स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुने

Meaning of Trading in Hindi | Types of Trading in Hindi
अगर आपने हमारी पिछली पोस्ट को पढ़ा होगा , तो आपको पता चल गया होगा की Investing क्या है और यह कैसे काम करती है | आज के article मैं हम देखेंगे की trading क्या है , यह कितने प्रकार की होती है | एकदम सरल और आसान भाषा में |
Trading क्या है ?
Trading का मतलब है “व्यापार” आमतौर पर जब कोई वस्तु या सेवा मुनाफा कमाने के उद्देश्य से खरीदी या बेचीं जाती है, तो उसे ट्रेडिंग कहा जाता है| अगर stock market के sense में कहें तो कोई stock इस मकसद से खरीदना की बाद में उसे बेचकर मुनाफा कमाया जा सके, तो इसे शेयर ट्रेडिंग कहा जाता है यानि ” शेयरों का व्यापार “
मान लीजिये आज आपने 100 शेयर 100 रु की market price पर खरीदें और आज ही के दिन आपने उन शेयरों को 105 रु में बेच दिया , तो ऐसे में इसे ट्रेडिंग कहा जायेगा|
आमतौर पर ट्रेडिंग ” Investing ” की तुलना में काफी short term के लिए की जाती है, दरअसल ट्रेडिंग का सफर ही कुछ घंटों से लेकर कुछ महीनो तक का होता है| इसी समय अवधि के भीतर ट्रेडिंग करके मुनाफा कमाना होता है|
हालाँकि ट्रेडिंग से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है लेकिन इसी के साथ यहाँ risk भी उतना ही बढ़ जाता है जितना की profit , इसलिए ट्रेडिंग की पूरी जानकारी होने के बाद ही इसे करना चाहिए|
Trading के प्रकार –
जैसा की हम जानते है की ट्रेडिंग समय सिमा पर आधारित है, इसलिए इसे समय सिमा के अनुसार ही चार भागों में बांटा गया है, जो की इस प्रकार है –
1. Intraday trading
भारतीय शेयर बाजार सुबह के 9:15 से दोपहर के 3:30 तक खुला रहता है, जिस दौरान इसमें ट्रेडिंग की जाती है| Intraday Trading में शेयरों को same day पर खरीदकर same day पर बेचने होतें है, इसलिए इसे डे ट्रेडिंग भी कहा जाता है| इंट्राडे ट्रेडिंग में छोटी-छोटी trade ली जाती है जैसे 1-2 घंटे की और इसी दौरान stock price में होने वाले fluctuations से मुनाफा कमाया जाता है| इंट्राडे ट्रेडिंग में ब्रोकर की तरफ से margin Trading की सुविधा भी दी जाती है, जिसे Trading session के अंत तक मुनाफा कमा के stock broker को वापस कर स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुने सकते है|
यहाँ पर ध्यान देने वाली बात यह है की आपको वो शेयर्स उसी दिन sell करने पड़ते है जिस दिन अपने वो शेयर्स खरीदें होते है| आपको नुकसान हो या मुनाफा इससे stock broker को फ़र्क़ नहीं पड़ता , अगर आप ऐसा नहीं करतें है तो 3:30 से 20 मिनट पहले ही आपका ब्रोकर खुद-ब-खुद आपकी सभी positions square off कर देगा|
2. Scalping trading
आमतौर पर scalping Trading ” Intraday Trading “ की तरह ही है, यहाँ पर 5-10 मिनट के भीतर ही शेयर्स की खरीद और बिक्री करनी होती है और कई बार तो यह कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनटों तक ही होती है| scalping trading में stock price में होने वाले बहुत छोटे-छोटे movement से मुनाफा कमाया जाता है| आमतौर पर scalping Trading ” Trading day ” के दौरान कई बार की जाती है|
यहाँ पर ध्यान देने वाली बात यह है की scalping trade तभी लिए जाते है, जब मार्किट में बहुत ज्यादा volatility हो|
3. Swing trading
swing Trading एक ऐसा Trading style है, जिसमे शेयर्स की delivery ली जाती है कुछ दिनों से लेकर कुछ सप्ताहों तक की, इसलिए इसे delivery based t rading भी कहा जाता है| स्विंग ट्रेडिंग में strong fundamentals कंपनियों के stocks चुने जातें है|
आमतौर पर ट्रेडर swing Trading में कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ़्तों तक के अंतराल में stock price में होने वाले fluctuations से मुनाफा कमाते है, अगर आप beginner है और 5-10 % तक का मुनाफा कमाना चाहते है, तो स्विंग ट्रेडिंग एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है|
ध्यान दें, स्विंग ट्रेडिंग में स्टॉक ब्रोकर की तरफ से कोई मार्जिन ट्रेडिंग की सुविधा नहीं दी जाती, यहाँ पर सारे पैसे आपको अपनी जेब से लगाने पड़ते हैं|
