीसीबी द्वारा डाले गए कई शॉर्ट वीडियोज देखे हैं. इन सबमे पाकिस्तान के प्रति उनके समर्पण को महसूस किया जा सकता है. पाकिस्तान की जीत के बाद उनके खिलाड़ियों का स्टेडियम के चक्कर लगाना साफ दर्शा रहा था कि वह जीत और मुल्क उनके लिए कितना जरूरी है.

आईपीएल में अथाह पैसा और शोहरत भारतीय खिलाड़ियों की इस भावना में कमी लायी है. कई खिलाड़ियों का आराम के नाम पर भारत के लिए कभी-कभी खेलने से इंकार करना इसकी सबसे बड़ी बानगी है. जबकि, वही खिलाड़ी आईपीएल का एक मैच भी मिस करने से कतराते हैं.

आगे के टूर्नामेंट में हम बेहतर खेलें. इसके लिए हमें दीर्घकालिक योजनाएं बनानी होंगी. हमे दिलीप वेंगसरकर जैसे चयनकर्ताओं से सीख लेनी चाहिए. हमें खिलाड़ियों के नाम से नहीं बल्कि उनके प्रदर्शन से टीम में चयनित करना होगा. अगर हम ऐसा नहीं कर पाते तो हमें सेमीफाइनल को ही फाइनल मानकर खुश हो जाना चाहिए और आईपीएल नामक शो का जश्न मनाते रहना चाहिए.

शिक्षा गुणवत्ता के लिये परिणामों का मूल्यांकन हेतु दिशा-निर्देश (परीक्षा परिणामों की विश्लेषण योजना)

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शिक्षा गुणवत्ता के लिये परिणामों का मूल्यांकन हेतु दिशा-निर्देश (परीक्षा परिणामों की विश्लेषण योजना)

माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक स्तर पर शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाने एवं परीक्षा परिणामों में उत्तरोत्तर सुधार लाने के उद्देश्य से प्रदेश के समस्त आदिवासी विभाग के विद्यालयों में योजनाबध्द अध्यापन कार्य एवं मूल्यांकन विश्लेषण कार्य किया जा रहा है। इसके लिये सभी जिलों में कार्य योजना तैयार की गई है। इसके तहत कक्षा नवी से बारहवीं तक छात्रवार मूल्यांकन , विषयवार ग्रेडिंग तथा शिक्षकवार मूल्यांकन भी किया जायेगा। कार्ययोजना के क्रियान्वयन से कमजोरी वाले क्षेत्र समय पर मालूम होंगे और समय रहते निदान तथा उसकी उपचारात्मक व्यवस्था की जायेगी। परीक्षा परिणामों की विश्लेषण योजना के लिये सभी सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग तथा जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण विभाग को शिक्षा गुणवत्ता हेतु परीक्षा परिणाम के मूल्यांकन के दिशा-निर्देश दिये गये हैं।

सभी विद्यालयों में मासिक , त्रैमासिक , अर्ध्दवार्षिक एवं बोर्ड परीक्षाऐं संचालित की जा रही हैं। विद्यालय स्तर पर कक्षा नवीं , दसवीं , ग्यारहवी एवं बारहवीं की समस्त परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन होने के बाद विषयों में छात्र का ग्रेडवार विश्लेषण किया जायेगा। मूल्यांकन से प्राप्त अंकों को ग्रेड्स में बदला जायेगा तथा विश्लेषण में पाठयक्रम की विषयवार स्थिति दर्शाने के लिये कोड निर्धारित किये गये हैं। साथ ही मूल्यांकन से प्राप्त अंकों के लिये ग्रेड्स भी तय किये गये है जिसमें ' ए ' ग्रेड 60 प्रतिशत एवं इससे अधिक , ' बी ' ग्रेड 45 प्रतिशत एवं इससे अधिक किन्तु 60 प्रतिशत से कम ' सी ' ग्रेड 33 प्रतिशत एवं इससे अधिक किन्तु 45 प्रतिशत से कम तथा ' डी ' ग्रेड 33 प्रतिशत से कम रखा गया है। इसी प्रकार पाठयक्रम की विषयवार स्थिति दर्शाने के लिये कोड निर्धारित किये गये हैं जिनमें 100 प्रतिशत पाठयक्रम पूर्ण होने पर ' सी ' 80 प्रतिशत होने पर एनसी , 50 प्रतिशत अर्ध्दपूर्ण होने पर एच तथा 50 प्रतिशत पाठयक्रम होने पर आईसी निर्धारित किया गया है।

