फेसबुक शेयर खरीदने के लिए कदम

लॉयल्टी कार्ड, उपहार कार्ड या ऑफ़र का इस्तेमाल करना
आप Google Pay में हज़ारों कारोबारी/कंपनी के लॉयल्टी, इनाम, सदस्यता, उपहार कार्ड, और खास ऑफ़र (जैसे, कूपन, प्रचार, और छूट) की अपनी डिजिटल कॉपी स्टोर कर सकते हैं.
लॉयल्टी कार्ड या उपहार कार्ड जोड़ना
आप किसी लॉयल्टी कार्ड को स्कैन करके जोड़ सकते हैं या फिर लॉयल्टी कार्ड खाते में साइन इन करके भी कार्ड को सेव कर सकते हैं.
ध्यान दें: अगर आपके उपहार कार्ड पर MasterCard या Visa जैसे किसी नेटवर्क का लोगो है, तो आपको उसे पैसे चुकाने के तरीके के तौर पर जोड़ना होगा.
- Google Pay ऐप्लिकेशन खोलें.
- सबसे नीचे से ऊपर की ओर स्वाइप करें.
- कार्ड जोड़ेंलॉयल्टी या उपहार कार्ड पर टैप करें.
- व्यापारी/कंपनी या कार्यक्रम का नाम ढूंढकर उस पर टैप करें.
- स्क्रीन पर दिए गए निर्देशों को फ़ॉलो करें.
लॉयल्टी या उपहार कार्ड को क्रम से लगाना
- Google Pay ऐप्लिकेशन खोलें.
- स्क्रीन पर, सबसे नीचे से ऊपर की ओर स्वाइप करें.
- उस कार्ड को दबाकर रखें जिसे आप दूसरी जगह ले जाना चाहते हैं.
- कार्ड ले जाने के लिए ऊपर या नीचे की ओर स्वाइप करें.
- कार्ड छोड़ें.
लॉयल्टी कार्ड, उपहार कार्ड या ऑफ़र का इस्तेमाल करना
जब आप किसी कारोबारी/कंपनी को पैसे चुकाने के लिए तैयार हों:
- Google Pay ऐप्लिकेशन खोलें.
- स्क्रीन पर, सबसे नीचे से ऊपर की ओर स्वाइप करें.
- आप जिस लॉयल्टी कार्ड का इस्तेमाल करना चाहते हैं उस पर टैप करें.
- कैशियर से बारकोड स्कैन करने के लिए कहें.
- अगर आपके कार्ड पर कोई बारकोड नहीं है, तो कैशियर को अपना सदस्यता नंबर पढ़कर बताएं.
समस्याएं ठीक करना
कैशियर, कार्ड को स्कैन नहीं कर पा रहा
अगर कैशियर को आपका लॉयल्टी कार्ड, उपहार कार्ड या ऑफ़र स्कैन करने में परेशानी हो रही है, तो इन्हें आज़माएं:
- अपनी स्क्रीन साफ़ करें.
- देखें कि बारकोड पर कोई दरार तो नहीं है.
- अगर स्कैन करने से बात नहीं बनती, तो कैशियर से कोड को सीधे उनके रजिस्टर में लिखने के लिए कहें.
Google Pay से लॉयल्टी कार्ड गायब होना
Gmail से कार्ड को जोड़ा गया
अगर आप लॉयल्टी कार्ड वाला ईमेल मिटाते हैं, तो पास को Google Pay से हटा दिया जाएगा. अगर आप Gmail से कोई मैसेज मिटाते हैं, तो वह आपके ट्रैश में 30 दिनों तक रहता है. उसके बाद, ईमेल हमेशा के लिए मिटा दिया जाता है.
आप ऐप्लिकेशन का इस्तेमाल करके कार्ड को फिर से जोड़ सकते हैं.
कार्ड को दूसरे तरीके से जोड़ा गया
आपका लॉयल्टी कार्ड गायब हो सकता है, अगर आप:
- अपने डिवाइस पर फ़ैक्ट्री रीसेट करते हैं.
- डिवाइस से अपना Google खाता हटाते हैं.
- Google Play सेवाओं या Google Pay से पूरा डेटा हटाते हैं.
Google Pay पर अपने कार्ड का इस्तेमाल जारी रखने के लिए, उन्हें ऐप्लिकेशन में दोबारा जोड़ें.