4. positional Trading
यह एक ऐसा Trading style जिसमे stock price के movement पर ज्यादा ध्यान न देतें हुए, कंपनी के fundamentals पर ज्यादा ज़ोर दिया जाता हैं, जैसा की नाम से ही पता चलता हैं की इसमें किसी stocks की positions ली जाती हैं, जो की 6 महीनों से लेकर 1 या 2 साल तक की हो सकती हैं|
Trading के फायदें-
आमतौर पर ट्रेडिंग के कोई फायदे या नुक्सान नहीं होते| ट्रेडिंग से किसी को फायदा होगा या नुक्सान, यह निर्भर करता हैं उसके अनुभव और उसके द्वारा अपनाई जाने वाली ट्रेडिंग स्टाइल पर| अगर आप beginner हैं, तो पहले इसे समझिये और पूरी जानकारी लेने के बाद ही इसे शुरू कीजिये|
आमतौर पर ट्रेडिंग से होने वाले फायदे कुछ इस प्रकार हैं :-
1. अगर आप 5-10 % तक का मुनाफा कमाना चाहतें हैं, तो स्विंग ट्रेडिंग एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता हैं|
2. जहाँ पर Investing में किसी बेहतर stocks को ढूंढ़ने में उसका fundamentals analysis बहुत जरुरी होता, जो की एक time consuming process हैं| वहीं पर ट्रेडिंग में आपको stock की price और movement पर ज्यादा ध्यान देना होता हैं|
3. ट्रेडिंग का सबसे बड़ा फायदा यह हैं की, यहाँ पर आपको डे ट्रेडिंग में मार्जिन ट्रेडिंग की सुविधा मिल जाती हैं, जिसके जरिये अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता हैं|
उम्मीद करतें हैं इस पोस्ट के माध्यम से दी गयी जानकारी जैसे ( Trading क्या हैं, Trading के प्रकार और Trading के फायदे इत्यादि ) आपके लिए उपयोगी साबित होगी|
अगर आपके पास इस पोस्ट से जुड़े अभी भी कोई सवाल हैं, तो उसे आप हमसे निचे दिए गए comment section पूंछ सकतें हैं|
Reversals intraday trading strategies in Hindi - इंट्राडे के लिए स्टॉक कैसे चुने
Reversal intraday trading strategies in Hindi
एक उत्क्रमण एक परिसंपत्ति की कीमत दिशा में बदलाव है। उल्टा या उल्टा हो सकता है। एक अपट्रेंड के बाद, एक उलट नीचे की ओर होगा। डाउनट्रेंड के बाद, उल्टा उल्टा होगा। रिवर्सल समग्र मूल्य दिशा पर आधारित होते हैं और आमतौर पर चार्ट पर एक या दो अवधि/बार पर आधारित नहीं होते हैं।
कुछ संकेतक, जैसे चलती औसत, थरथरानवाला, या चैनल, रुझानों को अलग करने के साथ-साथ उलटफेर करने में मदद कर सकते हैं। रिवर्सल की तुलना ब्रेकआउट से की जा सकती है।
KEY TAKEAWAYS For intraday trading strategies in Hindi
- एक उत्क्रमण तब होता है जब मूल्य प्रवृत्ति की दिशा बदल जाती है, ऊपर जाने से नीचे जाने तक, या इसके विपरीत।
- ट्रेडर्स उन पोजीशन से बाहर निकलने की कोशिश करते हैं जो एक रिवर्सल से पहले ट्रेंड के साथ संरेखित होती हैं, या वे रिवर्सल को देखते ही बाहर निकल जाएंगे।
- रिवर्सल आमतौर पर बड़े मूल्य परिवर्तनों को संदर्भित करता है, जहां प्रवृत्ति दिशा बदलती है। प्रवृत्ति के खिलाफ छोटे जवाबी कदमों को पुलबैक या समेकन कहा जाता है।
- जब यह होना शुरू होता है, तो एक उलटा पुलबैक से अलग नहीं होता है। एक रिवर्सल चलता रहता है और एक नया ट्रेंड बनाता है, जबकि एक पुलबैक समाप्त होता है और फिर कीमत ट्रेंडिंग दिशा में वापस जाने लगती है।
रिवर्सल आपको क्या बताता है? [ What Does a Reversal Tell You? ]
उलटफेर अक्सर इंट्राडे ट्रेडिंग में होते हैं और जल्दी होते हैं, लेकिन वे दिनों, हफ्तों और वर्षों में भी होते हैं। रिवर्सल अलग-अलग समय सीमा पर होते हैं जो विभिन्न व्यापारियों के लिए प्रासंगिक होते हैं। पांच मिनट के चार्ट पर इंट्राडे रिवर्सल एक लंबी अवधि के निवेशक के लिए कोई मायने नहीं रखता है जो दैनिक या साप्ताहिक चार्ट पर रिवर्सल देख रहा है। फिर भी, एक दिन के व्यापारी के लिए पांच मिनट का उलटफेर बहुत महत्वपूर्ण है।
एक अपट्रेंड, जो उच्च स्विंग उच्च और उच्च चढ़ाव की एक श्रृंखला है, निम्न उच्च और निम्न चढ़ाव की एक श्रृंखला में बदलकर एक डाउनट्रेंड में उलट जाता है। एक डाउनट्रेंड, जो निम्न उच्च और निम्न निम्न की एक श्रृंखला है, उच्च उच्च और उच्च निम्न की श्रृंखला में बदलकर एक अपट्रेंड में उलट जाता है।