परीक्षा परिणामों की रिपोर्टिंग के लिये जो बिन्दु तय किये गये हैं उनमें प्रत्येक परीक्षा के सम्पन्न होने के एक सप्ताह बाद सभी विद्यालय परीक्षा परिणाम विश्लेषण प्रारूप सहायक आयुक्त आदिवासी विकास को भेजेंगे। यदि छात्र की ग्रेडिंग डी ग्रेड में अधिक है तो तत्काल उपचारात्मक कक्षाऐं आयोजित की जायेंगी। शिक्षक व्याख्यातावार प्रपत्र में विश्लेषण प्राप्त होने पर यदि किसी विषय में डी ग्रेड के छात्र अधिक हैं तो शिक्षण व्यवस्था में सुधार तथा शिक्षक को विशेष प्रयास करने होंगे। सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विश्लेषलयीन परिणामों का संकलन कर परीक्षा के बाद 15 दिवसों तक जिला प्रतिवेदन प्रत्येक कक्षा और विषय के ग्रेड्स एवं प्रतिशत सहित आयुक्त आदिवासी विकास , भोपाल को भेजेंगे। आयुक्त आदिवासी विकास द्वारा जिलावार सभी कक्षाओं के विषयों के परीक्षा परिणामों का विश्लेषण प्रारूप के अनुसार समीक्षा कर गुणात्मक स्थिति की मॉनीटरिंग एवं फालोअप किया जायेगा।

इसी प्रकार प्राचार्य परीक्षा परिणाम विश्लेषण की समीक्षा प्रत्येक परीक्षा के बाद करेंगे। कमजोर विषयों एवं विषय वस्तुओं को कठिन अवधारणाओं की पहचान कर उनके निदान के लिये उपचारात्मक शिक्षण के लिये विशेष कक्षाओं का आयोजन करेंगे। सहायक आयुक्त आदिवासी विकास प्रत्येक माह के द्वितीय सप्ताह में जिला स्तरीय समीक्षा करेंगे। जिन विद्यालयों की परीक्षा का परिणाम कमजोर होगा उनके कारणों का पता लगाकर सुधार के लिये कोर समूह की अनुशंसा के अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी। राज्य स्तरीय गुणात्मक कार्यक्रम की समीक्षा समय-समय पर की जायेगी।

सभी कक्षाओं में प्राचार्य स्वयं अथवा वरिष्ठ व्याख्याता के सहयोग से अध्ययन , अध्यापन की सतत् मॉनीटरिंग करेंगे। प्राचार्य कक्षाओं में जाकर छात्रों से सीधा संवाद स्थापित कर विषयों के अध्ययन , अध्यापक एवं पाठयक्रम की स्थिति का आंकलन भी करेंगे। जिला स्तरीय मॉनीटरिंग एवं फालोअप , सहायक आयुक्त आदिवासी विकास जिला कोर ग्रुप समिति कमजोर परिणामों वाले विद्यार्थियों की मॉनीटरिंग करेगी तथा विषय विशेषज्ञ कठिन अवधारणाओं का शिक्षण करके विषय शिक्षक से परामर्श करके ट्रेनिंग आन द जॉब देंगे। राज्य स्तरीय मॉनीटरिंग एवं फालोअप तथा राज्य स्तर से परिणाम विश्लेषण के आधार पर कमजोर विद्यालयों की मॉनीटरिंग समय-समय पर की जायेगी। राज्य स्तर से की जाने वाली मॉनीटरिंग से जिला अधिकारी की कार्यक्षमता का मूल्यांकन भी होगा।

मुंबई विकास योजना 2034: पेशेवरों और विपक्ष का विश्लेषण

मुंबई की अधिक प्रतीक्षित विकास योजना (डीपी) 2034 हितधारकों के लिए एक मिश्रित बैग है, क्योंकि कुछ सकारात्मक प्रावधान हैं, साथ ही चुनौती के कुछ अन्य क्षेत्रों भी हैं। यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि मई 2018 में राज्य सरकार द्वारा अनावरण किए गए विकास नियंत्रण और संवर्धन विनियमन 2034 (डीसीपीआर 2034), डीआर 2034 से काफी अलग थे जो फरवरी 2018 में बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) द्वारा पारित किया गया था। कई संशोधन और कई एन थेपूर्व योजना के लिए ईवी परिवर्धन, जिनमें से अधिकांश को बहिष्कृत भाग (ईपी) के रूप में वर्गीकृत किया गया था। बहिष्कृत हिस्सों 24 अक्टूबर, 2018 से प्रभावी हैं। मानदंडों के नए सेट को हाथों के मुद्दों को हल करने का लक्ष्य यह देखना जरूरी है।

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