क्या इस बार ट्विटर को खरीद लेंगे एलन मस्क?
इस साल जुलाई में एलन मस्क ने एलान किया था कि अब वह ट्विटर को खरीदे जाने की डील को रद्द कर रहे हैं। लेकिन क्या इस बार यह डील हो जाएगी?
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टेस्ला कंपनी के सीईओ एलन मस्क एक बार फिर ट्विटर को खरीदने के लिए आगे आए हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक़, एलन मस्क ने बीते सोमवार को ट्विटर को इस संबंध में एक पत्र भेजा है। मस्क ट्विटर को प्रति शेयर 54.20 डॉलर में खरीदने के लिए तैयार हैं। मस्क के इस कदम को इस मामले में ट्विटर के साथ अदालती लड़ाई से पीछे हटने के रूप में देखा जा रहा है।
याद दिलाना होगा कि इस साल अप्रैल में यह बात जोर-शोर से सामने आई थी कि एलन मस्क ने सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर को खरीद लिया है और यह खरीद 44 अरब डॉलर में हुई है। यह बात भी सामने आई थी कि मस्क ने ट्विटर के सभी 100 फ़ीसदी शेयर खरीद लिए हैं।
पीछे हट गए थे मस्क
लेकिन जुलाई में उन्होंने इस बात का एलान किया था कि अब वह ट्विटर को खरीदे जाने की डील को रद्द कर रहे हैं। इसके पीछे वजह यह बताई गई थी कि ट्विटर फेक अकाउंट्स के बारे में जानकारी देने में फेल रहा है। एलन मस्क के वकील ने कहा था कि फेक अकाउंट्स की जानकारी होना बहुत जरूरी है और तभी डील की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है।
ट्विटर और एलन मस्क अप्रैल में इस बात के लिए राजी हुए थे कि अगर कोई भी पक्ष डील से पीछे हाथ खींच लेता है तो उसे जुर्माने के रूप में 1 अरब डॉलर देने होंगे। ट्विटर के चेयरमैन ब्रेट टेलर ने कहा था कि कंपनी एलन मस्क के इस डील से पीछे हटने की वजह से उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकती है।
माना जा रहा था कि अब ट्विटर और मस्क के बीच लंबी कानूनी लड़ाई हो सकती है और इस लड़ाई को जीतने के लिए दोनों ही पक्ष जोर लगाएंगे। इस मामले में 17 अक्टूबर से अदालत में सुनवाई भी होने वाली थी। लेकिन अब मस्क ने एक बार फिर ट्विटर को खरीदने की इच्छा जताई है।
ट्विटर ने कहा है कि उसे एलन मस्क का पत्र मिला है।
अभिव्यक्ति की आजादी पर जोर
मस्क ने कुछ महीने पहले कहा था कि टि्वटर अभिव्यक्ति की आजादी के हक को दबा रहा है और यह वह पहली चीज होगी जिसे वह इसे खरीदने के बाद दुरुस्त करेंगे। मस्क ने ट्वीट कर कहा था कि अभिव्यक्ति की आजादी का हक किसी भी लोकतंत्र के लिए बेहद जरूरी है। मस्क ने यह भी कहा था कि वे ट्विटर पर एडिट बटन का ऑप्शन भी देंगे।
फेसबुक ऑनलाइन बेचेगा सामान, जानिए छोटे दुकानदारों को कैसे होगा फायदा
कोरोना वायरस (Corona virus) की वजह से देशभर में 24 मार्च से लागू हुए लॉकडाउन (Lockdown) को 2 महीने पूरे होने वाले हैं। इस दौरान सरकार की ओर से लोगों को घर पर ही रहने की हिदायत दी गई है। लॉकडाउन (Lockdown) के शुरुआती दौर में लोगों को तमाम तरह की समस्याओं फेसबुक शेयर खरीदने के लिए कदम का सामना करना पड़ा। जरूरी चीजों के लिए भी लोग संघर्ष करते नजर आए, लेकिन अब परिस्थितियां काफी बेहतर हो गई हैं। इसको देखते हुए अब फेसबुक (Facebook) अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (Social Media Platform) पर सामान बेचने की योजना शुरू करने जा रही है।
फेसबुक-इंस्टाग्राम पर मिलेगी सुविधा
महामारी (Pandemic) की मार झेल रहे व्यवसायों और व्यापारियों की मदद के लिए फेसबुक सामने आई है। फेसबुक (Facebook) ने ऑनलाइन दुकानों की सर्विस शुरू करने का फैसला लिया है। इसके अंतर्गत व्यापारी व दुकानदार फेसबुक (Facebook) और इंस्टाग्राम (Instagram) के जरिए अपने दुकान का सामान ऑनलाइन बेच सकेंगे। इसमें दुकानदार अपने सामानों की ऑनलाइन मार्केटिंग (Online marketing) कर सकते हैं।