जैसा कि ऊपर वर्णित है, अकेले मूल्य कार्रवाई के आधार पर रुझान और उलट की पहचान की जा सकती है, या अन्य व्यापारी संकेतकों के उपयोग को पसंद करते हैं। मूविंग एवरेज ट्रेंड और रिवर्सल दोनों का पता लगाने में मदद कर सकता है। यदि कीमत बढ़ती चलती औसत से ऊपर है तो प्रवृत्ति ऊपर है, लेकिन जब कीमत चलती औसत से नीचे गिरती है जो संभावित मूल्य उलट का संकेत दे सकती है।
ट्रेंडलाइन का उपयोग रिवर्सल को स्पॉट करने के लिए भी किया जाता है। चूंकि एक अपट्रेंड उच्च चढ़ाव बनाता है, इसलिए उन उच्च चढ़ावों के साथ एक ट्रेंडलाइन तैयार की जा सकती है। जब कीमत ट्रेंडलाइन से नीचे आती है, तो यह ट्रेंड रिवर्सल का संकेत दे सकता है।
यदि रिवर्सल का पता लगाना आसान होता, और शोर या संक्षिप्त पुलबैक से अंतर करना आसान होता, तो ट्रेडिंग आसान होती। लेकिन ऐसा नहीं है। मूल्य कार्रवाई या संकेतक का उपयोग करते हुए, कई झूठे संकेत होते हैं और कभी-कभी उलट इतनी जल्दी होते हैं कि व्यापारी बड़े नुकसान से बचने के लिए जल्दी से कार्य करने में सक्षम नहीं होते हैं।
उदहारण इंट्राडे के लिए स्टॉक कैसे चुने
इंट्राडे के लिए स्टॉक कैसे चुने
चार्ट एक चैनल के साथ बढ़ते हुए एक अपट्रेंड को दिखाता है, जो समग्र रूप से उच्च उच्च और उच्च निम्न बनाता है। कीमत पहले चैनल से बाहर और ट्रेंडलाइन के नीचे, एक संभावित प्रवृत्ति परिवर्तन का संकेत देती है। कीमत तब भी कम कम हो जाती है, चैनल के भीतर पिछले कम से नीचे गिरती है। यह आगे नीचे की ओर उलट होने की पुष्टि करता है।
कीमत तब कम जारी रहती है, जिससे कम चढ़ाव और कम ऊंचा हो जाता है। जब तक कीमत उच्च उच्च और उच्चतर निम्न नहीं हो जाती, तब तक उल्टा नहीं होगा। अवरोही प्रवृत्ति रेखा के ऊपर एक कदम, हालांकि, उलटफेर का एक प्रारंभिक चेतावनी संकेत जारी कर सकता है।
उभरते हुए चैनल का जिक्र करते हुए, उदाहरण प्रवृत्ति विश्लेषण और उत्क्रमण की व्यक्तिपरकता पर भी प्रकाश डालता है। चैनल के भीतर कई बार कीमत एक पूर्व स्विंग के सापेक्ष कम कम हो जाती है, और फिर भी समग्र प्रक्षेपवक्र बना रहता है।
Difference Between a Reversal and a Pullback
एक उत्क्रमण एक परिसंपत्ति की कीमत में एक प्रवृत्ति परिवर्तन है। एक पुलबैक एक प्रवृत्ति के भीतर एक प्रति-चाल है जो प्रवृत्ति को उलट नहीं करता है। एक अपट्रेंड उच्च स्विंग हाई और उच्च स्विंग लो द्वारा बनाया गया है। पुलबैक उच्च चढ़ाव बनाते हैं। इसलिए, अपट्रेंड का उत्क्रमण तब तक नहीं होता है जब तक कि कीमत उस समय सीमा पर कम हो जाती है जब व्यापारी देख रहा होता है। रिवर्सल हमेशा संभावित कमियों के रूप में शुरू होते हैं। यह अंततः कौन सा बन जाएगा यह अज्ञात है जब यह शुरू होता है।
Limitations In Using Reversals intraday trading strategies in Hindi
वित्तीय बाजारों में उलटफेर जीवन का एक तथ्य है। कीमतें हमेशा किसी न किसी बिंदु पर उलट जाती हैं और समय के साथ कई उल्टा और नीचे की ओर उलट होती हैं। उलटफेरों को नज़रअंदाज़ करने से अनुमान से अधिक जोखिम उठाना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, एक व्यापारी का मानना है कि एक स्टॉक जो $ 4 से $ 5 तक चला गया है, वह अधिक मूल्यवान बनने के लिए अच्छी स्थिति में है। उन्होंने प्रवृत्ति को अधिक बढ़ाया, लेकिन अब स्टॉक $ 4, $ 3, फिर $ 2 तक गिर रहा है। स्टॉक $ 2 तक पहुंचने से पहले रिवर्सल संकेत स्पष्ट रूप से स्पष्ट थे। संभावना है कि कीमत 4 डॉलर तक पहुंचने से पहले वे दिखाई दे रहे थे। इसलिए, उलटफेर देखने से व्यापारी लाभ में बंद हो सकता था या खुद को अब खोने की स्थिति से बाहर रख सकता था।
जब कोई उलटफेर शुरू होता है, तो यह स्पष्ट नहीं होता है कि यह उलट है या पुलबैक है। एक बार जब यह स्पष्ट हो जाता है कि यह एक उलट है, तो कीमत पहले से ही एक महत्वपूर्ण दूरी तय कर चुकी है, जिसके परिणामस्वरूप व्यापारी के लिए एक बड़ा नुकसान या लाभ में कमी आई है। इस कारण से, प्रवृत्ति व्यापारी अक्सर बाहर निकलते हैं, जबकि कीमत अभी भी उनकी दिशा में बढ़ रही है। इस तरह उन्हें इस बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है कि काउंटर-ट्रेंड चाल एक पुलबैक या रिवर्सल है या नहीं।
झूठे संकेत भी एक वास्तविकता हैं। एक संकेतक या मूल्य कार्रवाई का उपयोग करके एक उलट हो सकता है, लेकिन फिर कीमत तुरंत पूर्व प्रवृत्ति दिशा में फिर से चलने के लिए फिर से शुरू हो जाती है।
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swing trading kya hai in hindi-स्विंग ट्रेडिंग क्या है | स्विंग ट्रेडिंग कैसे करें | स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुने
swing trading kya hai in hindi-स्विंग ट्रेडिंग क्या है | स्विंग ट्रेडिंग कैसे करें | स्विंग ट्रेडिंग एक ट्रेडिंग स्टाइल है | जिसमें शेयर के प्राइस में होने वाले शॉर्ट टर्म मोमेंट से प्रॉफिट बनाने की कोशिश की जाती है| इसमें शेयर को 1 महीने से लेकर स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुने कुछ हफ्तों के लिए होल्ड किया जाता है और इसमें खरीदने और बेचने के आर्डर जादतर टेक्निकल बेस होते हैं| परंतु बहुत से ट्रेडर इसमें फंडामेंटल एनालिसिस पर भी स्विंग ट्रेडिंग करते हैं स्विंग ट्रेडिंग इंट्राडे ट्रेडिंग से बिल्कुल ही अलग होता है| इंट्राडे ट्रेडिंग में ट्रेड को उसी दिन बुक कर लिया जाता है यानी उसी दिन खरीदा जाता है| और उसी दिन बेच दिया जाता है शेयर को परंतु स्विंग ट्रेडिंग में किसी भी शहर को एक सप्ताह से लेकर कई महीनों तक होल्ड किया जा सकता है |स्विंग ट्रेडिंग में यह बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होता है कि हम शेयर को कहां पर खरीदते हैं| और उसको कहां तक होल्ड करते हैं |जितना ज्यादा आप इसको होल्ड करते हैं अपनी डायरेक्शन में उतना ज्यादा आपका मुनाफा होता है |
उदाहरण के लिए एक कंपनी का शेयर प्राइस ₹140 कुछ हफ्तों में ₹210 हो जाता है और फिर वापस ₹140 पर आ जाता है तो यहां पर ₹140 से लेकर ₹210 तक ₹70 का मुनाफा हुआ इस मूवमेंट को ही हम शेयर प्राइस कहते हैं |इसी को ट्रेनिंग कहा जाता है यह शेयर प्राइस उपर नीचे होता रहता है यहां पर मुनाफा हमारे इस पर निर्भर करता है| कि हमने ट्रेड कहां पर लिया था यह कोई जरूरी नहीं है| कि आप सारा का सारा मोमेंट का प्रॉफिट कर पाए आप यहां पर एक नियमित रूप से जितना आपने सोचा है |या फिर अपने रिस्क रिवार्ड के हिसाब से आप अपना मुनाफा कमा सकते हैं |
दोस्तों स्विंग ट्रेडिंग को करने के लिए सबसे पहले एक ट्रेडर को अपना एक शेर सुनिश्चित करना पड़ता है| और उस को चुनने के बाद उसकी सारी जानकारी निकालनी होती है कि वह कंपनी कैसा काम कर रही है |और उसका भविष्य में क्या संभावनाएं हैं |कि वह और अच्छा काम करेगी दोस्तों किसी भी शेयर को चुनने के बाद ही उसमें ट्रेड लिया जाता है |जब शेयर सुनिश्चित कर लिया जाता है| उसके बाद उस में आने वाली गतिविधियों को लिखा जाता है| उदाहरण के लिए किसी कंपनी का शेयर ₹100 से लेकर ₹200 के बीच गतिशील रहता है| इसमें आप 1 सप्ताह का समय भी लगा सकते हैं |या फिर आप 1 महीने के लिए भी होल्ड कर सकते हैं अब इन शेयर के प्राइस में यानी की कीमत में जो गतिविधि होती है| उसके बीच ही एक ट्रेडर उसमें अपना ट्रेड खरीदता या फिर बेचता है |मान के चलो कि आप सो रुपए पर यह शेयर खरीद लेते हैं |और यह आगे चलकर ₹180 का हो जाता है| तो आपने यहां पर यदि ₹180 तक इंतजार किया है| तो यह आपका शुद्ध मुनाफा गिना जाएगा परंतु आपको यहां पर इसको होल्ड करना पड़ता है |इसी को स्विंग ट्रेडिंग कहा जाता है |इसमें आप चाहे 1 सप्ताह से लेकर या 1 महीने तक अपने शेयर को होल्ड कर सकते हैं |
स्विंग ट्रेडिंग में शेयर को सेल कैसे किया जाए जैसा कि आप सभी को पता चल ही गया है |कि स्विंग ट्रेडिंग कैसे की जाती है उदाहरण के लिए मैं यहां पर आपको फिर से बताना चाहूंगा मान लीजिए आप किसी कंपनी का एक शेयर ₹100 पर खरीद लेते हैं| और वह शेयर ₹100 से लेकर ₹200 के बीच में अपनी गतिशील क्रियाएं करता रहता है यह क्रियाएं 1 सप्ताह से लेकर 1 महीने के बीच होती रहती हैं| मान लीजिए आप ने जब यह शेयर ₹200 का था तब आपने इस को बेच दिया कहने का मतलब यह है कि यहां पर आप पहले शेयर को बेच देते हैं |उसके बाद उसी को खरीद लेते हैं| उदाहरण के लिए आपने ₹200 पर यह शेयर बेच दिया था और जब यह घटकर यानी कि इसकी कीमत घटकर ₹180 रह गई तो आपने इसको खरीद लिया यानी कि यहां पर आपने ₹20 का मुनाफा कमा लिया कहने का मतलब है कि यहां पर पहले आप को बेचना होता है| बाद में उसी को खरीदना होता है इसी को स्विंग ट्रेडिंग में सेल करना कहा जाता है| या फिर शॉट करना कहा जाता है|