जुकरबर्ग ने लाइव स्ट्रीमिंग में किया एलान
इस बारे में फेसबुक (Facebook) कंपनी के सीईओ मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) ने अपनी योजना को भी दुनिया के सामने जाहिर किया। उन्होंने लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए बताया कि महामारी (Pandemic) के इस संकट के समय हम अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाना चाहते हैं, इसके लिए हम ई-कॉमर्स (E-Commerce) का विस्तार करने जा रहे हैं। फेसबुक शेयर खरीदने के लिए कदम जुकरबर्ग ने कहा कि इस लॉकडाउन (Lockdown) के समय में अगर आप अपनी दुकान या रेस्तरां को नहीं खोल सकते, तो इसके बावजूद आप अपना सामान ऑनलाइन बेच सकते हैं। यह सामान आप उपभोक्ता तक पहुंचा सकते हैं।
इस तरह से बिकेगा सामान
फेसबुक (Facebook) की ओर से बताया गया है कि ये ऑनलाइन दुकानें फेसबुक (Facebook) और इंस्टाग्राम (Instagram) यूजर्स की प्रोफाइल पर नजर आ सकती हैं। साथ ही ये फेसबुक (Facebook) स्टोरीज में फेसबुक शेयर खरीदने के लिए कदम भी दिखेंगी। वहीं कंपनी इन दुकानों को अपने विज्ञापनों में भी प्रमोट करेगी। इसमें यूजर सामान को चेकआउट के विकल्प के जरिए खरीद सकते हैं। यूजर चाहे तो उन उत्पादों को अपनी फेवरेट लिस्ट में भी डाल सकेंगे। जिससे उनके सामने उसे बाद में खरीदने का विकल्प रहे।
कंपनी दूसरे प्लेटफॉर्म्स पर करेगी विस्तार
कंपनी आगे चलते इस सर्विस को फेसबुक मैसेंजर (Facebook Messanger) और व्हाट्सअप (Whatsapp) के जरिए भी विस्तारित करने की योजना बना रही है। कंपनी की योजना है कि यूजर्स इन सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दुकानों के कैटलॉग को आसानी से ब्राउज कर सकें और चैट विंडो के जरिए सीधे खरीदारी कर सके। कंपनी बाद में ऑनलाइन सामानों की बिक्री को लाइव स्ट्रीमिंग से करने की भी योजना पर काम कर रही है। इसमें सामान बेचनी वाली कंपनियां और लोग इस वीडियो में आइटम को टैग कर सकेंगे। यह सामान लाइव वीडियो के नीचे दिखाई देगा, जो यूजर्स को उन्हें खरीदने के लिए प्रेरित करेगा।
अभी मार्केटप्लेस भी चलाता है फेसबुक
फेसबुक काफी समय से अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर मार्केटप्लेस (Marketplace) नाम से ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म चला रही है। इसमें यूजर्स फेसबुक पोस्ट की तरह अपने सामान की लिस्टिंग कर सकते हैं। यूजर्स को इन्हें खरीदने के लिए मार्केटप्लेस (Marketplace) टैब के अंदर जाना होगा। मौजूदा वक्त में भी इस सर्विस का इस्तेमाल लाखों की संख्या में यूजर्स कर रहे हैं। लेकिन यह सर्विस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के रूप में ज्यादा फेमस नहीं है। अब कंपनी ने इस क्षेत्र में अपना काम बढ़ाने का फैसला लिया है। कंपनी का टारगेट लॉकडाउन में छोटे और मध्यम आकार के व्यवसायों की ऑनलाइन बढ़त बनाने का है। जहां उन्हें बिना किसी झंझट अपना सामान बेचने की सुविधा मिलेगी।
रिलायंस के साथ गठजोड़ कर चुकी है फेसबुक