स्विंग ट्रेडिंग के लिए शेयर कैसे चुने
दोस्तों यदि आपको स्विंग ट्रेडिंग करनी है| तो आपको एक अच्छा शेयर सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है |यहां पर मैं आपको बताऊंगा स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुने स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुने कैसे आप एक अच्छा शेयर चुन सकते हैं|
1. सबसे पहले आपको यह देखना है| कि आप जो शेयर चुन रहे हैं उसमें खरीदने वाले और बेचने वाले मौजूद होने चाहिए इसको इंग्लिश में वॉल्यूम कहा जाता है जी हां दोस्तों आपको ज्यादा वॉल्यूम वाला ही शेयर चुनना है|
2. आपको यह ध्यान देना है| कि जो आप शेयर चल रहे हैं |वह कोई छोटा शेयर नहीं होना चाहिए कहने का मतलब है| कि वह सो रुपए की कीमत से कम का नहीं होना चाहिए वैसे आप सो रुपए की कम की कीमत वाले भी शेयर ले सकते हैं| परंतु अक्सर देखा जाता है |जो शेयर ज्यादा महंगा या फिर अच्छा होता है| वह तो 500 से लेकर 1000 के बीच होता है| तो आपको ध्यान देना है| आपको छोटे-मोटे शेयर में पैसा नहीं लगाना
3. तीसरी महत्वपूर्ण बात आपको कोई भी शेयर चुनने से पहले उसमें ध्यान देना है |कि वह कंपनी क्या काम कर रही है $क्या वह भविष्य में और अच्छा काम करेगी या नहीं यह भी आपको ध्यान देना है|
क्या स्विंग ट्रेडिंग में रिस्क होता है
अक्सर देखा जाता है कि बहुत से लोगों को स्विंग ट्रेडिंग में भी नुकसान का सामना करना पड़ता है $यहां पर दोस्तों मैं आपको बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी देना चाहूंगा जब आप किसी भी शेयर को चुन रहे होते हैं $तो आपको बहुत ज्यादा जानकारी हासिल करके ही यह काम करना है| क्योंकि यदि आपने किसी गलत या जिसकी खास उपयोगिता बाजार में नहीं देखने को मिलती है| ऐसे शेयर को यदि आप खरीद लेते हैं |लंबे समय के लिए तो आप इस शहर में फंस भी जाते हैं जी हां वह तो अक्सर देखा जाता है |मान लीजिए उदाहरण के लिए आप किसी शहर को हजार रुपए पर खरीद लेते हैं |और वह शेर धीरे-धीरे कीमत घटकर उसकी 500 या 400 रह जाती है तो ऐसे में आपको ध्यान देना है |कि बहुत से लोग यहां पर गलत शेयर को भी चुन लेते हैं| जो लंबे समय के लिए डाउनट्रेंड में चले जाते हैं |कहने का मतलब है कि उनमें जो है| गिरावट आनी शुरू हो जाती है |और यह गिरावट बहुत लंबे समय तक चलती जाती है| इसलिए आपको ध्यान देना है| जो शेयर आपने चुना है| उसे देख लेना है| कि उसकी मार्केट में भविष्य में क्या डिमांड हो सकती है| ताकि वह भविष्य में तेजी की तरह ही जाना चाहिए ना की नुकसान की तरफ से आपको ध्यान देना है|
निष्कर्ष
दोस्तों यहां पर निष्कर्ष यह मैं आपको देना चाहूंगा कि आप स्विंग ट्रेडिंग करें या कोई भी ट्रेनिंग करें यहां पर आपको ध्यान देना है |कि जब तक आप एक उचित जानकारी हासिल ना कर ले तब तक कोई भी आपको जहां पर धन की हानि उठानी है| कहने का मतलब यह है कि जब तक आपके पास पूरी पर्याप्त जानकारी ना हो तब तक आप किसी भी शेयर में पैसा ना लगाएं खासकर आपको स्विंग ट्रेडिंग में जानकारी के बाद ही पैसा निवेश करना है |क्योंकि यहां आप एक लंबे समय के लिए अपना पैसा लगा रहे हैं इसमें आपको लाभ या हानि दोनों हो सकती हैं |इसलिए आप अपने किसी भी एडवाइजर से सलाह लेकर ही पैसों का निवेश करना है| धन्यवाद
Meaning of Trading in Hindi | Types of Trading in Hindi
अगर आपने हमारी पिछली पोस्ट को पढ़ा होगा , तो आपको पता चल गया होगा की Investing क्या है और यह कैसे काम करती है | आज के article मैं हम देखेंगे की trading क्या है , यह कितने प्रकार की होती है | एकदम सरल और आसान भाषा में |
Trading क्या है ?
Trading का मतलब है “व्यापार” आमतौर पर जब कोई वस्तु या सेवा मुनाफा कमाने के उद्देश्य से खरीदी या बेचीं जाती है, तो उसे ट्रेडिंग कहा जाता है| अगर stock market के sense में कहें तो कोई stock इस मकसद से खरीदना की बाद में उसे बेचकर मुनाफा कमाया जा सके, तो इसे शेयर ट्रेडिंग कहा जाता है यानि ” शेयरों का व्यापार “
मान लीजिये आज आपने 100 शेयर 100 रु की market price पर खरीदें और आज ही के दिन आपने उन शेयरों को 105 रु में बेच दिया , तो ऐसे में इसे ट्रेडिंग कहा जायेगा|
आमतौर पर ट्रेडिंग ” Investing ” की तुलना में काफी short term के लिए की जाती है, दरअसल ट्रेडिंग का सफर ही कुछ घंटों से लेकर कुछ महीनो तक का होता है| इसी समय अवधि के भीतर ट्रेडिंग करके मुनाफा कमाना होता है|
हालाँकि ट्रेडिंग से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है लेकिन इसी के साथ यहाँ risk भी उतना ही बढ़ जाता है जितना की profit , इसलिए ट्रेडिंग की पूरी जानकारी होने के बाद ही इसे करना चाहिए|
Trading के प्रकार –
जैसा की हम जानते है की ट्रेडिंग समय सिमा पर आधारित है, इसलिए इसे समय सिमा के अनुसार ही चार भागों में बांटा गया है, जो की इस प्रकार है –
1. Intraday trading
भारतीय शेयर बाजार सुबह के 9:15 से दोपहर के 3:30 तक खुला रहता है, जिस दौरान इसमें ट्रेडिंग की जाती है| Intraday Trading में शेयरों को same day पर खरीदकर same day पर बेचने होतें है, इसलिए इसे डे ट्रेडिंग भी कहा जाता है| इंट्राडे ट्रेडिंग में छोटी-छोटी trade ली जाती है जैसे 1-2 घंटे की और इसी दौरान stock price में होने वाले fluctuations से मुनाफा कमाया जाता है| इंट्राडे ट्रेडिंग में ब्रोकर की तरफ से margin Trading की सुविधा भी दी जाती है, जिसे Trading session के अंत तक मुनाफा कमा के stock broker को वापस कर सकते है|
यहाँ पर ध्यान देने वाली बात यह है की आपको वो शेयर्स उसी दिन sell करने पड़ते है जिस दिन अपने वो शेयर्स खरीदें होते है| आपको नुकसान हो या मुनाफा इससे stock broker को फ़र्क़ नहीं पड़ता , अगर आप ऐसा नहीं करतें है तो 3:30 से 20 मिनट पहले ही आपका ब्रोकर खुद-ब-खुद आपकी सभी positions square off कर देगा|
2. Scalping trading
आमतौर पर scalping Trading ” Intraday Trading “ की तरह ही है, यहाँ पर 5-10 मिनट के भीतर ही शेयर्स की खरीद और बिक्री करनी होती है और कई बार तो यह कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनटों तक ही होती है| scalping trading में stock price में होने वाले बहुत छोटे-छोटे movement से मुनाफा कमाया जाता है| आमतौर पर scalping Trading ” Trading day ” के दौरान कई बार की जाती है|
यहाँ पर ध्यान देने वाली बात यह है की scalping trade तभी लिए जाते है, जब मार्किट में बहुत ज्यादा volatility हो|
3. Swing trading
swing Trading एक ऐसा Trading style है, जिसमे शेयर्स की delivery ली जाती है कुछ दिनों से लेकर कुछ सप्ताहों तक की, इसलिए इसे delivery based t rading भी कहा जाता है| स्विंग ट्रेडिंग में strong fundamentals कंपनियों के stocks चुने जातें है|
आमतौर पर ट्रेडर swing Trading में कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ़्तों तक के अंतराल में stock price में होने वाले fluctuations से मुनाफा कमाते है, अगर आप beginner है और 5-10 % तक का मुनाफा कमाना चाहते है, तो स्विंग ट्रेडिंग एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है|
ध्यान दें, स्विंग ट्रेडिंग में स्टॉक ब्रोकर की तरफ से कोई मार्जिन ट्रेडिंग की सुविधा नहीं दी जाती, यहाँ पर सारे पैसे आपको अपनी जेब से लगाने पड़ते हैं|
4. positional Trading
यह एक ऐसा Trading style जिसमे stock price के movement पर ज्यादा ध्यान न देतें हुए, कंपनी के fundamentals पर ज्यादा ज़ोर दिया जाता हैं, जैसा की नाम से ही पता चलता हैं की इसमें किसी stocks की positions ली जाती हैं, जो की 6 महीनों से लेकर 1 या 2 साल तक की हो सकती हैं|