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के रूप में अपनी खासी पहचान बनाने वाली कंपनी अब रिटेल सेक्टर में भी संभावनाएं तलाश रही है। इसको देखते हुए कंपनी ने हाल ही में भारत के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की कंपनी (Jio Reliance) के साथ सबसे बड़ा समझौता किया है। फेसबुक (Facebook) ने 22 अप्रैल को रिलायंस जियो (Jio फेसबुक शेयर खरीदने के लिए कदम फेसबुक शेयर खरीदने के लिए कदम Reliance) में 9.99 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली थी। इसके तुरंत बाद ही कंपनी ने रिलायंस जियो (Jio Reliance) के साथ मिलकर सोशल प्लेटफॉर्म के जरिए रिटेल कारोबार करना शुरू भी कर दिया था। रिलायंस जियोमार्ट (Reliance Jio Mart) ने फेसबुक की कंपनी व्हाट्सअप (Whatsapp) के जरिए ऑनलाइन सामान बेच मुंबई में चालू कर दिया है। इसमें दोनों कंपनियों ने पूरे देश के दुकानदारों और छोटे व्यापारियों को व्हाट्सअप के जरिए अपना सामान बेचने की सुविधा दी है। अभी फिलहाल इस योजना को मुंबई में ही चालू किया गया है।
इस तरह होता है ऑर्डर
इस सर्विस में ग्राहक को व्हाट्सअप (Whatsapp) के मोबाइल नंबर 8850008000 पर रजिस्ट्रेशन करके उसपर सामान की लिस्ट भेजनी होगी। जिसके बाद जियोमार्ट (Reliance Jio Mart) इस लिस्ट को ग्राहक के आसपास के किराना स्टोर्स पर फॉरवर्ड कर देगा। इसमें दुकानदार को ग्राहक का मोबाइल नंबर व पता भी भेजा जाएगा। अब दुकानदार सामान पैक कर उसे सीधा ग्राहक के घर पर पहुंचा देगा। इससे लॉकडाउन में जहां दुकानदारों को आर्थिक नुकसान भी नहीं होगा, वहीं ग्राहक को भी आसानी से घर बैठे सामान मुहैया हो जाएगा। ग्राहक डिजिटल ट्रांसजेक्शन (Digital Transaction) के जरिए भी सामान का भुगतान कर सकता है।
छोटे दुकानदारों को मिल रहा फायदा
वहीं ग्राहकों के पास भी सामान पहुंचाने वाले किराना स्टोर्स का नाम व अन्य जानकारी भेज दी जाएगी। रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) ने इस प्रोजेक्ट को इस तरह से डिजायन किया है कि इसका फायदा स्थानीय किराना स्टोर्स व व्यापारियों को मिलेगा। जियोमार्ट की इस सुविधा से ग्राहक को अपने पास की दुकान से ही जल्द और आसानी से सामान उपलब्ध हो जाएगा। इससे डिजिटल ट्रांसजेक्शन (Digital Transaction) को भी बढ़ावा मिलेगा। होम डिलीवरी (Home Delivery) के चलते ग्राहक तक सामान की पहुंच आसान हो जाएगी। फेसबुक और रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) के इस कदम ने ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स अमेजन (Amazon) व फ्लिपकार्ट (Flipkart) के साथ ही ऑनलाइन ग्रोसरी स्टोर्स जैसे ग्रोफर्स (Grofers) और बिग बास्केट (BigBasket) के सामने कड़ी चुनौती पेश की है।
गूगल और फेसबुक समाचार कंपनियों को देंगी कमाई का हिस्सा, IT कानून में बदलाव जल्द
समाचार कंपनियों और डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स के लिए राहत देने वाला कदम उठाते हुए भारत सरकार मौजूदा नियमों में बदलाव करने वाली है। इस बदलाव के बाद टेक कंपनियों को उनके प्लेटफॉर्म्स पर डिजिटल कंटेंट दिखाने के बदले इन पब्लिशर्स को भुगतान करना होगा और कमाई में से उनका हिस्सा देना होगा। सरकार के हस्तक्षेप के बाद गूगल, मेटा, ट्विटर और अमेजन जैसी कंपनियां भारतीय समाचार पत्रों और डिजिटल मीडिया संगठनों को ओरिजनल कंटेंट के बदले कमाई का हिस्सा देंगी।
कई देशों में बनाए गए हैं ऐसे नियम
डिजिटल न्यूज से जुड़े जिन प्लेटफॉर्म्स को अब भुगतान करना होगा, उनपर जाकर रीडर्स अलग-अलग न्यूज मीडिया वेबसाइट्स का कंटेंट पढ़ सकते हैं। पिछले कई साल से इसपर चर्चा तेज हुई कि गूगल और मेटा जैसी कंपनियों ने न्यूज बिजनेस और पब्लिशर्स को कैसे प्रभावित किया है। ऑस्ट्रेलिया के बाद इस साल की शुरुआत में कनाडा की सरकार भी नया नियम लेकर आई है, जिसमें गूगल और फेसबुक से रेवन्यू शेयर करने को कहा गया है।
मौजूदा कानून में बदलाव क्यों कर रही है सरकार?