Trading के फायदें-
आमतौर पर ट्रेडिंग के कोई फायदे या नुक्सान नहीं होते| ट्रेडिंग से किसी को फायदा होगा या नुक्सान, यह निर्भर करता हैं उसके अनुभव और उसके द्वारा अपनाई जाने वाली ट्रेडिंग स्टाइल पर| अगर आप beginner हैं, तो पहले इसे समझिये और पूरी जानकारी लेने के बाद ही इसे शुरू कीजिये|
आमतौर पर ट्रेडिंग से होने वाले फायदे कुछ इस प्रकार हैं :-
1. अगर आप 5-10 % तक का मुनाफा कमाना चाहतें हैं, तो स्विंग ट्रेडिंग एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता हैं|
2. जहाँ पर Investing में किसी बेहतर stocks को ढूंढ़ने में उसका fundamentals analysis बहुत जरुरी होता, जो की एक time consuming process हैं| वहीं पर ट्रेडिंग में आपको stock की price और movement पर ज्यादा ध्यान देना होता हैं|
3. ट्रेडिंग का सबसे बड़ा फायदा यह हैं की, यहाँ पर आपको डे ट्रेडिंग में मार्जिन ट्रेडिंग की सुविधा मिल जाती हैं, जिसके जरिये अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता हैं|
उम्मीद करतें हैं इस पोस्ट के माध्यम से दी गयी जानकारी जैसे ( Trading क्या हैं, Trading के प्रकार और Trading के फायदे इत्यादि ) आपके लिए उपयोगी साबित होगी|
अगर आपके पास इस पोस्ट से जुड़े अभी भी कोई सवाल हैं, तो उसे आप हमसे निचे दिए गए comment section पूंछ सकतें हैं|
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुने ? | How to choose stocks for intraday trading?
इंट्राडे ट्रेडिंग एक ट्रेडिंग दिन के वे सोदे होते है जो कि उसी दिन लिये जाते है और काट दिये जाते है जिसमे किसी शेयर के स्वामित्व पर कोई प्रभाव नही पडता है.
- इंट्राडे ट्रेडिंग एक दिन मे खरिदे व बेचे गये शेयर के सोदे है जिन्हे उसी दिन क्लोज कर दिया जाता है जिस दिन उन सोदो को लिया गया है।
- इंट्राडे ट्रेडिंग के लिये अच्छे स्टाक का चयन मध्यम से हाई लिक्विडिअी को देख कर व इंडेक्स और सेक्टरल ब्रेकआउट की कॉपी पर आधारित है।
- पेयर शेयर या सहकर्मी शे
- यर को देखक भी इंट्राडे ट्रेडिंग के लिये शेयर का चयन किया जा सकता है।
- अधिकांश शेयर का चयन ट्रेडर उनके मोमेंटम को देख कर भी करते हे जो कि अधिकरत न्यूज आधारित होते है।
- आप अपने ब्रोकर ऐप/ ट्रेडिंग ऐप के माध्यम से अगले ट्रेडिंग डे के लिये टेक्निकल एनालिसिस कर के भी इंट्राडे ट्रेडिंग के लिये शेयर का चयन किया जा सकता है।
इंट्राडेट्रेडिंगकेलिएस्टॉक चुनने के लिये मुख्य बिन्दु
- हाई लिक्विडिटी वाले शेयर का चुनाव
- हाई वोलेटिलिटीवाले शेयर का चुनाव
- सेक्टोरियल ब्रेकआउट
- पियर स्टाक या उसी सेक्अर के अन्य स्टाक
- इंडेक्स की नकल
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉक को चुनना
#1 उच्च लिक्विडिटी
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए ऐसे स्टाक को चुने जिनकी लिक्विडिटी अधिक हो जिनके सोदे लगातार चलते रहते हो ताकि आपकी ट्रेड को एक्सक्यूट (क्रियान्वयन) करने के लिये आसानी हो।
एक अच्छे लिक्विउ स्टाक के बारे मे सबसे अच्छि बात यह होती है कि उनके पास ट्रेडर की बडी मात्रा है और यह किमत को ज्यादा प्रभावित किये बिना स्टाक खरिदे व बेचे जाते है।
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टाक चुनते समय मार्केट की गहराई भी देखाना आवश्यक है जिससे की यह पता लग सके की अधिकतम और न्यूनतम मुल्य स्तर मे कितनी लिक्विडिटी है।
#2 उच्च वोलेटिलिटी (अस्थिरता)
ट्रेडर्स को आमतौर पर डे टेडिग मे पैसा बनाने के लिए प्राइस के उतार चढाव की जरुरत होती है। इस लिये वोलैटाईल शेयर प्राईस और प्रतिशत के लिये अच्छे होते है। जिससे ट्रेडर अच्छा मुनाफा बना सकता है।
सामान्यतः 3 प्रतिशत से ज्यादा वोलेटाईल शेयर इंट्राडे के लिये अच्छे माने जाते है।
#3 इंडेक्स या सूचकांक की नकल करना
अधिकांश एक्सपर्ट ट्रेडर स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुने ऐसे शेयर को ज्यादा पंसद करते है जो कि इंडेक्स से तालमेल ,खते है और उसके साथ एक जेसा पेर्टन बनाते है। ऐसे शेयर इंडेक्स के परफारमेंश पर निर्भर करते है।
जब इंडेक्स उपर जाता है तो शेयर भी उपर जाता है और जब इंडेक्स निचे जाता है तो शेयर भी निचे जाता है। ट्रेडर को ऐसे स्टाक के साथ काम करने मे काफी ज्यादा आसानी होती है।
सेक्टोरल ब्रेकआउट स्टॉक को फिल्टर करने का तरिका
एक पास की अवधि मे संभवित ब्रेकआउट उम्मीडद्वार को खोजने के लिये सेक्टोरल इंडेक्स पर ध्यान रखे। अर्थात जिस शेयर के ब्रेकआउट का अंदाजा लगाना चाहते है उस सेक्अर पर नजर बनाये रखे।
इसे अच्छे से समझने के लिये एक उदाहरण से समझते है
यह फार्मा इंडेक्स का एक दैनिक चार्ट है और जैसा कि आप इसमे देख सकते हैं कि फार्मा इंडेक्स पिछले 9 महीनों से संकुचित हो रहा है और वर्तमान में ब्रेकआउट के आस पास है और पिछले 5 ट्रेडिंग दिनों से संकुचित स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुने है। वर्तमान स्विंग हाई से ऊपर स्थायी कदम ब्रेकआउट की ओर ले जा सकता है।
इसके अनुसार आप आने वाले दिनों में ट्रेडों को फ़िल्टर करने के लिए सेक्टर में स्टॉक देखे।
यहाँ कुछ फार्मा कंपनियों के कुछ उदाहरण हैं जो ब्रेकआउट की कगार पर हैं जिससे आपको समझने मे आसानी होगी।
सेक्टर के स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुने अन्य शेयरो की तलाश जब अन्य लीडर स्टाक संचालन करते है
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिये स्टाक चुनते समय एक आम तरिका यह भी है जब उस सेक्टर के अन्य स्टाक को देखना होगा जब लीडर स्टाक पहले ही हटना शुरु कर चुके हो।
इसे समझने के लिये एक उदाहरण लेते है-
हाल ही में आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज में एक मजबूत वॉल्यूम पर ब्रेकआउट हुआए साथ ही स्टॉक ने भी 52 हफ्ते के हाई को पार कर लिया।
यह कहें कि यदि आप इस चाल के साथ ट्रेडिंग नहीं कर सकतेए तो आप इस सेक्टर के अन्य शेयरों की तलाश कर सकते हैं जो संभावित ब्रेकआउट के आस पास ट्रेडिंग कर रहे हैं।
इसलिए यदि आप एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस के चार्ट पर हैंए तो यह उसी सेक्टर का है और लगभग ब्रेकआउट के कगार पर है।
इसलिए आने वाले दिनों में सेक्टर में अगले ब्रेकआउट उम्मीदवार की संभावना है। यह तर्क अन्य सभी क्षेत्रों लिए भी है।
मोमेंटम स्टॉक्स का पता लगाने का तरीका
मोमेंटम स्टॉक ऐसे स्टाक होत हे जिनमे दिन मे एक अच्छा खासा मोमेंट बना रहता है और यह इंट्राडे के लिये काफी अच्छा भी है इस मोमेंटम के चलते ट्रेडर अच्छा मुनाफा कमाते है । मोमेंटम स्टॉक का पता लगाने के लिये आप इंडेक्स या आपके ट्रेडिंग प्लेटफार्म पर जाकर हर एक घंटे के गेनर्स और लूजर्स का फिल्टर लगा कर इन्हे देख सकते है और विश्लेषण कर सकते है।
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिये कुछ टेक्निकल उदाहरण जिनसे आपक इंट्राडे ट्रेडिंग के लिये स्टॉक का चयन कर सकेगे
जैसा की आप उपर दिये गये तकनिकी विष्लेशण मे देख सकते है कि अधिकांश स्टाक टेक्निकल मामलो मे ब्रेकआउट ले रहे है और इसी प्रकार आप अपने ट्रेडिंग के लिये स्टाक का फिल्टर लगा सकते है और इंट्राडे के लिये स्टॉक का चयन कर सकते है।
आप स्वंय अपने अगले दिन की ट्रेडिंग के लिये स्टॉक ऐप के माध्यम से खुद का तकनीकि फिल्टर बनाये और ट्रेडिंग करें।
निश्कर्ष
इंट्राडे ट्रेडिंग एक ट्रेडिंग दिन के वे सोदे होते है जो कि उसी दिन लिये जाते है और काट दिये जाते है जिसमे किसी शेयर के स्वामित्व पर कोई प्रभाव नही पडता है।
सामान्यतः अधिकांश एक्सपर्ट इंट्राडे ट्रेडिंग के लिये सलाह नही देते है यह केवल एक्सपर्ट का काम है एक सामान्य निवेशक को डे ट्रेडिंग नही करना चाहीये।
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिये स्टाम काफी सावधानी से चुनना चाहीये आपकी एक गलती आपके धन को हानी पहुचा सकती है।
डे टेडिंग के लिये अधिक से अधिक विश्लेष जरुरी है जिससे की जोखिम की संभावना कम हो जाती है। डे ट्रेडिंग करने के लिये विष्लेशण के साथ काफी ज्यादा सतर्क भी रहना चाहये।