कानून में बदलाव की जरूरत इसलिए महसूस हुई क्योंकि गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियां जहां मीडिया हाउसेज की ओर से पब्लिश किए गए कंटेंट की मदद से कमाई करती हैं, इन कंपनियों को ठीक से उनका हिस्सा नहीं मिलता। खासकर नए पब्लिशर्स के लिए इन कंपनियों के रेवन्यू मॉडल्स इस तरह तैयार किए गए हैं, जो पब्लिशर्स के बजाय उनका ज्यादा फायदा देखते हैं। नए सुधार के साथ इस स्थिति में बदलाव देखने को मिलेगा और पब्लिशर्स की कमाई बढ़ेगी।
DNPA की शिकायत के बाद उठाया गया कदम
भारत सरकार ने दिसंबर, 2021 में कहा था कि उसकी टेक कंपनियों को न्यूज कंटेंट के बदले स्थानीय पब्लिशर्स को भुगतान करने के लिए बाध्य करने की कोई योजना नहीं है। हालांकि, डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन (DNPA) की शिकायत के बाद कॉम्पिटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) ने इस साल न्यूज इंडस्ट्री में गूगल की पोजीशन की जांच करने के आदेश दिए थे। जांच के बाद सामने आया कि डिजिटल पब्लिशर्स को उनकी कमाई का सही हिस्सा नहीं मिल रहा है।
कमाई का सही हिस्सा नहीं दे रही थी गूगल
भारत के कुछ बड़े मीडिया आउटलेट्स की अंब्रेला बॉडी DNPA ने कहा कि गूगल ने विज्ञापनों की मदद से होने वाली उसकी कमाई का सही हिस्सा मेंबर्स को देने से इनकार किया है। DNPA ने आरोप लगाया कि न्यूज वेबसाइट्स पर आने वाला 50 प्रतिशत से ज्यादा ट्रैफिक गूगल के जरिए ही आता है। हालांकि, गूगल और उसका एल्गोरिदम तय करते हैं कि किस न्यूज वेबसाइट का लिंक और नाम सबसे ऊपर दिखाया जाएगा।
न्यूजबाइट्स प्लस
अगर आप समाचार कंपनियों की विज्ञापन के चलते होने वाली कमाई को प्रभावित नहीं करना चाहते तो इंटरनेट ब्राउजर में ऐड ब्लॉकर एक्सटेंशन का इस्तेमाल ना करें। आप समाचार कंपनियों का प्रीमियम पेड सब्सक्रिप्शन भी ले सकते हैं।
टेक कंपनियों को माननी होगी सरकार की बात
ग्लोबल इंटरनेट कंपनियों ने अब तक भारत में रेवन्यू शेयरिंग जैसी मांग पर सहमति नहीं जताई है। हालांकि, इससे पहले ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस जैसे देशों में कंपनियों को सरकार के फैसले के आगे झुकना पड़ा। भारत सरकार बीते दो साल में सोशल मीडिया कंपनियों की जवाबदेही तय कर चुकी है और यही बात बाकी टेक कंपनियों पर लागू होगी। देश में सेवाएं देने के लिए उन्हें सरकार की ओर से बनाए गए नियमों का पालन करना होगा।